रक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय सिख सैनिकों के लिए लोहे के हेलमेट की नई नीति पर सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने कड़ी आपत्ति जताई है। भारतीय सेना के जवानों की सुरक्षा को देखते हुए मंत्रालय द्वारा भारतीय सिख सैनिकों के लिए लोहे वाले हेलमेट की नई नीति लाने पर विचार किया गया । जिसके लागू होने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है। जबकि यह हेलमेट सैनिकों की सुरक्षा के लिए ही बनाया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार रक्षा मंत्रालय इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत सिख सैनिकों के लिए 12 हजार 730 बैलिस्टिक हेलमेट खरीदने की योजना बना रहा है। जिसके तहत सैनिकों के लिए दो प्रकार के हेलमेट खरीदें जायेंगे , जिसमें 8 हजार 911 लार्ज और 3 हजार 819 एक्स्ट्रा लार्ज हेलमेट खरीदे जाएंगे। यह सिख सैनिकों की जरूरतों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। जिन्हें अधिक आरामदायक और युद्ध के हिसाब से तैयार किया गया है।
वर्तमान में उपयोग में आने वाले हेलमेट उन सिख सैनिकों की सुरक्षा और आराम के अनुकूल नहीं हैं जो पगड़ी के ऊपर पहनते हैं। यह विशेष रूप से दुर्गम इलाकों में समस्या पैदा करता है। लेकिन इस नीति के लागू होने से पहले ही सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कड़ी आपत्ति जताई है। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कहना है कि किसी भी तरह की टोपी पहनना सिख मर्यादा के खिलाफ है। जत्थेदार ने कहा कि सिख के सिर पर बंधी दस्तार कोई 5 या 7 मीटर का कपड़ा नहीं है, यह हमारी पहचान है। उनके अनुसार सरकार को इस निर्णय पर विचार करना चाहिए। सिख सैनिक सेना की सिख, जकली, पारा और पंजाब रेजीमेंट में सेवा देते हैं। लगभग 90 हजार सेना के जवान पंजाब से हैं।
बात का समर्थन करते हुए एडवोकेट धामी ने कहा है कि सिख सैनिकों को लोहे के विशेष तरह के हेलमेट पहनने का फैसला सिखों की धार्मिक भावनाओं पर बड़ा आघात है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि मुगलों के खिलाफ गुरुओं की लड़ाई और विश्व युद्धों के दौरान सिखों ने पगड़ी पहनकर लड़ाई लड़ी है।
क्यों हो रहा विवाद
सिखों को हेलमेट पहनने की नीति पर अभी विचार ही किया जा रहा है और सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। हालांकि यह फैसला सेना की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। लेकिन सरकार के इस नीति पर विवाद खड़ा हो रहा है जिसका कारण धार्मिक स्वतंत्रता है। गौरतलब है कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद जब भारत ने जब संविधान की रचना की गई तो उसका एक मूल आधार यह भी तय किया गया की भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने की आज़ादी होगी। इसी के तहत कुछ धर्मों को उनकी धार्मिक मान्यता के आधार पर छूट भी दी गई। सिक्ख धर्म के लोगों को भी उनकी धार्मिक मन्यता के आधार पर पगड़ी पहनने की छूट दी गई है। उन पर हेलमेट पहनने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। ऐसे में सरकार द्वारा यह कहना कि सिख सैनिकों के लिए हेलमेट पहनना जरूरी है उनकी धार्मिक भावना को आहत करता है।