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भाजपा के ‘साइलेंट वोटरों’ पर कांग्रेस का दांव

विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से कांग्रेस मजबूत हुई है। यात्रा के जरिए राहुल गांधी सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अंदर नया जोश ही नहीं भर रहे हैं बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी साधने की कोशिश करते दिख रहे हैं। वे इस यात्रा में बेरोजगारी, ओल्ड पेंशन योजना, किसानों और कामगारों को साधते दिख रहे हैं, वहीं अब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘साइलेंट वोटर’ यानी महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश तेज कर दी है। इसके लिए उन्होंने इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर 19 नवंबर को महाराष्ट्र के अकोला पहुंची यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल कर इसकी शुरुआत कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी ने महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ देश की आधी आबादी को साधने का दांव चल दिया है

वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव होने में लगभग दो साल का समय बाकी है, लेकिन देश के सभी राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपने सियासी आधार को फिर से मजबूत करने के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर है। राहुल गांधी तमिलनाडु से केरल, कर्नाटक, तेलंगाना होते हुए महाराष्ट्र तक का पैदल सफर तय कर चुके हैं। पदयात्रा के जरिए राहुल गांधी सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अंदर नया जोश ही नहीं फूंक रहे हैं बल्कि राजनीतिक समीकरण को भी साधने की कोशिश करते भी दिख रहे हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए वे बेरोजगारी, ओल्ड पेंशन योजना, किसानों और कामगारों को साध रहे हैं, इसी सिलसिले में अब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘साइलेंट वोटर’ यानी महिला मतदाताओं को साधा है। इसके लिए उन्होंने इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर 19 नवंबर को मध्य प्रदेश के अकोला पहुंची ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी ने महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ देश की आधी आबादी को साधने का दांव भी चल दिया है। इस दौरान राहुल ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में न केवल महिलाओं को शामिल किया है बल्कि उनके साथ पैदल चलते और बात करते भी नजर आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की महिला विधायकों, सांसदों और कार्यकर्ताओं के अलावा पंचायत सदस्य की महिलाएं भी इस यात्रा के विभिन्न चरणों में शामिल हो रही हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी के साथ यात्रा में 122 यात्रियों में से एक तिहाई से अधिक महिलाएं लगातार चल रही हैं। शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से 3 हजार 570 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए प्रतिबद्ध ये महिलाएं एक बड़े मिशन के लिए अपने परिवार को 150 दिनों के लिए छोड़कर यात्रा में शिरकत कर रही हैं। इसके अलावा राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में अनोखे अंदाज में दिख रहे हैं। राहुल गांधी रास्ते में चाय की दुकानों पर छोटे-छोटे समूहों में शामिल हो जाते हैं। उनसे बातें करते हैं। वह दुकानदारों, युवाओं, उत्साहित स्कूली बच्चों, छोटे बच्चों, स्थानीय ग्रामीणों के साथ सहज रूप से मिलते हैं।

राहुल के इस अंदाज को लेकर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस यात्रा के जरिए राहुल भाजपा के एक ऐसे वोट बैंक को साधने का प्रयास कर रहे हैं जो कभी कांग्रेस के साथ हुआ करता था। दरअसल, भाजपा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी योजनाओं और नीतियों के जरिए एक नया मजबूत वोट बैंक तैयार किया है, जिसे ‘साइलेंट वोटर’ के रूप में जाना जाता है। भाजपा की लगातार जीत में इस साइलेंट वोटर की भूमिका रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे महिला मतदाताओं के समर्थन को बड़ी वजह माना गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव के बाद खुद बताया था कि भाजपा की जीत में यह साइलेंट वोटर कोई और नहीं बल्कि महिला मतदाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था ‘भाजपा के पास साइलेंट वोटर का एक ऐसा वर्ग है जो उसे बार-बार वोट दे रहा है। यह साइलेंट वोटर देश की नारी शक्ति है। ऐसा इसलिए है कि भाजपा के शासन में महिलाओं को पूरा सम्मान भी मिलता है और सुरक्षा भी।’ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यही रणनीति अपनाई थी। आपको याद होगा कि प्रयागराज में संगम के तट पर किस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में 2 लाख से अधिक महिलाओं को बुलाया गया था। महिला सफाई कर्मचारियों के पैर भी खुद प्रधानमंत्री ने अपने हाथों से धोये थे। पीएम मोदी ने 1000 करोड़ रुपए स्व सहायता समूहों के खातों में ट्रांसफर किए थे, जिससे स्व सहायता समूहों की लगभग 16 लाख महिला सदस्यों को इसका फायदा मिला था। इन्हीं सब कारणों की वजह से उत्तर प्रदेश में मिली जीत का श्रेय भाजपा ने साइलेंट वोटरों को दिया था।

गौरतलब है कि केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस महिला वोटरों पर ही रहा है। ‘उज्ज्वला योजना’, ‘शौचालयों का निर्माण’, ‘पक्का घर’, ‘मुफ्त राशन’, ‘महिलाओं को आर्थिक मदद’ जैसी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनका सीधा लाभ महिलाओं को होता है। मुद्रा योजना के तहत सर्वाधिक जोर अनुसूचित समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर है। महिलाओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कई योजनाओं पर विश्वास ही है जो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा।

भाजपा की इसी सियासी ताकत को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने भी महिलाओं को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए साधने की कवायद की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिला मतदाताओं की संख्या में पिछले 3 सालों में 5.1 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश में 43.8 करोड़ महिला मतदाता थीं, जो अब 46.1 करोड़ हो गई हैं, जबकि अगर पुरुष मतदाताओं की बात करें तो इनमें महज 3.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। यानी साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पुरुष मतदाताओं की संख्या देश में 47.3 करोड़ थी, जो अब बढ़कर 49 करोड़ हो गई है।

देश में कुल मतदाताओं की संख्या देखें तो लगभग 95.1 करोड़ है, जबकि साल 2019 में यह 91.2 करोड़ थी। महिला मतदाताओं की भूमिका चुनावों में हमेशा खास रही है। इसलिए भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दल भी इन तक पहुंचने का प्रयास करते रहते हैं। इसी कड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर राहुल गांधी ने महिलाओं को साथ लेकर आधी आबादी के बीच अपनी पैठ को मजबूत बनाने की कोशिश की है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस महिलाओं के बीच अपनी पैठ इसलिए भी गहरी करना चाहती है, क्योंकि देश में अब महिलाएं अपने मत का प्रयोग चुनावों के दौरान बढ़-चढ़कर कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हम बंगाल, बिहार, गोवा, मणिपुर, मेघालय, केरल और अरुणाचल प्रदेश के चुनावों पर ध्यान दें, तो यहां महिला मतदाताओं की संख्या, पुरुष मतदाताओं से अधिक रहती है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी यही ट्रेंड देखने को मिला है। चुनाव आयोग के मुताबिक प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से 42 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोटिंग की है।

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