हाल ही में केंद्र सरकार ने बुलेट ट्रेन चलने के लिए परियोजनाओं की शुरुआत कर दी है जो अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलाई जाएगी। लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही अहमदाबाद और मुंबई में ट्रैन के लिए चलाई जा रही परियोजना का विरोध शुरू हो गया है। हालांकि, सरकार ने मुआवजा लोगों को मुआवजा दिलाने या उस स्थान से हटाकर कहीं और बसाने जैसे वादे किये हैं। लेकिन लोग यह बात मानने के लिए तैयार नहीं हैं जिसके कारण प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा। लोगों का आरोप है कि यह परियोजना लोगों करती जा रही है। इस बीच, अहमदाबाद शहर के शाहीबाग गिरधरनगर क्षेत्र के निवासियों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
क्यों हो रहा है विवाद
इस परियोजना के विरोध का सबसे बड़ा कारण ट्रैन के लिए बनाये जाने वाले ट्रैक की खुदाई है। लोगों का कहना है कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए की जा रही गहरी खुदाई के कारण उनके घरों का अस्तित्व संकट में आ गया है। क्योंकि, इतनी गहरी खुदाई के वजह से उनके घरों की नींव पर खतरा पैदा हो गया है। जिसके लिए दोनों राज्यों के लोग काफी समय से विरोध कर रहें हैं लेकिन अब वे धरना देने पर मजबूर हो चुके हैं। उनके अनुसार जिस स्थान पर ट्रैन ट्रैक बनाने के लिए खुदाई की जा रही है उन्ही के ऊपर लोगों के बड़े बड़े माकन और फ्लैट्स हैं जो की उनके घरों को कमजोर कर देंगे।
प्रदर्शन में शामिल एक महिला का कहना है कि हम अब मजबूर होकर धरना दे रहे हैं। जहां से प्रोजेक्ट की खुदाई होनी है वहां से हमारे फ्लैट 5-6 फीट के करीब हैं, इसलिए अगर खुदाई की गई तो हमारे फ्लैटों को नुकसान होगा। नींव ढह जाएगी। फिर हम हादसों के डर में जीने को मजबूर होंगे।
प्रदर्शन अधिकारियों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य गुजरात में तथा केंद्रीय प्रदेश दादर और नगर हवेली में भूमि अधिग्रहण का काम हो चुका है। इन जगहों पर करीब 1000 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। साथ ही अधिकारियों ने यह भी बताया कि बुलेट ट्रेन के लिए कुल 1396 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना था, जिसमें से 1264 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। बाकी ज्यादातर इलाके महाराष्ट्र के हैं। बताया जा रहा है कि, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने वन विभाग की जमीन को छोड़कर महाराष्ट्र में 42% भूमि का अधिग्रहण कर लिया है। यह जमीन करीब 182 हेक्टेयर है।