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वायरल फीवर से बेहाल देश…

एक तरफ देश कोरोना के कहर से परेशान है तो वहीं दूसरी तरफ कई राज्यों को अन्य बीमारियों के कहर झेलना पड़ रहा है। आए दिन बच्चे बड़ी संख्या में वायरल बुखार और डेंगू के शिकार हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार बंगाल और हरियाणा आदि राज्यों में बड़ी संख्या में बीमार बच्चों को अस्तपताल में भर्ती करवाना पड़ रहा है। कोरोना से पहले ही देश का बुरा हाल है तो अब वायरल बुखार से स्थिति और चिंताजनक बनती नजर आ रही है। अभी तक 100 से ज्यादा बच्चों को मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत के आकड़े ने देश को हिला कर रख दिया है।

उत्तर प्रदेश का हाल

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में सरकारी और निजी हॉस्पिटल डेंगू और वायरल बुखार के मरीजों से भरे पड़े हैं। इसमें बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा दिख रही है। एक रिपोट अनुसार, अभी तक 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं फिरोजाबाद प्रशासन ने बीमारी से निपटने के लिए लगभग 90 से अधिक स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर की स्थापना की है। साथ ही जिले की साफ सफाई का भी ध्यान रखा जा रहा है ताकि मच्छरों के प्रजनन पर रोक लग सके।

अधिकारियों के अनुसार, फिरोजाबाद के अस्पताल में भर्ती 400 से अधिक बच्चों में से 120 बच्चे डेंगू के मरीज हैं। बीमारी इतनी भयानक है कि ग्रामीण इलाकों में भी दर्जनों को संख्या में बीमार लोग नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये लोग सरकारी और निजी अस्पतालों की जगह झोलाछाप डॉक्टरों पर अधिक भरोसा कर रहे और अपने ही घर पर बीमारी का इलाज करवा रहे हैं। वहीं अस्पताल में संसाधनों के अभाव के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि बीमार बच्चों के परिवारजनों को कई – कई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। हर रोज अस्तपताल में बच्चे डेंगू और वायरल बुखार से दम तोड़ रहे हैं।

सरकार का दावा है कि बच्चों के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में 70 डॉक्टर नियुक्त हैं। बावजूद इसके बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे स्पष्ट है कि प्रशासन बच्चों को इलाज मुहैया कराने में विफल नजर आ रहा है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में प्रशासन के खराब मैनेजमेंट के कारण से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की मौत हो गई थी। इटरनेशलन इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च के अनुसार हर एक हज़ार मौत पर बच्चों की संख्या 91 है। उत्तर प्रदेश की हालत इतनी खराब है कि हर साल जन्मे 55 लाख बच्चों में से 2 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल मृत्यु दर में से 21 . 2 प्रतिशत नवजात बच्चों की मौत हो जाती है। इनमें 27. 6 प्रतिशत वो बच्चे होते है जिनकी मौत 5 साल से कम उम्र हो जाती है। 70 फीसदी बच्चे एनीमिया यानी खून की कमी से मर जाते हैं।

बिहार है डेंगू से बेहाल

बिहार पहले से ही बाढ़ के प्रकोप को झेल रहा है तो अब वायरल बुखार और डेंगू भी यहां तेजी से बढ़ रहा है। राजधानी पटना के मेडिकल कॉलेज ( पीएमसीएच ) में भी लगातार बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टर के अनुसार, अस्पताल में आ रहे बच्चों में से लगभग 90 प्रतिशत बच्चे बुखार और डेंगू से पीड़ित हैं। बीमार बच्चों के परिवार में डर का माहौल बना हुआ है। उनका कहना है कि अचानक बच्चों में सर्दी ,खांसी , बुखार के लक्षण दिखने लगे हैं। इसलिए बच्चों को दिखाने के लिए डॉक्टर के पास लेकर आने को विवश हैं। लेकिन फिर भी बुखार कम नहीं हुआ है बल्कि लगातार तेज होता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति और भी खराब है। यहां सुविधा के अभाव में बच्चे मर रहे हैं। परिजनों आरोप है कि प्रशासन के तरफ से कोई मदद नहीं मिल रहा है। बिहार के लगभग 25 जिलों में 2000 से ज्यादा बच्चे बीमार हैं।

पश्चिम बंगाल में भी बुखार का कहर

पश्चिम बंगाल में भी स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। राज्य में अभी तक 1100 से ज्यादा बच्चे बीमार हो चुके हैं और 6 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इतने अधिक संख्या में बीमार बच्चों को देखकर बच्चों के परिवार चिंतित है।

हरियाणा का भी यही हाल

हरियाणा के भी दर्जनों गांव में इस फीवर की चपेट में हैं। पिछले कई दिनों से हरियाणा के अस्पतालों में बीमार मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। परिवारजनों का कहना है कि डेंगू बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम हो जाती है जिसकी रिकवरी न होने के चलते मौत हो जाती है।

यहां के कई ग्रामीण क्षेत्र में आज भी स्वास्थ्य कर्मी अस्पतालों में उपस्थित नहीं देखे जा रहे हैं। प्रशासन भी कोई सख्त कदम नहीं उठाता नजर आ रहा है। कई इलाकों की गलियों के नालों में गन्दा पानी भरा रहता है। वहीं प्रशासन का कहना है कि गांव में घर घर जाकर जांच की जा रही है। स्वास्थ्य कर्मी मलेरिया, डेंगू और कोरोना की जांच कर रहे हैं।

फिलहाल कोरोना के खिलाफ देश में टीकाकरण जारी है। वहीं दूसरी तरफ डेंगू के इलाज पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने डेंगू का इलाज विकसित किया है। पहले चरण में इसका चूहों पर परीक्षण किया जाएगा। अगर यह ट्रायल सफल रहा तो जल्द ही इंसानों का भी परीक्षण किया जाएगा।

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