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मोदी सरकार दूसरे टर्न में भले ही  ट्रिपल तलाक और कश्मीर से अनुछेद 370 हटाये जाने जैसे बोल्ड डिसीजन से प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही हो, देश में आर्थिक इमरजेंसी जैसा माहौल भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

स्थिति की गंभीरता को नीति आयोग के चेयरमैन का कथन साफ़ बयां करता है। दिल्ली में 21 अगस्त को एक समारोह मे राजीव कुमार ने कहा कि निजी पूंजी निवेश में भारी कमी, बैंक और गैर बैंकिंग वित्त संस्थाओ में पूंजी का लगातार घटना और एक अविश्वाश का माहौल तैयार होना बेहद चिंताजनक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई ने इस वर्ष लगातार चार बार रेपो दर को कम किया है और साथ ही बैंकों को निदेश दिया है के इसका लाभ अपने ग्राहकों को ब्याज दर कम करके दें। कुमार ने आगे कहा कि सरकार ने एनबीएफसी क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्तीय रूप से सुदृढ़ एनबीएफसी के सम्पत्ति को खरीदने की अनुमति दी।

इस महीने की शुरुआत में, केंद्र ने 1 लाख करोड़ रुपये की आंशिक गारंटी योजना के संचालन पर दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वित्तीय रूप से गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) संपत्ति खरीद सकते हैं। इससे पहले १९ अगस्त को व्यापारिक संगठन ‘फिक्की’ के एक कार्यक्रम में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर शशिकांत दास ने भी खराब आर्थिक स्थिति की बात स्वीकारी।  हालांकि दस ने सकारात्मकता कायम रखने की बात भी कही।

यदि देश की अर्थव्यवस्ता और जॉब सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका वाले क्षेत्रों की बात करे तो सभी प्रकार के उद्योग इस समय में गंभीर आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं। नतीजा बड़े स्तर पर नौकरियां खत्म हो रही हैं। चलिए एक नज़र डालते हैं मेहत्वपुर्ण सेक्टरों पर :

टेक्सटाइल सेक्टर

टेक्सटाइल सेक्टर जो की भारत के एक्सपोर्ट मे 11 प्रतिशत का योगदान देता है, आज भारतीय स्पीनिंग उद्योग मंदी की चपेट में आता नजर आ रहा है, मंदी के कारण न सिर्फ बड़ी तादात में नौकरियां खत्म हो रही हैं, बल्कि देशभर में एक-तिहाई मिलें बंद हो चुकी हैं और जो चल रही है वे भारी घाटे में है जिस के कारण उनकी इतनी भी स्थिति नहीं है कि वे भारतीय कपास ख़रीद सकें जिस का असर भारत के जीडीपी पे सीधा पड़ रहा है। भारत कपास की दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, निर्यातक और उपभोक्ता है। कई कपड़ो मिलों ने श्रमिकोबड़े की छंटनी बड़े पैमाने पर शुरू कर दी हैं।

ऑटोमोबाइल  सेक्टर

भारत जोकि ऑटोमोबाइल सेक्टर मे पूरी दुनिया मे चौथे स्थान पे आता है। हाल ही में ऑटो सेक्टर में ज़ोरदार मंदी और बिक्री के 30-35 प्रतिशत तक कम होने की ख़बरें आती रही थीं जिसके कारण 2.30 लाख नौकरियां गवां दी गयी हैं। और अंदेशा है की 10 लाख नोकरिया जा सकती है. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुज़ुकी समेत ह्यूंडई, महिंद्रा, हॉन्डा कार और टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स जैसी प्रमुख वाहन कंपनियों की बिक्री में जुलाई भारी गिरावट दर्ज की गई थी। यह समाचार भी लगातार सुर्खिओ में हैं की देशभर में सैकड़ों डीलरशिप बंद हो गई हैं। राजीव बजाज बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना हैं कि यह सेक्टर के लिए मुश्किल समय है और सरकार कोरजिस्ट्रेशन शुल्क बढ़ाकर उसे बदतर नहीं बनाना चाहिए। साथ ही में ऑटो सेक्टर के राहुल बजाज ने केंद्र की मोदी सरकार से ऑटो इंडस्ट्री के बिगड़ते हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कहा,”ऑटो सेक्टर बेहद मुश्किल हालत से गुजर रहा है।  कार, कमर्शियल वेहिकल और दोपहिया वाहनों के सेगमेंट  की हालत ठीक नहीं है। मंदी के कारन बिक्री हो नहीं रही हैं और निजी निवेश भी नहीं है। ऐसे मे विकास कहा से आएगा? क्या विकास स्वर्ग से गिरेगा? “

 रियलस्टेट

बैंको की ओर से Non Banking Financial Companies को लोन नहीं देने के फैसले का असर रियल इस्टेट उद्योग पर पड़ता दिख रहा है। NBFC अब रियल इस्टेट को पैसा नहीं दे रहा है जिससे कई प्रोजेक्ट ठप हो चुके हैं। सरकार ने रेपो रेट में कटौती करके रियल एस्टेट को ऊपर लाने की कोशिश जरूरकी हैं।आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि सरकार को NBFC में तत्काल समस्याओं को ठीक करने और निजी क्षेत्र को निवेश करने के लिए सुधारों के एक नए सेट के साथ आने की जरुरत है। जेपी ग्रुप और आम्रपाली ग्रुप जैसे बड़े बिल्डर्स दिवालिया हो रहे हैं। 2018-2019 में भारत के आर्थिक विकास दर 6.8% तक धीमी हो गई है। 2014-2015 के बाद यह सबसे धीमी गति है। विशेषज्ञों और केंद्रीय बैंक के विभिन अनुमानों से स्पष्ट है कि चालू वर्ष में जीडीपी की वृद्धि 7% के सरकारी अनुमान से काम रहेगी।

पत्थर बाजार

उत्तर प्रदेश में स्थापित एशिया के सबसे बड़े पत्थर बाजार के बंद होने के कारण 2 लाख मजदूर बेरोजगार होगये हैं। क्रेशर मालिकोंहड़ताल पर चले गए हैं।उनका विरोध सरकार की खनन नीति को लेकर हैं। गुजरात का डायमंड उधोग प्रदानमंत्री मोदी के गुजरात में ही पिछले चार महीनों मे 15 प्रतिशत नौकरियां जा रही हैं। सूरत के प्रसिद्ध डायमंड उधोग मंदी की कगार पर है। इंडस्ट्री के मुताबिक मांग बढ़ने की सम्भावनायें काम हैं । गुजराती करोबारिओं ने हालात से निपटने के लिए काम के शिफ्ट काम करनी शुरू क्र दे हैं । जुलाई 2019 में जेम्स एंड ज्वेल्लेरी एक्सपर्ट 11.08% से गिरकर 18,633.10 करोड़ रुपए का होगया है, जो पिछले साल 20,955.10 करोड़ का था।

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