कल पूरे दिन कांग्रेस की प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी के साथ ही कई वरिष्ठ नेताओं ने सचिन पायलट को मनाने की पूरी जी तोड़ मेहनत की थी। जिसके फलस्वरूप कहा जाने लगा था कि कुछ शर्तों के साथ सचिन आज जयपुर में होने वाली विधायक दल की मीटिंग में शामिल होंगे । मिटिंग 10 बजे की बजाय 11 बजे शुरू हुई। लेकिन आखिर सचिन पायलट दूसरी बैठक में भी लगातार अनुपस्थित रहे।
इसके साथ ही कांग्रेस की सचिन पायलट को वापस लाने की उम्मीदों को भी गहरा धक्का पहुंचा है। बहरहाल, राजस्थान कांग्रेस में आया भूकंप थमने की बजाय और ज्यादा बढ़ गया। राजस्थान में उप मुख्यमंत्री के साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर से सचिन पायलट की छुट्टी कर दी गई। इसके साथ ही कांग्रेस ने संकेत दे दिया कि वह सचिन पायलट को अब और बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। इसी के साथ सचिन पायलट के तीन समर्थक मंत्री भी हटा दिए गए हैं। यह मंत्री विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा और मुकेश भाकर आदि है। सचिन पायलट के समर्थक रहे युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश घोघरा को भी हटा दिया गया है।
वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट ने भी अपने प्रोफाइल से डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद को हटाकर जता दिया कि वह अब कांग्रेस से किनारा कर चुके हैं। फिलहाल राजस्थान की कांग्रेस राजनीति में 2 धुर विरोधी अलग-अलग हो गए हैं। इसमें जहां अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मजबूत माना जा रहा है वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट भी अपने आप को कम नहीं आक रहे हैं।
इसके पीछे सचिन पायलट को मिल रहा 20 विधायकों का समर्थन के साथ ही बाहर से भाजपा का सहयोग भी बताया जा रहा है। हालांकि अब पूरे देश की नजर सचिन पायलट के अगले कदम पर होगी और देखना यह होगा कि वह भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाने की योजना बनाते हैं या थर्ड फ्रंट के साथ अलग होकर कांग्रेस के सामने मजबूती से खड़े होते हैं। शाम 5 बजे सचिन पायलट के प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की उम्मीद है। हो सकता है मीडिया के सामने सचिन पायलट अपने अगले रणनीति कदम की जानकारी दें।
फिलहाल, सरकार पर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का एकछत्र राज हो गया है। वह अब पूरी तरह अपनी मनमानी करने को आजाद हो चुके हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हैंडफ्री कर दिया है। जबकि कांग्रेस हाई कमान ने सचिन पायलट को अहमियत नहीं दी। जिसके चलते आज राजस्थान कांग्रेस फूट के कगार पर पहुंच गई।