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सुशांत राजपूत मामले में असमंजस में कांग्रेस 

फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में इन दिनों देश की राजनीति गरमाई हुई है । अभिनेता की मौत की जांच को लेकर छिड़े सियासी संग्राम में लगभग हर पार्टी कूद पड़ी है। लेकिन कांग्रेस असमंजस में है। वह इस मसले पर बोलने से कतरा रही है। यही वजह है कि अब भाजपा के नेता उसे इस मुद्दे पर अपनी राय रखने की चुनौती भी देने लगते हैं। भाजपा नेता निखिल आनंद ने तो राहुल और प्रियंका को कहा कि वे इस  मामले में अपनी चुप्पी तोड़े ।

जानकारों के मुताबिक कांग्रेस का इस मामले के चुप्प रहना ही उसके लिए बेहतर है। उसकी मजबूरी यह है कि यदि वह इस मामले में महाराष्ट्र  सरकार के पक्ष का समर्थन करती है तो बिहार में जनता उससे नाराज होती है और यदि बिहार सरकार के स्टैंड का समर्थन करती हे तो महाराष्ट्र में वह खुद गठबंधन सरकार में शामिल है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने अभिनेता की मौत की सीबीआई  जांच की सिफारिश की तो केंद्र सरकार ने भी तत्काल इसे स्वीकार कर लिया। केंद्र सरकार के अधिवक्ता साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सुशांत की  मौत की जांच सीबीआई  को सौंपी जा चुकी है। दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार को इस मुद्दे पर निरंतर कटघरे में खड़े किया जाता रहा है कि वह सीबीआई जांच की सिफारिश इसलिए नहीं कर रही है कि राज्य के कुछ  प्रभावशाली लोगों को बचाना चाहती  है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीबीआई जांच न करवाए  जाने के मुद्दे पर बिहार की राजनीतिक पार्टियों ने तीखी आलोचना की, लेकिन कांग्रेस कुछ नहीं कह पाई।

सबसे तीखा हमला बीजेपी ने बोला है। पार्टी के प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि मुंबई पुलिस ने केस दर्ज़ कर इतने  दिनों से गोल- गोल घुमाया है। एक तरफ महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच से इंकार करती है, वहीं बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल सही जांच और न्याय के लिये आश्वस्त कर रहे हैं।  बिहार की एक फीसदी जनता को इस मामले में मुंबई पुलिस पर भरोसा नहीं है। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना बॉलीवुड माफियाओं से रिश्ते निभा रही है?

महाराष्ट्र सरकार के स्टैंड पर न सिर्फ भाजपा और जेडीयू बल्कि  हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा जैसी छोटी पार्टियों ने भी हमला बोला। पार्टी  के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर तीखा हमला करते हुए  दोषियों को बचाने का आरोप लगाया है।  मांझी ने कहा कि अगर सीबीआई  जांच से सरकार भागती है तो इसका मतलब दोषियों को बचा रही है।
सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने  कहा कि सुशांत की आत्महत्या के मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही है।  सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के साथ हमारी संवेदना है, वह हमारे क्षेत्र से भी आते हैं।  साथ ही कहा कि उनके परिवार को जांच के लिए कोर्ट से मॉनिटरिंग कमेटी की मांग करनी चाहिए।  इतने दिनों के बाद भी मुंबई पुलिस ने अभी सही तरीके से जांच नहीं की है।

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि परिवार अगर जांच से संतुष्ट नहीं है तो मामले को उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।  सुशांत के मामले में हर सच्चाई सामने आनी  जरूरी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा है कि कांग्रेस सुशांत सिंह राजपूत के केस को सीबीआई जांच के लिए सौंपने की मांग कर रही है और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे जी की  सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है  उन्होंने कहा की कांग्रेस के दोगली नीति समझ में नहीं आ रही है।

इस बीच महाराष्ट्र से भी पलटवार शुरू हुआ है। शिव सेना नेता संजय राउत ने बिहार पुलिस और केंद्र पर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ साजिश रचने का इल्जाम लगाया है।  उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे बीजेपी के आदमी हैं और उन पर 2009 में कई चार्ज लगे थे।

राउत ने लिखा, सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच अब सीबीआई के हाथ में पहुंच गई है। मुंबई पुलिस की जांच शुरू रहने के दौरान बिहार सरकार सीबीआई जांच की मांग करती है, केंद्र सरकार इसे तुरंत स्वीकृति दे देती है।  किसी प्रकरण का राजनीतिकरण करना है, इसके लिए सीबीआई, ईडी जैसी केंद्रीय संस्थाओं का इस्तेमाल करना, यह सब झकझोर देने वाला है। जब किसी घटना का राजनीतिकरण किया जाता है, तब वह किस स्तर तक जाएगा, यह कहा नहीं जा सकता है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के खुदकुशी के दुखद मामले में निश्चित तौर पर यही हो रहा है। राजनीतिक निवेश ने शिखर छू लिया है।  सुशांत की मृत्यु के पीछे कुछ राज हैं।  उस रहस्य कथा में फिल्म, राजनीति और उद्योग जगत के बड़े नाम शामिल हैं।  इसलिए मुंबई पुलिस सही ढंग से जांच नहीं करेगी, बिहार सरकार की यह शिकायत है , मुंबई पुलिस से जांच नहीं हो पाएगी। इसलिए इसे ‘सीबीआई’ को सौंपा जाए, ऐसी मांग बिहार सरकार ने की तथा 24 घंटों में इस मांग को स्वीकृति भी मिल गई।

सांसद राउत ने कहा, केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता सर्वोच्च न्यायालय में खड़े रहते हैं व ‘सुशांत खुदकुशी मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया गया है.’ ऐसा कहते हैं।  राज्य की स्वायत्तता पर यह सीधा हमला है। सुशांत मामला कुछ और समय मुंबई पुलिस के हाथ में रहा होता तो आसमान नहीं टूट जाता लेकिन किसी मुद्दे पर राजनीतिक निवेश व दबाव की राजनीति करने को कहा जाए तो हमारे देश में कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि सुशांत प्रकरण की ‘पटकथा’ मानो पहले ही लिखी गई थी।  पर्दे के पीछे बहुत कुछ हुआ होगा लेकिन जो हुआ उसका सार एक वाक्य में कहा जाए तो इसे ‘महाराष्ट्र के खिलाफ साजिश’ ही कहना होगा।

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