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 भाजपा की अंतर्कलह का फायदा उठायेगी कांग्रेस  

 नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों का उपचुनाव राज्य में कांग्रेस भाजपा दोनों पार्टियों के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। कांग्रेस के सामने इन सीटों को जीतकर फिर से राज्य की सत्ता में वापसी की चुनौती है, तो भाजपा की बड़ी दिक्कत यह है कि यदि वह इन सीटों को गंवा गई तो माना जाएगा कि कोरोना काल में उसने शिवराज चौहान की ताजपोशी के लिए जो रणनीति अपनाई उससे राज्य की जनता बेहद खफा है। इस चुनौती के साथ भाजपा की समस्या यह है कि राज्य में पार्टी को अंदरूनी खींचतान का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दोनों पार्टियों ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। भाजपा अपनी रणनीति के तहत पिछले दिनों पार्टी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्चस्व वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 सीटों पर सिंधिया के समर्थकों को मैदान में उतारने की रणनीति में दिखाई देती है, लेकिन यहां उसे बाहर से ज्यादा भीतर से चुनौती का सामना करना पड़ेगा। जाहिर है कि सिंधिया समर्थकों को टिकट मिलने पर भाजपा कैडर के वे नेता नाराज होंगे जो टिकट की चाहत में वर्षों से पार्टी में जुड़े हुए हैं। अक्सर देखा गया है कि चुनावों में इस तरह के नेताओं की नाराजगी पार्टियों को भारी पड़ती रही है। एक ओर भाजपा को अंतर्कलह का नुकसान होगा तो दूसरी ओर कांग्रेस जनता को संदेश दे रही है कि वह उसके जनमत का अपमान कर भाजपा में जाने वाले नेताओं को सबक सिखाये। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में गए अपने बड़े नेता बालेंदु शुक्ला की घर वापसी से कांग्रेस में उत्साह का संचार भी हुआ है। ज्योतिरादित्य के गढ़ ग्वालियर में शुक्ला कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी घर वापसी में दिलचस्पी दिखाई। कमलनाथ और उनके समर्थक मान रहे हैं कि सत्ता में वापसी के लिए यह उप चुनाव बेहतर मौका है।  इसीलिए वे जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।

राज्य से जो खबरें आ रही हैं उनके मुताबिक उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा अपनी स्थिति बेहतर अवश्य मान रही है, लेकिन कुछ जगहों पर अंतर्कलह और पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी उसे भारी पड़ सकती है। देवास जिले की हाटपिपलिया, इंदौर जिले की सांवेर, ग्वालियर जिले की ग्वालियर, रायसेन की सांची और सागर जिले की सुरखी ऐसी सीटें हैं जहां अंतर्कलह की खूब चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा नेता इससे चिंतित हैं कि अंतर्कलह का कहीं गलत संदेश न जाए। यही वजह है कि पार्टी की प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष वीडी शर्मा को आगे आकर कहना पडा़ कि भाजपा एक पार्टी नहीं बल्कि परिवार है। यहां सभी आपस में मिल- जुलकर बातें करते हैं। कहीं कोई मतभेद  नहीं है। यदि पार्टी में सबकुछ ठीक होता तो प्रदेश अध्यक्ष को सफाई देने की जरूरत ही नहीं थी।

दाताराम चमोली

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