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कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले 2 साल में मर जायेंगे | वायरल वीडिओ का सच

कोरोना महामारी अपने चरम पर है|  पूरे  विश्व में  इस महामारी के चलते  लाखों  लोग अपनी जानें  गवा चुके हैं | वैज्ञानिको के अनुसार इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन ही एक कारगार उपाय है|  सभी देश इस अपने लोगों  को बचाने  के लिए  जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा रहे हैं|  कई देशो ने तो अपने यहाँ की जनसंख्या के हिसाब से 50% लोगों  को वैक्सीन लगवा दी | लेकिन इसके अलग फ़्रांस  के नोबेल पुरस्कार विजेता लुच मोंतानिए का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है| . इस मैसेज में वह कहते दिख रहे  हैं कि लोगों के वैक्सीनेशन के कारण वायरस के नए-नए वैरिएंट पैदा हो रहे हैं. वायरल मैसेज में लिखा है कि, सभी वैक्सीन लगवाने वाले लोग दो साल के अंदर मर जाएंगे। जिन लोगों को वैक्सीन दी गई है, उनके बचने की कोई संभावना नहीं है।इस  चौंकाने वाले साक्षात्कार में, दुनिया के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट लुच मोंतानिए ने स्पष्ट रूप से कहा: उन लोगों के लिए कोई उम्मीद नहीं है, और जिन्हे  पहले से ही टीका लगाया गया है, उनके लिए कोई संभावित इलाज नहीं है। हमें शवों को भस्म करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

मैसेज में कहा गया है कि, वैक्सीन के घटकों का अध्ययन करने के बाद अन्य प्रमुख वायरोलॉजिस्टों ने वैज्ञानिक के दावों का समर्थन किया। वे सभी एंटीबॉडी निर्भर वृद्धि से मर जाएंगे। इस वायरल वीडियो के आधार पर एकाध जगह स्टोरी छपी दिखाई देती है|  एक तो लाइफसाइट न्यूज़ नाम की वेबसाइट पर. हेडिंग लगी है कि कोरोना वैक्सीनेशन से बहुत बड़ी ग़लती हो रही है. और ये स्टोरी लोगों के इनबॉक्स में धड़ाधड़ पहुंच रही है. साथ में लिखा हुआ है कि जो लोग आज कोरोना की वैक्सीन लगवा रहे हैं, वो लोग 2 साल के अंदर मर जायेंगे|  सच क्या है?

इस पर पीआईबी ने इस दावे को सिरे से नकार दिया है। पीआईबी ने कहा कि वैक्सीन से लोगों की जान को खतरा नहीं है। सोमवार को एक ट्वीट के माध्यम से पीआईबी ने वायरल दावे की पोल खोली और ऐसे किसी भी दावे को फॉरवर्ड नहीं करने की अपील की। फेक न्यूज से निपटने के लिए पीआईबी  ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों और योजनाओं के बारे में खबरों का सत्यापन करने के लिए एक ‘तथ्य जांच इकाई’ गठित की है जिसे पीआईबी फैक्ट चेक टीम कहा जाता है। पीआईबी फैक्ट चेक टीम द्वारा आप भी किसी भी संदेश की सत्यता की जांच करा सकते हैं। इसके बारे में ज्यादा जानकारी पीआईबी की वेबसाइट pib.gov.in पर भी उपलब्ध है।

वही अमेरिका की  वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से अच्छी खबर आई है. यहां के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों का शरीर हमेशा कोरोना से लड़ता रह सकता हैं आपके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी हमेशा बनती रहेगीं | शोधकर्ताओं ने पाया हैं की कोरोना संक्रमण के पहले लक्षण के 11 महीनों बाद एंटीबाडी फिर से विकसित हो रही हैं |

अमेरिका के सेंट लुईस स्थित वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स का यह अध्ययन साइंस जर्नल नेचर में 24 मई को प्रकाशित हुआ है. साइंटिस्ट्स ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के कुछ महीनों बांद भी लोगों में Covid-19 वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी सेल्स यानी प्रतिरक्षण कोशिकाएं काम करती रहती हैं | कोरोना वायरस के खिलाफ ये कोशिकाएं प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती रहती हैं | सबसे बड़ा हैरान करने वाला खुलासा ये हैं की ये एंटीबाडी जीवन भर आपके शरीर में रह सकती हैं | .

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