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कांग्रेस बेहाल, अब अश्विनी कुमार

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में पिछले कुछ अर्से से घमासान मचा हुआ है। कई बड़े नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ डाला है तो बहुत से ऐसे भी हैं जो पार्टी भीतर ही अपनी आवाज सुनी जाने की गुहार लगा रहे है। पंजाब विधानसभा चुनावों से ठीक पहले गत् सप्ताह एक और कांग्रेसी दिग्गज ने पार्टी से इस्तीफा दे गांधी परिवार की मुसीबतों में इजाफा कर डाला है। मनमोहन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पंजाब के बडे़ नेता अश्विनी कुमार ने पार्टी अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि वे कांग्रेस से बाहर रहकर देश की सेवा ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं। उन्होंने सोनिया गांधी से कहा है कि ‘46 बरस तक मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं। पार्टी की वर्तमान स्थिति पर गहन निष्कर्ष बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि मेरी गरिमा के अनुरूप, मैं पार्टी से बाहर रहकर मुद्दों को उठा सकता हूं।’ अश्विनी कुमार के त्याग पत्र बाद पार्टी भीतर और बाहर एक बार फिर से राहुल गांधी की कार्यशैली को लेकर बातें होने लगी हैं। सूत्रों की मानें तो अश्विनी कुमार लंबे अर्से से खुद को पार्टी नेतृत्व द्वारा इग्नौर किए जाने से नाराज थे। साथ ही जिस तरीके से पार्टी आलाकमान ने राज्य की राजनीति में कैप्टन अमरिंदर सिंह की कीमत पर नवजोत सिंह सिद्धू को प्रोमोट किया, कुमार उससे खुद को खासा असहज पा रहे थे। कुमार का कांग्रेस छोड़ना ऐसे समय में घटित हुआ जब पार्टी भीतर असंतोष चरम पर है। लंबे अर्से से जी-23 के नाम से जाने जा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी भीतर आंतरिक लोकतंत्र नहीं होने की बात बजरिए मीडिया खुलकर उठा रहे हैं। इतना ही नहीं कई बड़ नेता पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर आरपीएन सिंह तक ऐसे कई नेताओं ने जी-23 समूह की बात को आधार बना पार्टी छोड़ डाली है। अश्विनी कुमार स्वयं गांधी के बेहतर करीबी रहे हैं। जी-23 समूह द्वारा गांधी परिवार को घेरने की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए गांधी परिवार के पक्ष में कुमार खड़े रहे थे। तब उन्होंने कहा था कि केवल गांधी परिवार के नेतृत्व में ही कांग्रेस का भविष्य सुरक्षित है। पंजाब के राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले कुमार के पिता प्रबोध चंद्रा पंजाब में विधायक एवं मंत्री रह चुके हैं। अश्विनी कुमार 2002 से लेकर 2016 तक पंजाब से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रहे हैं। यूपीए की दोनों सरकारों में मंत्री रहे कुमार का नाम तब विवादों में आ गया था जब 2013 में यह खबर सामने आई कि कोयला आवंटन मामले की सीबीआई जांच को बतौर कानून मंत्री रहते उन्होंने प्रभावित करने का प्रयास किया। मई, 2013 में इस विवाद के चलते उन्हें मनमोहन सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुमार को जापान में भारत का विशेष प्रतिनिधि बनाते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया था। सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि पांच राज्यों में यदि कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा तो कई बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ना तय है।

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