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दिल्ली दंगे में याचिकाओं से तत्काल सुनवाई करने से अदालतों का इनकार

दिल्ली। पिछले वर्ष 2020 के फरवरी माह में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों में जमानत याचिकाओं की ढेर लग गई है। अदालतों ने इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की अर्जी को स्वीकार करना बंद कर दिया है। अदालतों ने तय किया है कि वे पहले से लंबित मामलों पर फैसला लेंगी।

उत्तर-पूर्वी तथा शाहदरा जिले की 2-2 सत्र अदालतें दंगों के मामलों की सुनवाई कर रही हैं। इन अदालतों में आए दिन काफी संख्या में जमानत याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं। सभी जमानत याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की मांग की जा रही है प्रत्येक सत्र अदालत में पहले से ही बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं लंबित हैं। अदालतों द्वारा तत्काल सुनवाई की याचिकाएं खारिज की जा रही हैं। दिल्ली दंगों के उत्तर-पूर्वी व शाहदरा जिले के कुल 16 थाना क्षेत्रों के अंतर्गत पच्चीस सौ से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया। दंगे के दौरान इन सभी थानों में मुकदमे दर्ज किए गए थे।

इनमें से दयालपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर, जाफराबाद, न्यू उसमानपुर, खजूरी खास, सीलमपुर व वेलकम में सबसे अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। दिल्ली दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी जारी है। गिरफ्तारी के साथ ही अदालत में इन आरोपियों द्वारा जमानत याचिका दाखिल कर दी जाती हैं। ऐसे में सत्र अदालतों ने पुरानी जमानत याचिकाओं के निपटाने को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। जिससे प्रत्येक जमानत याचिका को तसल्ली से सुना जा सके।

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