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जी-23 समूह को मनाने में जुटी कांग्रेस

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही है। करीब एक दशक से पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। हर चुनावी मोर्चे पर उसे भाजपा से मात खानी पड़ रही है। इस सबके बीच बड़ी दिक्कत यह भी है कि पार्टी को बाहर से ज्यादा अपने भीतर ही लड़ना पड़ रहा है। केंद्र में नेतृत्व के सवाल पर मतभेद हैं, तो राज्यों में पार्टी का जनाधार लगातार सिमटता जा रहा है। हाल ही में हुए पांच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व अब अंदरूनी झगड़ों के चलते पार्टी से नाराज चल रहे जी 23 समूह के नेताओं को मनाने में जुट गया है।


गौरतलब है कि कभी देश में एकछत्र राज करने वाली पार्टी आज कई राज्यों में अपने वजूद के संकट से जूझ रही है। एक के बाद एक लगातार चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के तमाम नेता शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं का समूह जिसे जी-23 के नाम से भी जाना जाता है वो सक्रिय है। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 को मनाने के लिए पार्टी आलाकमान ने पेशकश की थी। उसके बाद सोनिया गांधी ने सुलह की दिशा में कदम उठाया है। दरअसल, जी-23 के नेता काफी समय से कांग्रेस संगठन में समग्र बदलाव की मांग कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने तो कांग्रेस को परिवारवाद से मुक्त कर ‘घर की कांग्रेस’ को ‘सबकी कांग्रेस’ बनाने की बात कही है।

इस बीच अब जी-23 को मनाने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों सक्रिय हो गए हैं। बीते कुछ दिनों से हो रही मुलाकातों के दौर से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि असंतुष्टों की नाराजगी जल्द खत्म हो सकती है। जी-23 के कुछ नेता गत् सप्ताह अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे। इनमें आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और विवेक तन्खा शामिल थे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने उनके आवास पहुंचे थे। जानकारी के मुताबिक असंतुष्ट नेताओं की शिकायतें, सुझाव और भावनाओं को जानने के बाद सोनिया गांधी ने इन नेताओं को आश्वासन दिया कि भविष्य में उनके सुझावों के आधार पर पार्टी आगे बढ़ेगी। असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी राहुल के करीबी उन नेताओं को लेकर है, जिन्हें कुछ सालों में आगे बढ़ाया गया और बड़ी जिम्मेदारी दी गई। जानकारों के मुताबिक असंतुष्टों को लगता है कि राहुल के कुछ करीबियों के कारण ही दूरियां बढ़ी हैं।

इससे पहले गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। आजाद भी जी-23 में शामिल हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने बाद आजाद के घर पर जी-23 के नेताओं की बैठक हुई थी। इसमें कहा गया था कि भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस को मजबूत करना जरूरी है। इस दौरान जी-23 समूह ने कहा था कि कांग्रेस के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सभी स्तरों पर समावेशी और सामूहिक नेतृत्व और निर्णय लेने का मॉडल अपनाना है। जी-23 के नेताओं का कहना है कि वे कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं। पार्टी को किसी भी तरह से कमजोर नहीं करना चाहते हैं। इस बैठक के बाद कांग्रेस के 18 नेताओं ने बयान जारी कर कहा था कि वे तब तक पार्टी नहीं छोड़ेंगे, जब तक उन्हें पार्टी से बाहर नहीं किया जाता। जी-23 में संदीप दीक्षित, शशि थरूर, भूपिंदर हुड्डा, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह, पीजे कुरियन, राज बब्बर और पृथ्वी राज चव्हाण जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त और लगातार नेताओं- कार्यकर्ताओं का पार्टी छोड़कर जाने के सिलसिले पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।

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