कांग्रेस के भीतर आतंरिक कलह थम नहीं पा रही है। केंद्र ही नहीं राज्यों में भी नेतृत्व को लेकर भारी गुटबाजी चल रही है। स्थिति यह है कि जिन राज्यों में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं , वहां भी स्थिति बेहद खराब है।ऐसी स्थिति में पार्टी में अगले कुछ दिनों के भीतर बड़े स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। संगठन से लेकर राज्यों तक इसका असर देखा जा सकता है। पार्टी के अंदर उठ रही तमाम विरोधाभासी आवाजों और दूसरे सहयोगी दलों के दबाव के बीच पार्टी अब खुद को सक्रिय मोड में दिखाना चाहती है। इसके तहत पार्टी को गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष का पद मिल सकता है। इस बीच हरियाणा में कांग्रेस के भीतर छिड़ा घमासान अब सड़कों पर आ गया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के 22 विधायकों ने कुमारी शैलजा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । इन सभी ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से मुलाकात भी की है।

एक तरफ पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह आज छह जुलाई को दिल्ली आकर सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं , वहीं दूसरी तरफ हरियाणा कांग्रेस में भी खींचतान थमती नहीं दिख रही है। हरियाणा कांग्रेस के 22 भूपिंदर सिंह हुड्डा समर्थक विधायकों ने अब दिल्ली में डेरा डाल दिया है । उनकी मांग हैं कि संगठन के मामलों में पूर्व सीएम को पूरी अहमियत दी जानी चाहिए। इन विधायकों का कहना है कि संगठन के मामलों में किसी भी फैसले को लेकर हुड्डा को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। प्रदेश में कांग्रेस की संभावनाओं के लिहाज से ऐसा करना सही नहीं होगा।

दिल्ली में डेरा डालने वाले इन विधायकों में भारत भूषण बत्रा, रघुवीर कादियान, कुलदीप वत्स, वरुण चौधरी, बिशन लाल सैनी, आफताब अहमद, राजिंदर जून, नीरज शर्मा, मेवा सिंह और जगबीर मलिक जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं। इनमें से कई विधायकों ने कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात भी की है। इस मीटिंग में भी उन्होंने मांग की है कि राज्य संगठन में किसी बदलाव को लेकर हुड्डा को अहमियत मिलनी चाहिए। दिल्ली आने से पहले सभी विधायक हुड्डा के घर एकत्रित हुए थे। हुड्डा समर्थक विधायकों में शामिल भारत भूषण बत्रा ने कहा, ‘हमारा अजेंडा ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी को प्रभावित करना है कि पार्टी के मामलों में पूर्व सीएम को भी महत्व दिया जाए।’
इस बीच हरियाणा की एक और सीनियर लीडर किरण चौधरी ने भी केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है और कुमारी शैलजा का समर्थन किया है। दरअसल राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की चर्चा है और हुड्डा अपने लिए यह पद चाहते हैं। ऐसे में कुमारी शैलजा के खेमे से टकराव की नौबत आ गई है। राज्य में कांग्रेस के कुल 31 विधायक हैं, जिनमें से 22 ने हुड्डा का समर्थन किया है। इस तरह से देखें तो पलड़ा हुड्डा का भारी नजर आता है।
पुरानी है हुड्डा और शैलजा की लड़ाई
भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा की लड़ाई पुरानी है। इससे पहले भी कई बार दोनों नेता आपस में जोर आजमाइश कर चुके हैं। शैलजा के करीबी नेताओं का कहना है कि हुड्डा जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं, क्योकि प्रदेश संगठन में परिवर्तन होने वाला है। हुड्डा को डर है कि उऩकी पकड़ कमजोर पड़ सकती है। इसलिए वह पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं।

उत्तराखण्ड में कांग्रेस गुटबाजी में बुरी तरह फंसी हुई है। हालत यह है कि करीब दस दिनों से प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष या भावी प्रदेश अध्यक्ष का फैसला ही नहीं हो पा रहा है। उधर पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का झगड़ा पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, तो राजस्थान में भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा पा रहे हैं।