कांग्रेस ने राजस्थान की राजनीति में बेशक सचिन पायलट को दोहरे पदों से हटा दिया है, लेकिन अभी भी पार्टी उन्हें एक और मौका देने के मूड में है। पार्टी पिछले 2 दिन से सचिन पायलट के प्रति सॉफ्ट मोड पर है। हालांकि, दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट के खिलाफ तरह-तरह के चुटकुले अंदाज में मीडिया के सामने आरोप प्रत्यारोप लगाते आ रहे हैं।
लेकिन कांग्रेसी सूत्रों की माने तो अभी भी पार्टी सचिन पायलट को अपने पास रखने के लिए पूरे मन से जुड़ी हुई है। दूसरी तरफ सचिन पायलट के अगले कदम को अभी तक कोई जान नहीं सका है। आज 7 दिन होने को आया राजस्थान के राजनीतिकरण को। इन 7 दिनों में राजस्थान की राजनीति में कॉन्ग्रेस दो फाड़ के नतीजे पर पहुंच गई है।
कहा जा रहा है कि अगर सचिन कांग्रेस से इस्तीफा देते हैं तो राजस्थान में कांग्रेस को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। पिछले 4 दिनों की बात करें तो अब तक करीब 58 पदों से सचिन पायलट के समर्थकों ने इस्तीफे दे दिए है। यह सभी प्रदेश स्तर के हैं। जबकि जिला स्तर पर 500 से ज्यादा पदाधिकारी अपने अपने पद से इस्तीफा देकर सचिन का समर्थन कर चुके है।
कांग्रेस बखूबी जानती है कि राजस्थान में सचिन के जाने से उस को कितना नुकसान होगा। कांग्रेस यह भी बखूबी जानती है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सचिन के जाने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि, दूसरी तरफ सचिन पायलट को यह अंदेशा है कि उन्हें अगर कांग्रेस से जाना पड़ेगा तो नए स्तर से अपनी पार्टी खड़ी करनी पड़ेगी। जिसमें रिस्क ज्यादा है।
हालांकि, वह यह रिस्क लेंगे ना या नहीं यह तो भविष्य में ही पता चलेगा। लेकिन जिस तरह से 2 दिन पूर्व सचिन पायलट मीडिया के सामने आए और कांग्रेस के प्रति सॉफ्ट रवैया अपनाया उससे लगता है कि वह अभी कांग्रेस से दिल से दूर नहीं हो पाए है।
जिस तरह से सचिन पायलट ने कहा कि वह मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज नहीं है और उन्होंने खुलकर कहा कि भाजपा में जाने का उनका कोई इरादा नहीं है। उन्हें भाजपा में जाने की कहकर सिर्फ आलाकमान की नजरों में गद्दार साबित करने की कोशिश की जा रही है जो वह नहीं है।
अगर सचिन पायलट कांग्रेस से दूर होते हैं तो वह थर्ड फ्रंट बना सकते हैं। अपनी नई पार्टी बना कर वह कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। फिलहाल सचिन के पास 22 विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर सभी 22 विधायक इस्तीफा देते हैं तो उपचुनाव होना तय है। ऐसे में गहलोत और सचिन पायलट की शक्ति प्रदर्शन होगा। जिसमें पायलट मजबूती से उभर सकते हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस आलाकमान इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि पायलट राजस्थान में उनकी पार्टी के जहाज को डुबो सकते हैं। इसके चलते ही 2 दिन पूर्व कांग्रेस की उत्तर प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी सचिन पायलट से बात कर चुकी है । लेकिन पायलट ने इसमें सकारात्मक रूख नही अपनाया।
हालांकि कांग्रेस ने उनके सामने दो बार विधायक दल की मीटिंग में आने का निमंत्रण दिया। जिसमें वह दोनों बार नहीं आए। इसके बाद ही कांग्रेस ने उन्हें डिप्टी सीएम और पीसीसी प्रमुख के पद से हटा दिया। इसके बाद सचिन पायलट के लिए यह बड़ी चुनौती हो गई थी की अब वह आगे जाएं या पीछे। हालांकि, जिस तरह से बात सामने आ रही है उससे लगता है कि वह कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।
कांग्रेस ने भी शायद इसके चलते ही उनको पार्टी से बर्खास्त नहीं किया है। सचिन पायलट के लिए कांग्रेस ने अभी भी अपने दरवाजे खुले हुए रखे हैं। फिलहाल की बात करें तो आज एक बार फिर प्रियंका गांधी सचिन पायलट को मनाने के लिए सक्रिय हो गई है। कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के दो सीनियर लीडरों को सचिन के पास भेजा है। जबकि प्रियंका गांधी खुद सचिन पायलट के संपर्क में है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि सचिन पायलट मैच के इस लास्ट ओवर में कैसी बैटिंग करते हैं।