नई दिल्ली। अयोध्या में भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के बयान से शुरू हुआ विवाद थमने के बजाए और तेज हो रहा है। धर्माचार्यों के बाद अब इसमें नेता भी कूद पड़े हैं। खासकर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह जो कि पिछले कई महीनों से निरंतर भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी तीखी टिप्पणियों के लिए सुर्खियों में हैं, उन्होंने विवाद को गरमा दिया है।
हाल में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भूमि पूजन के लिए निर्धारित किये गये समय को अशुभ घड़ी बताते हुए कहा था कि 5 अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह, मंदिरारंभ कार्य निषिद्ध हैं। उन्होंने इसके लिए विष्णु धर्म शास्त्र और नैवज्ञ बल्लभ ग्रंथ का हवाला दिया। इस पर काशी विद्वत परिषद ने शंकराचार्य के तर्कों को निराधार बताते हुए कहा कि ब्रह्मांड नायक राम के खुद के मंदिर पर कैसे सवाल उठाया जा सकता है। शंकराचार्य को कुछ नेताओं की भी तीखी आलोचना झेलनी पड़ी।
अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर मोर्चा खोल दिया है। शंकराचार्य ने तो धर्म गुरू होने के नाते सीधी भाषा में मुहूर्त के समय पर सवाल उठाये थे, जो कि उनका दायित्व भी था। फिर भी उन्हें तीखी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। ऐसे में दिग्विजय सिंह ने जिन तीखे शब्दों में हमला बोला है, उनसे विवाद और तेज होना स्वाभाविक है। दिग्विजय सिंह ने तंज कसा है कि उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री कमला रानी वरुण की कोरोना से मौत हो गई है। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव पाए गए। यह सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं को नजरअंदाज करने का नतीजा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है कि, ‘सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं को नजर अंदाज करने का नतीजा- 1. राम मंदिर के समस्त पुजारी कोरोना पॉजिटिव, 2- उत्तर प्रदेश की मंत्री कमला रानी वरुण का कोरोना से स्वर्गवास, 3- उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में, 4- अमित शाह कोरोना पॉजिटिव।’
दिग्विजय सिंह ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने भी सोशल मीडिया पर मुहूर्त के समय को लेकर तीखा सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है कि- या तो आप अन्य मत मतावलंबियों की तरह शुभ- अशुभ दिन, मास आदि को न मानें परंतु यदि मानते हैं तो राम मंदिर के शुभ निर्माण के लिए वह महीना क्यों जब हम हिन्दू खासकर सनातनी हिन्दुओं की मान्यता है इन चातुर्मास के चार महीनों में तो हमारे आराध्य विष्णु भगवान ( राम भी उनके ही अवतार थे ) शयन करने के लिए चले जाते हैं।तभी तो इन चार महीनों में शादियां भी नहीं होतीं और कोई भी शुभ कार्य वर्जित माना जाता है।
दूसरा-आज शुक्ल पक्ष खत्म और कल से कृष्ण पक्ष शुरू। कृष्ण पक्ष अर्थात अंधेरा पखवाडा जब चंद्रमा धीरे -धीरे लुप्त हो जाता है । मैं ब्राह्मण हूँ इसीलिए थोड़ा बहुत ज्योतिष तथा परंपराओं के बारे में जानता हूँ । ऐसी घड़ी में हम सबके आराध्य, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मंदिर की नींव/भूमि पूजन की इतनी जल्दी क्यों?