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कांग्रेस की बागी MLA अदिति सिंह का भाजपा में जाने का रास्ता हुआ साफ

कांग्रेस की बागी MLA अदिति सिंह का भाजपा में जाने का रास्ता हुआ साफ

रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह को राजनीति में लाने का श्रेय प्रियंका गांधी को जाता है। लेकिन अब अदिति सिंह ने उन्हीं से खुली बगावत का ऐलान कर दिया है। पूर्व में 2 अक्टूबर 2019  यानी गांधी जयंती के दिन लखनऊ में प्रियंका गांधी की अगुवाई में ही कांग्रेस ने योगी सरकार का बायकॉट करने की घोषणा की थी। तब भी पार्टी लाइन से इतर जाकर अदिति सिंह भाजपा सरकार के विधानसभा सत्र में पहुंच गई थी। उस दौरान कांग्रेस ने अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को नोटिस दिया था। बहरहाल ,अब इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए अदिति सिंह ने ऐसे समय पर बगावती रुख अपनाया है, जब प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर भाजपा और कांग्रेस में सियासी जंग चल रही थी।

ऐसे समय में अदिति सिंह प्रियंका गांधी के खिलाफ जाकर योगी सरकार के समर्थन में खड़ी हो गई।कांग्रेस की रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने कल उस समय अपनी ही पार्टी की घेराबंदी कर दी थी जब उन्होंने प्रियंका गांधी के खिलाफ दो ट्वीट किए। इसके बाद आज कांग्रेस ने अदिति को पार्टी से निलंबित कर दिया है तथा साथ महिला विंग के पद से भी हटा दिया है। इससे अब अदिति सिंह के लिए भाजपा में जाने का रास्ता खुल गया है।देखा जाए तो अदिति सिंह चाहती भी यही थी की उसे कांग्रेस हटा दे और वह भाजपा में चली जाए।

2 अक्टूबर 2019 का दिन अभी लोग भूले नहीं है। जब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र का बहिष्कार किया था। विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार के कामकाजों का गुणगान किया। इस दौरान सीएम योगी ने विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा था। तब कांग्रेस का मार्च था। जिसको लेकर कांग्रेस ने ह्विप भी जारी किया था। योगी सरकार की ओर से 36 घंटे तक चलने वाला विधानसभा सत्र बुलाया गया। जिसका समूचे विपक्ष ने बायकॉट किया। लेकिन अदिति सिंह ने अपनी पार्टी की ह्विप को नजरंदाज कर विधानसभा सत्र में हिस्सा लिया।

जब इस पर उनसे सवाल किया गया तो सीधा कोई जवाब देने के बजाए उन्होंने कहा कि मुझे जो ठीक लगा वो मैंने किया। पार्टी का क्या निर्णय होगा मुझे नहीं मालूम। मैं पढ़ी-लिखी युवा एमएलए हूं। विकास का मुद्दा बड़ा मुद्दा है। यही गांधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि है। अब इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए अदिति सिंह ने ऐसे समय पर बगावती रुख अपनाया है, जब प्रवासी मजदूरों की घर वापसी पर भाजपा और कांग्रेस में सियासी जंग चल रही थी।

 

ऐसे समय में जब अदिति से पार्टीलाइन का उल्लंघन करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं पार्टी लाइन से ऊपर उठी और विकास पर बात करने की कोशिश की, यह मेरी पहली और शीर्ष प्राथमिकता है। अदिति सिंह से जब पार्टी द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी का निर्णय होगा और पार्टी जो भी निर्णय लेगी मैं उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। इसके साथ ही अदिति सिंह ने कहा कि भाजपा को साफ सफाई और गरीबी को लेकर कई समस्याओं पर काम करने की जरूरत हैं। जिससे प्रदेश से गरीबी दूर हो सके और पूरा प्रदेश साफ सुथरा रहे। बता दें कि जैसे ही अदिति सिंह का यह बयान सामने आया वैसे ही सभी पार्टियों में खलबली मच गई। खुद कांग्रेस भी असमंजस की स्थिति में आ गई।

कल एक बार फिर अदिति सिंह ने ट्वीट किया था, ‘आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत? एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा, 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व ऐबुंलेंस जैसी गाड़ियां, 68 वाहन बिना कागजात के, यह कैसा क्रूर मजाक है, अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूं नहीं लगाई?’

 

अदिति ने दूसरे ट्वीट में लिखा था, ‘कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें। तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक ना छोड़ पाई, तब योगी आदित्यनाथ जी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।  गौरतलब है की अदिति सिंह ने यह ट्वीट ऐसे समय में किया है जब पार्टी की प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर आपसी राजनितिक लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई 1000 बसों के मुद्दे पर थी। जिसे अदिति सिंह ने ट्वीट करके हवा दे दी।

याद रहे कि पूर्व में रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को नोटिस दे चुकी है। विधानसभा में विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा ने यूपी सदस्य दल परिवर्तन की निर्भरता नियमावली 1987 के तहत नोटिस दिया था ।  अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप के खिलाफ 2 अक्टूबर को हुए 36 घंटे के विशेष सत्र में हिस्सा लिया था.कांग्रेस पार्टी ने इस सत्र का बहिष्कार किया था। कांग्रेस ने अदिति सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया था। इसके चलते पार्टी ने उनकी सदस्यता समाप्ति के लिए यह कदम उठाया था। हालाँकि बाद में यह मामला पेंडिंग हो गया।

यहां यह भी बताना जरुरी है कि गाठ वर्ष अदिति सिंह पर रायबरेली टोल प्लाजा पर हमला हुआ था, गत 13 मई को कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के काफिले पर लोगों ने पीछा कर हमला कर दिया। इस हमले में विधायक अदिति सिंह की कार पलट गई। विधायक की कार समेत उनके काफिले की तीन अन्य गाड़ियां भी पलट गई। इससे अदिति सिंह समेत कई नेताओं को चोटें आई थी।जिसके बाद उन्होंने योगी सरकार से सुरक्षा की मांग की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने कांग्रेस विधायक अदिति सिंह पर विशेष कृपा करते हुए उन्हें वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी थी। रायबरेली की राजनीति के बेताज बादशाह रहे अखिलेश सिंह स्वर्ग सिधार चुके है।फिलहाल उनकी राजनीतिक विरासत उनकी पुत्री अदिति सिंह संभाल रही हैं।

अदिति सिंह 2017 में रिकॉर्ड मतों से विधानसभा चुनाव जीतकर वह विधायक बनी थी।अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह रायबरेली सीट से पांच बार विधायक रहे हैं।  उन्होंने अपना सियासी सफर कांग्रेस से ही शुरू किया था।  राकेश पांडेय हत्याकांड के बाद अखिलेश सिंह को कांग्रेस से बाहर निकाल दिया गया था। इसके बाद भी कई बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे। उन्होंने साल 2012 के चुनावों से पहले पीस पार्टी जॉइन की थी। इस दौरान वह गांधी परिवार को जमकर कोसते थे। कहा जाता है कि अखिलेश सिंह का खौफ ऐसा था कि कांग्रेसी उनके डर से पोस्टर भी नहीं लगा पाते थे। हलाकि बाद में अखिलेश कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

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