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कांग्रेस में और बढ़ सकता है घमासान 

कांग्रेस पार्टी का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। इसका गठन वर्ष 1885 में हुआ जिसका श्रेय एलन ऑक्टेवियन ह्यूम को जाता है। उन्हीं की अगुआई में बॉम्बे में पार्टी की पहली बैठक हुई थी।मौजूदा समय में सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के पिछले कुछ सालों से  बहुत बुरे दिन चल रहे हैं। पार्टी का नेतृत्व किन हाथों में हो ,इस मुद्दे पर नेताओं का आपसी घमासान थम नहीं पा रहा है।

 

आगामी दिनों में यह घमासान और तेज होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए कि न तो असंतुष्ट नेता अपने कदम पीछे खीचने को तैयार हैं और न ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल उनकी बात मानने के मूड में दिखाई देते हैं। कांग्रेस के लिए वाकई चिंता का विषय है कि जहां एक ओर केंद्र और राज्यों में उसका जनाधार सिमटता जा रहा है, वहीं पार्टी के सामने अहम सवाल यह  भी है कि आखिर भविष्य में  पार्टी का खेवनहार कौन होगा? पार्टी अपना नेतृत्व ही तय नहीं कर पा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष  के तौर पर काम कर रही हैं। पार्टी में जारी वैचारिक मतभेद के बीच अब पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब ,उत्तराखण्ड गोवा  और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार से पार्टी आपसी उलझनों से पार नहीं पा रही है। इसके चलते G-23 समूह एक बार फिर पार्टी के नेतृत्व को लेकर हमलावर हो गया है।

इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 में बुरी तरह परास्त होने के बाद से  कांग्रेस के कुछ बाग़ी नेताओं की ओर से पिछले  साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी और उसके बाद पार्टी में खासा हंगामा हुआ था। इन बाग़ी नेताओं के गुट को G-23 गुट कहा जाता है। ऐसे में अब जब पांच महत्वपूर्ण राज्यों में पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी भीतर कहीं पिछले साल जैसा भूचाल फिर खड़ा न हो जाए।

 

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दरअसल ,यूपी समेत पांच राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद से G-23 कहा जाने वाला पार्टी का असंतुष्ट खेमा का काफी सक्रिय है। इस दौरान वरिष्ठ नेता  गुलाम नबी आजाद के घर पर 18 नेताओं की बैठक हुई, जिसमें कुछ लोग जी-23 का हिस्सा हैं, जबकि कई और नए नेता भी शामिल रहे। बैठक को लेकर कहा जा रहा था कि इसमें कांग्रेस में बड़े बदलावों की मांग के साथ कुछ प्रस्ताव पारित हो सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। नेताओं ने सामूहिक और समावेशी लीडरशिप की मांग की है। इस बैठक में गैर-गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनाने या फिर संगठन चुनावों को लेकर कोई मांग नहीं की गई।

हालांकि इन नेताओं ने पार्टी को सुझाव दिया है कि कांग्रेस को उन दलों के साथ गठबंधन करने चाहिए, जो उसकी विचारधारा से सहमति रखते हैं। खासतौर पर 2024 के आम चुनाव के लिए यह सुझाव दिया गया है। इन नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को कोशिश करनी चाहिए कि वह विपक्षी दलों के बीच अलग-थलग न पड़े। इस मीटिंग में कुल 6 राज्यों के नेता शामिल थे। गांधी परिवार पर ही सीधा हमला करने वाले कपिल सिब्बल के अलावा आनंद शर्मा और पृथ्वीराज चव्हाण भी इसका हिस्सा थे। ये सभी नेता जी-23 ग्रुप का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने दो साल पहले सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बदलावों की मांग की थी।

 

हुड्डा, राज बब्बर, अय्यर समेत कई नए नेता भी G-23 का बने हिस्सा

 

यही नहीं इस बार की बैठक में हरियाणा के पूर्व मुख़्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, राज बब्बर, शंकर सिंह वाघेला और मणिशंकर अय्यर भी शामिल थे। ये सभी नेता पहले जी-23 का हिस्सा नहीं थे। दिलचस्प बात यह है कि केरल के बड़े नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर भी इस मीटिंग में पहुंचे। वह दो साल पहले सोनिया को खत लिखने वाले नेताओं में शामिल थे, लेकिन तब से ही उससे दूरी बनाए हुए थे। इन नेताओं ने एक बयान में कहा कि हम मानते हैं कि कांग्रेस को  आगे बढ़ना का एक ही तरीका है कि वह सामूहिक लीडरशिप के मॉडल को अपना ले। इसके अलावा हर स्तर पर निर्णय की प्रक्रिया हो। बयान में कहा गया, ‘भाजपा का मुकाबला करने और कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हम मांग करते हैं कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों के साथ एक प्लेटफॉर्म पर आए। तभी 2024 आम चुनाव के लिए एक बेहतर विकल्प दिया जा सकेगा।’

 

 कपिल सिब्बल के घर मीटिंग से बचे नेता

 

इस दौरान यह ग्रुप गांधी परिवार के खिलाफ जाने से भी बचता दिखा। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि पहले यह मीटिंग कपिल सिब्बल के घर पर होनी तय हुई थी, लेकिन अंत समय में प्लान चेंज हो गया और सभी नेताओं का जमावड़ा गुलाम नबी आजाद के घर पर लगा। दरअसल एक बयान में कपिल सिब्बल ने सीधा हमला गांधी फैमिली पर किया था। ऐसे में उनके घर पर मीटिंग को टाल दिया गया ताकि यह संदेश न जाए कि यह गुट गांधी परिवार के खिलाफ जा रहा है।

 

जी-23’ में शामिल नेता

 

गुलाम नबी आजाद,कपिल सिब्बल,मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा, अजय सिंह, सांसद विवेक तन्खा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्ठल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश सिंह, कुलदीप शर्मा, शंकर सिंह वाघेला , मणिशंकर अय्यरयोगानंद शास्त्री, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित शामिल हैं।

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