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किसानों की नाराजगी का सियासी लाभ लेने में सफल हुई कांग्रेस

किसान आंदोलन के 80 दिन पूरे होने के साथ ही इसके राजनीतिक परिणाम भी सामने आने लगे हैं । पहला परिणाम पंजाब से आया है । जहां स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से जीती है । किसानों के पक्ष में कॉन्ग्रेस ने सबसे पहले पंजाब में ट्रैक्टर यात्रा शुरू की थी। जिस पर राहुल गांधी के साथ पार्टी प्रभारी हरीश रावत और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मौजूद थे।

ट्रैक्टर का स्टेरिंग पार्टी के युवराज राहुल गांधी के हाथ था । लेकिन ट्रैक्टर के दोनों तरफ कांग्रेस के मार्गदर्शक बैठे थे। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जब पंजाब प्रभारी का कार्यभार संभाला तो सबसे पहले उन्होंने किसानों की समस्या को प्रमुखता दी ।

इसी के साथ ही हरीश रावत ने पार्टी में कार्यकर्ताओं के बीच आपसी मतभेद को सुलझा कर एक राजनीतिक दिशा तय कर दी। जिसका लक्ष्य केंद्रीय सरकार के खिलाफ खड़े किसानों को अपने पाले में लाना था।

हरीश रावत की यह रणनीति आखिर कामयाब हो निकली। कल पंजाब के नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस की बल्ले-बल्ले हो गई । कुल आठ नगर निगम में से सात पर कांग्रेस का कब्जा हो गया । इसके बाद कॉन्ग्रेस दुगने उत्साह के साथ मिशन 2022 की तैयारियों में जुट गई है।

याद रहे कि अगले वर्ष उत्तराखंड के साथ ही पंजाब में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इनके साथ ही पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में भी कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सक्रिय हो उठी है।

उत्तराखंड में जहां भाजपा की सरकार है तो पंजाब में कांग्रेस सत्ता में है । कांग्रेस इस चुनाव को लिटमस टेस्ट के रूप में देख रही है । देखा जाए तो इस लिटमस टेस्ट में वह पास भी हो गई है । अब पूर्ण परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी गई है । यानी कि 2022 में फिर से सत्ता पाने के लिए कांग्रेश वह हर कदम उठाएगी जिससे उसे फिर सत्ता हासिल हो जाए।

इसके लिए फिलहाल कांग्रेस के पास किसानों का बड़ा मुद्दा है। जिसे वह 2022 के विधानसभा चुनाव तक आगे बढ़ाकर चुनावी जीत की तरफ बढ़ती रहेगी। फिलहाल किसानों की नाराजगी का सियासी लाभ लेने में कांग्रेस सफल होती प्रतीत हो रही है।

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