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मानव संसाधनों के लिए करने होंगे करोड़ों रुपए निवेश

वर्तमान में भारतीय गांवों का तेजी से शहरीकरण होता जा रहा है। जिसके कारण संसाधनों की मांग भी बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में विश्व बैंक द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसके अनुसार भारत को तेजी से बढ़ती शहरी जनसंख्या के चलते अगले 15 साल में लगभग 840 बिलियन डॉलर या करीब 68 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।

 

इसका दूसरा बड़ा कारण बढ़ती जनसँख्या भी है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार अगले साल 2023 तक भारत की जनसँख्या चीन से भी आगे निकल जाएगी और भारत विश्व भर में सबसे अधिक जनसँख्या वाला देश बन जायेगा। जिससे संसाधनों की मांग बढ़ना लाजमी है।

विश्व बैंक के अनुसार आने वाले 15 वर्षों में 68 लाख करोड़ रुपये निवेश करने के हिसाब से यह हर साल का औसतन 55 बिलियन डॉलर यानी लगभग 4.4 लाख करोड़ रुपये होगा। रिपोर्ट के अनुसार साल 2036 तक, 600 मिलियन लोग भारत के शहरी क्षेत्रों में रहने लगेंगे। जो विश्व जनसंख्या का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।

 

क्यों पड़ेगी निवेश की जरुरत

 

रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में जैसे-जैसे जनसँख्या बढ़ेगी तो उसी के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और सुरक्षित सड़क परिवहन अदि की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। इससे शहरी अवसंरचना और सेवाओं पर अधिक दबाव पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके साथ ही अन्य संसाधन व सुविधाओं की मांग भी बढ़ेगी। विश्व बैंक के डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे का कहना है कि भारत के शहरों का हरित, स्मार्ट, समावेशी और टिकाऊ शहरीकरण के लिए बड़ी मात्रा में वित्त पोषण की आवश्यकता है। शहरों को सक्षम बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा। उन्हें इतना मजबूत और क्रेडिट योग्य बनाना होगा कि वो निजी स्रोतों से अधिक उधार ले सके। जिससे बढ़ती शहरी आबादी के जीवन स्तर में सुधार लाने का स्थायी तरीका खोजा जा सकता है।

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