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कोरोना वायरस :अब तो जागो सरकार , इंडियन मेडिकल एसोसिएशन 

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के के चलते पिछले पांच दिनों से देशभर में चार लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं ,जबकि हजारों लोग हर दिन बेमौत जान गवा रहे हैं। दूसरी लहर का प्रकोप दिन -प्रतिदिन  भयानक होते जा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। चारों तरफ हाहाकार मचा है। इससे निपटने के लिए अब  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक बार फिर से देश में देशव्यापी लॉकडाउन लगाने की मांग को दोहराया है । आईएमए ने कहा है  कि देश में कोरोना के भयावह हालातों से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय सुस्त है। आईएमए के पूर्ण लॉकडाउन की मांग को केंद्र ने ठंडे बस्ते में डाल दिया।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने  कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को कुंभ करणी नीद से  ‘जग जाना’ चाहिए और  इस  महामारी से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटने के लिए कठोर  कदम उठाना चाहिए। डॉक्टरों के संगठन ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना  की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए।

एक बयान में कहा गया  कि  ‘आईएमए मांग करता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को निद्रा से जग जाना चाहिए और कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती जा रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाना चाहिए। कोविड-19 महामारी की दूसरी खौफनाक लहर के कारण पैदा संकट से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर आईएमए अचंभित  है।’

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आईएमए का कहना है कि कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर से निपटने के लिए एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को देशभर में पूर्ण लॉकडाउन का सुझाव दिया था, लेकिन उनके प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया गया। वह स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्यशैली से आश्चर्यचकित हैं। आईएमए का आरोप है कि कोरोना से निपटने के लिए जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, उनका जमीन से कोई लेना देना नहीं है।

आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि वह पिछले 20 दिनों  से केंद्र सरकार से योजनाबद्ध तरीके से देशभर में पूर्णलॉकडाउन लगाने की मांग कर रही है, लेकिन उनके सुझावों पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आईएमए ने कहा कि राज्यों द्वारा अलग-अलग लॉकडाउन लगाने से कुछ नहीं होगा। रात में कर्फ्यू लगाने का  कोई फायदा नहीं। जब तक कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं लगाया जाए। साथ ही आईएमए ने सरकार से अनुरोध किया कि चिकित्सकों को सुविधा और समय दिया जाए, ताकि वह इस महामारी से ठीक तरीके से निपट सकें। अगर केंद्र सरकार ने उनकी सलाह मानकर पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया होता तो रोज 4 लाख मामले देखने को नहीं मिलते।

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