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नेताओं का पलायन रोकने में विफल कांग्रेस

कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले कपिल सिब्बल पार्टी के उन दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं जो पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन को लेकर कई बार आवाज उठा चुके थे। इनमें गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी समेत कई नेता शामिल हैं। सिब्बल के कांग्रेस छोड़ने से ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी अपने नेताओं के पलायन को रोकने में विफल रही है

कांग्रेस ने बीते दिनों उदयपुर में तीन दिनों का चिंतन शिविर आयोजित किया था। इसमें पार्टी के बड़े नेता शामिल हुए। इस चिंतन में इसी साल होने वाले गुजरात, हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों सहित 2024 आम चुनाव के लिए रणनीति तैयार की गई। चिंतन शिविर के आखिरी दिन पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने क्षेत्रीय पार्टियों को लेकर बयान दिया था कि भाजपा को हराना रीजनल पार्टी के बस की बात नहीं है। इस बयान के बाद कांग्रेस के अलग-थलग पड़ने के कयास भी लगाए जा रहे थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल हैं। सिब्बल अब इस पुरानी पार्टी को छोड़ चुके हैं। उनके पार्टी छोड़ने को लेकर कहा जा रहा है कि संगठन में सुधार लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद पार्टी आलाकमान अपने नेताओं के पलायन को रोकने में नाकाम रहा है।

इस घटनाक्रम पर भले ही कांग्रेस ने खुलकर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन अंदर ही अंदर मंथन चल रहा है। अब पार्टी महाराष्ट्र से मुकुल वासनिक को राज्यसभा में भेजने की तैयारी कर रही है, जो जी-23 का हिस्सा रहे हैं। महाराष्ट्र से असंतुष्टों के गुट जी-23 में दो ही नेता शामिल थे, पृथ्वीराज चव्हाण और मुकुल वासनिक। लेकिन कांग्रेस वासनिक को राज्यसभा की खाली सीट पर भेजने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि वह कपिल सिब्बल के पार्टी छोड़ने से डरी हुई है। अब वह कुछ और सीनियर नेताओं को खोना नहीं चाहती। लेकिन कहा जा रहा है कि सिब्बल के अलावा, संगठन में वरिष्ठ पदों पर बैठे कई अन्य नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ने का विकल्प चुना है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई राज्यों में पार्टी अंदरूनी कलह से गुजर रही है।

गौरतलब है कि जी-23 नेताओं की ओर से अगस्त 2020 में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा गया था, जिसमें संगठन में बड़े बदलावों की मांग की गई थी। लोकसभा चुनाव और राज्यों में लगातार हार के बाद यह पत्र लिखा गया था। इस लेटर को लिखने वाले नेताओं में भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, शशि थरूर, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण समेत कई सीनियर नेता शामिल थे। इस बीच उन हाल के महीनों में पार्टी अलाकमान के मुखर आलोचक रहे कपिल सिब्बल ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। कपिल सिब्बल ने लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी की ओर से उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर के कुछ दिन बाद यानी 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मैं एक कांग्रेस नेता था। लेकिन अब और नहीं। मैंने 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। मैं अखिलेश यादव जी का शुक्रगुजार हूं कि 2024 आम चुनाव के लिए कई लोग एक साथ आ रहे हैं। हम 2024 से पहले केंद्र सरकार की कमियों को उजागर करेंगे।’

इस साल कांग्रेस छोड़ने वाले नेता
सुनील जाखड़ः पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पिछले महीने कांग्रेस ने कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें सभी पदों से हटा दिया था। जाखड़ ने कहा कि उन्होंने पंजाब में राष्ट्रवाद, भाईचारे और एकता जैसे मुद्दों पर कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया है।

हार्दिक पटेलः गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। पिछले कुछ हफ्तों से हार्दिक पटेल पार्टी के कामों पर सवाल भी उठा रहे थे। अपने इस्तीफे को लेकर हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस के पास लोगों के लिए कोई रोडमैप नहीं है। इसके अलावा पटेल ने कहा कि देश अयोध्या में राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, जीएसटी के कार्यान्वयन और कांग्रेस जैसे मुद्दों का समाधान चाहता है। हार्दिक पटेल अभी तक किसी पार्टी में नहीं गए हैं, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
रिपुन बोराः असम के पूर्व पीसीसी प्रमुख ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अप्रैल में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। अपने इस्तीफे में, बोरा ने कांग्रेस के भीतर की अंदरूनी कलह की ओर इशारा किया, उन्होंने दावा किया कि पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश किया जा रहा है और भाजपा के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
अश्विनी कुमारः पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने फरवरी में कई राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। कुमार ने कहा कि उन्होंने फैसला किया है कि वर्तमान परिस्थितियों में और मेरी गरिमा के अनुरूप, मैं पार्टी के बाहर रहकर राष्ट्र की सेवा कर सकता है।
आरपीएन सिंहः पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने इस साल जनवरी में उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने आरपीएन सिंह को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। सूची जारी होने के एक दिन बाद ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे कर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों में कांग्रेस ने असंतुष्ट नेताओं को जगह देने की कोशिश की है। जी-23 में शामिल रहे सीनियर नेताओं आनंद शर्मा और गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने दो राजनीतिक समितियों में जगह दी गई है, जिनका गठन चिंतन शिविर के बाद किया गया है। इन समितियों को पार्टी में सुधार के लिए सुझाव देने का काम सौंपा गया है।

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