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कुनबा बिखरने की भनक लगने के बाद भी चेत नहीं पाई कांग्रेस

सरकार को राहुल ने फिर चेताया, कहा- 10 अगस्त तक होंगे 20 लाख से अधिक कोरोना मरीज

राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान अपने कुनबे को बचाने में पूरी तरह असफल साबित हुआ है। पार्टी महासचिव सोनिया गांधी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अजय माकन सरीखे दिग्गज सचिन पायलट को मना नहीं पाए और नतीजा यह है कि राज्य में पार्टी दोफाड़ हो गई। कांग्रेस आलाकमान को इस बात की जानकारी थी कि राज्य में सरकार गठन के समय भी सचिन की नाराजगी खुलकर सामने आई। ऐसे में पार्टी को राज्य के हालात पर बराबर नजर रखनी थी, लेकिन कांग्रेस अलाकमान कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश की चुनी हुई सरकार का हश्र देखने के बाद भी नहीं चेता तो यह उसकी ऐतिहासिक भूल ही कही जाएगी।

सचिन पायलट को इस बात की भारी नाराजगी है कि राज्य में उन्हें जिस प्रकार उपेक्षित किया जा रहा था या वे जो परेशानियां झेल रहे थे उनसे कांग्रेस आलाकमान को अवगत कराना चाहते थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद आलाकमान ने उनकी बात नहीं सुनी। उनका साफ संदेश है कि राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में उनकी अहम भूमिका रही इसके बावजूद अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया गया। फिर भी उन्होंने पार्टी हित में त्याग कर उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया। इसके बाद भी गहलोत उन्हें उपेक्षित करते रहे। गहलोत की कार्यशैली से उनकी एवं समर्थक विधायकों की नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने साफतौर पर कह दिया कि गहलोत को हटाने पर ही वे मान सकते हैं, लेकिन आलाकमान ने उनकी बात नहीं मानी और आखिरकार सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। जाहिर है कि कांग्रेस आलाकमान का हाथ गहलोत के सिर पर ही रहा। पहले से आलाकमान का हाथ उनके सिर पर था।

ऐसे में गहलोत का भी दायित्व बनता था कि वे आलाकमान की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए प्रदेश में कांग्रेस कुनबे को एक रखते, लेकिन उनकी कार्यशैली ही पार्टी में पहले असंतोष और फिर टूट का कारण बनी तो आलाकमान को इस पर मंथन करना ही होगा। आलाकमान को सोचना होगा कि पार्टी की टूट के लिए क्या अकेले सचिन पायलट ही जिम्मेदार हैं। आखिर वे कौन से लोग हैं जिन्होंने आलाकमान के सुलह करने की कोशिशों से पहले ही प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से सचिन पायलट के पोस्टर हटाकर उनके आक्रोश को भड़काने का काम किया। क्या वे चाहते थे कि पायलट जितनी जल्दी हो सके पार्टी से बाहर हो जाएं। कांग्रेस के लिए यह आत्म मंथन का समय है कि आखिर उसका कुनबा यूं क्यों बिखरता जा रहा है।

-दाताराम चमोली

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