देवभूमि उत्तराखंड में अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है। यह स्थिति कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद हुई है। इसके बाद प्रदेश की कैबिनेट में हलचल मच गई। क्योंकि सतपाल महाराज 29 मई को कैबिनेट की मीटिंग में शामिल हुए थे। उनके कैबिनेट मिटिंग में शामिल होने के चलते पूरी उत्तराखंड सरकार मुश्किल में आ गई। खुद मुख्यमंत्री और मंत्री भी। यह देश में अपने आप में पहला मामला है। जहां पूरी सरकार ही कोरोना महामारी की चपेट में आ चुकी है।
बहरहाल, सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत, दो बेटे, दो बहू और डेढ़ साल के पोते के साथ ही उनसे जुड़े 22 लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और उनका परिवार ऋषिकेश के एम्स में फिलहाल इलाज करा रहा है। जबकि बाकी लोगों को संस्थागत क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है। यह सभी 22 लोग वह हैं जो सतपाल महाराज के इर्द गिर्द रहे यानी कि परिवार और कर्मचारी लोग हैं।
फिलहाल उत्तराखंड की राजनीति में जैसे तूफान सा आ गया है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट मीटिंग में सिर्फ दो मंत्री यशपाल आर्य और अरविंद पांडे शामिल नहीं हुए। जिसके चलते वह कोरोना संदिग्धों की श्रेणी में नहीं है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ जो अन्य मंत्री और मुख्यमंत्री हैं वह कोरोना संदिग्धों की श्रेणी में आ गए हैं।
कल पूरे दिन कयासों का दौर चलता रहा। कभी कहा जाता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत होम क्वॉरेंटाइन हो गए हैं तो कभी कहा जाता कि नहीं उनकी सतपाल महाराज से काफी दूरी थी। इस वजह से उनको क्वॉरेंटाइन नहीं किया जाएगा। सरकार के सचिव अमित नेगी का कहना था कि मुख्यमंत्री सहित कुछ अन्य मंत्री सतपाल महाराज के क्लोज कांटेक्ट में नहीं आये थे इसलिए उनको होम क्वॉरेंटाइन करने की आवश्यकता नहीं है।
फिलहाल आज सुबह से एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब भाजपा के नेताओं के हवाले से कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत होम क्वॉरेंटाइन होंगे। कल दिन और रातभर चली इस उठापटक के बाद आज सुबह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन ने एक ट्विट के माध्यम से जानकारी दी है कि मुख्यमंत्री सेल्फ क्वॉरेंटाइन में चले गये हैं। जबकि अन्य मंत्री व अधिकारी में क्वॉरेंटाइन में जा रहे हैं।
इसके साथ ही प्रदेश की कैबिनेट भी पूरी तरह होम क्वॉरेंटाइन होंगे। ऐसे में संभव है कि उनसे ना कोई मिल सकता है ना वह किसी से मिल सकते हैं। तो सवाल है कि उत्तराखंड में सरकार कैसे चलेगी और कौन चलाएगा? फिलहाल उत्तराखंड कोरोना विस्फोट की स्थिति में है। जब से देश में प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई तब से अमूमन शांत प्रदेश उत्तराखंड कोरोना मामले में अशांत हो गया।
इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में एक सप्ताह पूर्व एक भी कोरोना पॉजिटिव केस नहीं था। लेकिन अब वहीं जिले में 25 के करीब कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं। हालांकि, अभी कई सैंपल की रिपोर्ट आने का इंतजार है। जिसमें कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।
यह पिथौरागढ़ का ही हाल नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड प्रदेश का हाल है। यहां कल तक की स्थिति देखें तो 900 से ऊपर कोरोना के केस सामने आ चुके हैं। ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि कोरोना महामारी का प्रकोप प्रदेश में फैलता ही जा रहा है। बावजूद इसके मुख्यमंत्री और मंत्री होम क्वॉरेंटाइन हो जाते हैं तो सरकार को चलाने की जिम्मेदारी किस के कंधों पर होगी?
क्या ऐसे में यह संभव नहीं है कि प्रदेश की बागडोर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बजाए किसी अन्य नेता के हाथ में सौंप दी जाए? क्योंकि संभव है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जब होम क्वॉरेंटाइन हुए हैं तो 14 दिन से पहले वह घर से बाहर नहीं आ सकते हैं। यानी कि 14 दिन तक वह ना तो किसी अधिकारी के साथ मीटिंग कर सकते हैं और ना ही अपनी कैबिनेट के साथ उनका कोई संपर्क होने वाला है।
आज उत्तराखंड प्रदेश की पूरी कैबिनेट और खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को संदिग्ध कोरोना की श्रेणी में ले जाने के पीछे अगर कोई दोषी है तो वह कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज है। बताया जा रहा है कि सतपाल महाराज के घर पर 26 मई को ही होम क्वॉरेंटाइन होने का नोटिस चस्पा हो गया था। इसके बावजूद भी वह घर से बाहर निकले और 29 मई को कैबिनेट की मीटिंग में शामिल हुए। सवाल यह है कि जब उनके घर में होम क्वॉरेंटाइन का नोटिस चस्पा हो चुका था तो उन्हें कैबिनेट की मीटिंग में जाने की जल्दी क्यों थी?
क्या सतपाल महाराज घर से ही वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा नहीं ले सकते थे? दूसरा सवाल यह भी है कि जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार हर किसी के मोबाइल में आरोग्य सेतू ऐप डाउनलोड करने की हिदायत देती है तो क्या प्रदेश के किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री या सचिवालय के अधिकारियों के मोबाइल में आरोग्य सेतू ऐप डाउनलोड नहीं था? अगर ऐप डाउनलोड होता तो कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना मोबाइल के जरिए मिल जाती और उत्तराखंड की जो आज विषम परिस्थिति पैदा हुई है वह नही होती?