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AC से भी फैल रहा कोरोना, वैज्ञानिकों के रिसर्च में हुआ खुलासा

AC से भी फैल रहा कोरोना, वैज्ञानिकों के रिसर्च में हुआ खुलासा

यह बात तो बहुत पहले से चल रही है कि गर्मियों में ज्यादा टेम्परेचर बढ़ने से कोरोना खत्म हो जाता है। इसी के साथ यह भी कहा जा रहा कि कोविड-19 का वायरस एसी यानी की ठंड में ज्यादा बढ़ता है। हालांकि, गर्मियों में कोरोना खत्म होता है या नहीं होता है यह तो सिद्ध नहीं हुआ है। लेकिन एसी यानी कि ठंड में कोरोना वायरस लोगों को संक्रमित कर देता है यह सामने आया है। इसे साबित किया है अमेरिका की एक रिसर्च कंपनी ने।

अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। जिसमें उन्होंने चीन के कुछ लोगों पर एसी के प्रभाव में आने पर रिसर्च किया था। जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि एसी में कोरोना ज्यादा फलता फूलता है। जानकारी के अनुसार, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने चीन के 10 मरीजों पर एक रिसर्च किया था। इन मरीजों में एक बात कॉमन पाई गई। उन्होंने 24 जनवरी को चीन के ग्वांगझोउ में एक रेस्टोरेंट में डिनर किया था। इस रेस्टोरेंट में कोई खिड़की नहीं थी।

रिपोर्ट के अनुसार, वुहान से आने वाला पहला संक्रमित उस रेस्टोरेंट में खाना खाने गया था। उसके टेबल से कुछ ही दूरी पर दो और परिवार बैठे थे। रिपोर्ट के मुताबिक रेस्टोरेंट से जाने के बाद उसी दिन पहले संक्रमित मरीज को लक्षण नजर आने लगे थे ।जबकि बाकी लोगों को 5 फरवरी तक संक्रमण दिखा था।

रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी लोगों ने रेस्टोरेंट में एक घंटे से ज्यादा का वक्त बिताया था। ऐसे में हो कहा जा रहा है कि सभी में संक्रमण ड्रापलेट की वजह से फैला हो। विशेषज्ञों की मानें तो ड्रापलेट हवा में कुछ ही मीटर जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एयर कंडीशनर की हवा का तेज फ्लो ही ड्रापलेट्स को उन लोगों तक लाया होगा। जिस वजह से वहां बैठे लोग भी संक्रमित हो गए।

बाद में सीसीटीवी फुटेज के जरिए कोरोना संक्रमण के स्त्रोत और बाकी परिवारों को ट्रैक किया गया। स्टडी में देखा गया कि पांचवें माले पर बने रेस्त्रां में सेंट्रल एसी लगा हुआ है और सारी खिड़कियां बंद रहती हैं। हर टेबल के बीच लगभग 1 मीटर की ही दूरी थी। तीनों ही परिवारों ने लगभग 1 घंटा रेस्त्रां में बिताया था।

माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण की वजह एसी के कारण हुआ होगा। जिसमें संक्रमित शख्स की खांसी या छींक से फैले वायरस एसी के तेज एयरफ्लो की वजह से जल्दी से फैल गए होंगे। वैसे सामान्य तौर पर ये वायरस संक्रमित की खांसी, बुखार या छींक से निकले वॉटर ड्रॉपलेट के साथ हवा में तैरते हैं और किसी सतह पर बैठ जाते हैं। क्योंकि ठोस सतह पर ये ज्यादा देर तक रह पाते हैं। इस नतीजे के बाद माना जा रहा है कि अगर टेबलों के बीच दूरी ज्यादा होती या फिर खिड़कियां खुली होतीं ताकि हवा बाहर आ-जा सके, तो संक्रमण टाला जा सकता था।

इस बाबत जब पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर रविंद्रा खैवाल ने पूछा गया तो उन्होंने उलझन बताया कि अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि तापमान बढ़ने से वायरस पर असर पड़ता है। इसलिए लोगों को लगता है कि यदि एसी ऑन कर दिया तो तापमान कम होगा और वायरस फैलेगा, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। लोग एसी और कूलर को ऑन कर सकते हैं। यह वायरस संक्रमित इंसान के छींकने या खांसने के दौरान निकलने वाले ड्रॉपलेट्स से फैलता है।

ऐसे में जो लोग ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आएंगे, उसमें यह वायरस पहुंच सकता है। लेकिन जो मास्क पहने होंगे, उस तक नहीं वायरस नहीं पहुंच पाएगा। उन्होंने बताया कि एसी ऑन करते वक्त वेंट ऑन कर दें। इससे बाहर की हवा आएगी और लोगों को ताजी हवा भी मिलेगी। उन्होंने बताया कि एसी को चलाने से पहले फिल्टर को डिटरर्जेंट से साफ कर लें। इससे फिल्टर में फंसे फंगस और बैक्टीरिया भी निकल जाएंगे। फिल्टर को साफ करते वक्त मुंह में मास्क व हाथों में दस्ताने पहनना न भूले।

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