गोवा विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। सभी पार्टियां अपने -अपने उम्मीद्वारों की घोषणाएं कर रही हैं। इस दौरान सभी राजनीतिक पार्टियों में आरोप – प्रत्यारोप और दलबदल का खेल भी चरम है। प्रदेश में एक ओर जहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है वहीं दलबदल से परेशान कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को मंदिर, दरगाह और चर्च में शपथ दिलाने में व्यस्त है। पार्टी ने कई अपने कई प्रत्याशियों को कसम दिलाई है कि वे निर्वाचित होने के बाद पाला नहीं बदलेंगे। दरअसल , कांग्रेस को डर है कि चुनाव जीतने के बाद कहीं उसके विधायक पाला न बदल दे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उम्मीदवारों ने शपथ लेते हुए कहा, देवी महालक्ष्मी के चरणों में हम शपथ लेते हैं कि हम कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार रहेंग। हम संकल्प लेते हैं कि हर हाल में पार्टी के साथ रहेंगे। चुनाव जीतने के बाद हम अगले पांच वर्षों तक पार्टी नहीं बदलेंगे। उन्होंने आगे कहा, ‘हम इसे लेकर बहुत गंभीर हैं। किसी भी पार्टी को हमारे विधायकों को खरीदने की अनुमति नहीं देंगे हम भगवान से डरने वाले लोग हैं। हमें परमात्मा पर पूरा भरोसा है। इसलिए, आज हमने संकल्प लिया है कि हम दलबदल नहीं करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव से अब तक पार्टी के टिकट पर निर्वाचित होकर आए अधिकतर विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। कांग्रेस को वर्ष 2017 में गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए मतदान में 17 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन अब उसके केवल दो विधायक सदन में बचे हैं।
वर्ष 2019 में कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरिश चोडानकर ने कहा, ‘लोगों के मन में भरोसा पैदा करने के लिए उम्मीदवारों को ईश्वर के समक्ष शपथ दिलाई गई।वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, जिन्हें पार्टी ने गोवा का चुनाव पर्यवेक्षक बनाया है, वो भी सभी उम्मीदवारों के साथ धार्मिक स्थलों पर गए। हालांकि कांग्रेस राज्य में पहली पार्टी नहीं है जो इस तरह का कार्य कर रही है। इससे पहले पिछले साल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) अपने तीन विधायकों और पदाधिकारियों को मापुसा स्थित देव बोदगेश्वर मंदिर ले गई थी और उन्हें वर्ष 2022 गोवा विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन नहीं करने की शपथ दिलाई थी।