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महिला पत्रकार के बिंदी न लगे होने पर विवाद

महाराष्ट्र के हिंदुत्ववादी सामाजिक कार्यकर्ता संभाजी भिडे ने एक महिला पत्रकार को केवल इस बात पर इंटरव्यू देने से इंकार कर दिया की महिला ने माथे पर बिंदी नहीं लगा रखी थी।

 

संभाजी ने महिला से कहा “हर महिला भारत माता की तरह होती है और भारत माता विधवा नहीं होती है।” संभाजी द्वारा कही गई इस बात के बाद भी महिला पत्रकार के बिंदी न लगाने पर संभाजी ने पत्रकार से बातचीत करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद अब महाराष्ट्र में एक नया विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है।
वहीं महिला पत्रकार का कहना है कि बिंदी लगना या न लगाना उनका निजी फैसला होना चाहिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि “हम लोगों की उम्र देखकर उनका सम्मान करते हैं। लेकिन लोगों को भी सम्मान के योग्य होना चाहिए। यह मेरी निजी पसंद है कि मैं बिंदी लगाऊं या नहीं। यह लोकतंत्र है।”

 

राज्य महिला आयोग ने जारी किया नोटिस

 

महिला पत्रकार के साथ हुए इस अजीब व्यवहार को देखते हुए राज्य महिला आयोग ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। महिला आयोग ने संभाजी के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए कहा कि “राज्य महिला आयोग अधिनियम 1993 की धारा 12 (2) और 12 (3) के तहत आपको एक महिला पत्रकार से बात नहीं करने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा जाता है। आपने उनसे इसलिए नहीं बात की, क्योंकि उसने बिंदी नहीं लगाई थी।”
साथ ही राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने संभाजी के इस बयान पर आपत्ति दिखाते हुए कहा कि ‘एक महिला अपने काम की गुणवत्ता से जानी जाती है।’ देखा जाये तो यह बात सच भी है क्योंकि केवल महिला पत्रकार ही नहीं बल्कि किसी भी व्यक्ति के कार्य क्षमता की पहचान उसके चेहरे को देख कर नहीं की जा सकती।

 

कौन हैं संभाजी भिड़े

 

संभाजी विनायक भिडे महाराष्ट्र के एक हिन्दुत्ववादी कार्यकर्ता हैं। इस समय वे श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के संस्थापक एवं प्रमुख हैं। इनके समर्थको के बीच यह “भिडे गुरुजी” के नाम से जाने जाते हैं। संभाजी साल 1980 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिस्सा रहे, लेकिन कई विवाद के कारण इन्होने अलग होकर अपना एक नया संगठन बनाया, जिसकी मूल भावना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिलती-जुलती है। गौरतलब है कि समय-समय पर वे विवादों के घेरे में देखने को मिलते हैं।

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