पुडुचेरी में राजनीतिक सियासी उठापटक में आखिरकार नारायणसामी को जाना पड़ा। उन्होंने विधानसभा में अपना विश्वासमत खो दिया है। वहां पर कांग्रेस पार्टी की सरकार गिर गयी है। मुख्यमंत्री नारायणसामी ने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। 6 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद नारायणसामी की सरकार अल्पमत में आ गई थी। दो विधायकों ने 21 फरवरी को इस्तीफा दे दिया। फिर वहां सियासी संकट और गहरा गया। 22 फरवरी को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी ने समर्थक विधायकों के साथ विधानसभा से वाॅकआउट कर दिया।
उपराज्यपाल से मुलाकात कर उन्होंने अपना त्यागपत्र दे दिया। विधानसभा में पुडुचेरी के सीएम वी. नारायणसामी ने कहा, हमने द्रमुक और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से सरकार बनाई। हमने विभिन्न चुनावों का सामना किया। हमने सभी उपचुनाव भी जीते थे। पुडुचेरी की जनता हम पर भरोसा करती है। पुडुचेरी की पूर्व एलजी किरण बेदी पर अपनी भड़ास निकालते हुए उन्होंने कहा, बेदी और केंद्र सरकार ने टकराव का रास्ता अपनाया और सरकार को गिराने की कोशिश की। हमारे विधायक एक साथ नहीं रहे। हम अंतिम 5 वर्ष निकालने में असफल रहे। केंद्र ने पुडुचेरी की जनता के साथ विश्वासघात किया है।
विधानसभा में उन्होंने कहा तमिलनाडु तथा पुडुचेरी में हम दो भाषा प्रणाली का पालन करते हैं। भाजपा हिंदी को लागू करने के लिए जबरन कोशिश कर रही है। नारायणसामी ने यह भी कहा विधायकों को पार्टी के प्रति वफादार रहना चाहिए। इस्तीफा देने वाले विधायक लोगों का सामना नहीं कर पाएंगे क्योंकि लोग उन्हें अवसरवादी कहेंगे। कांग्रेस पार्टी ने अपने एक विधायक को पिछले वर्ष बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 33 सदस्यीय विधानसभा में 30 निर्वाचित सीटें हैं। तीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नाॅमिनेटेड सदस्य हैं। कांग्रेस के वर्तमान में नौ विधायक हैं। इस विधानसभा अध्यक्ष एसपी शिवकोलुंदी भी हैं।