कोरोना महामारी से देश में तबाही मची हुई है। महामारी के तांडव के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है। हालात इतने ख़राब हो गए हैं कि अस्पताल ऑक्सीजन, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कमी का सामना कर रहे हैं । दूसरी ओर कोरोना वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण में आ रही दिक्क़तों को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच लगातार टकराव देखने को मिल रहा है। इस सबके बीच केंद्र सरकार ने एक आदेश में कहा है कि वैक्सीन स्टॉक रखने, स्टोरेज करने और इसके तापमान आदि से जुड़े आंकड़े बेहद संवेदनशील जानकारियां हैं। इसका उपयोग केवल सक्षम एजेंसियों के द्वारा वैक्सीनेशन को आगे बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। केंद्र ने कहा है कि इन बातों का ध्यान रखते हुए कोरोना वैक्सीन से जुड़े आंकड़े किसी भी अन्य एजेंसी से साझा न किए जाएं।
केंद्र सरकार के इस आदेश के पीछे जो भी तर्क हों, इस आदेश को पाने के बाद राज्यों में हलचल तेज हो गई है। राज्यों ने केंद्र के इस आदेश को अपने अधिकारों में अनावश्यक हस्तक्षेप बताया है। राज्यों ने इस बात की भी आशंका जाहिर की है कि इस तरह के आदेश के पीछे कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता, इसके वितरण और उपयोग के मामले को केंद्र सरकार छिपाने की कोशिश कर रही है।
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दिल्ली सरकार में कोरोना मामलों के नोडल मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि केंद्र का यह आदेश आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा है कि कोरोना वैक्सीन की जानकारी कैसे इतनी संवेदनशील हो सकती है कि इसे जनता के सामने लाया जाए तो यह किसी को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि जिस समय केंद्र सरकार को पूरा ध्यान इस बात पर लगाना चाहिए कि वह देश को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन उपलब्ध कराए और देश के सभी लोगों को वैक्सीन दी जा सके, इस तरह का आदेश उसके इरादों पर संदेह पैदा करता है।
दिल्ली स्वास्थ्य निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक़, वैक्सीन से जुड़ी किसी भी जानकारी को किसी से साझा करना किसी भी तरह से संवेदनशील नहीं हो सकता। दरअसल, सच्चाई तो यह है कि जब ये वैक्सीन बनाई जाती है और जब इसे केंद्र या राज्यों को उपलब्ध कराया जाता है, उसी समय यह बता दिया जाता है कि इस वैक्सीन को किस तापमान पर और किन परिस्थितियों में सुरक्षित रखा जा सकता है।
केंद्र सरकार के इस आदेश के उलट दिल्ली सरकार ने रोजाना दिल्ली को मिलने वाली वैक्सीन और उसके उपयोग और शेष बची वैक्सीन के बारे में जनता को जानकारी दी है। सरकार ने यह नीति केवल वैक्सीन के बारे में ही नहीं अपनाई, ऑक्सीजन का मुद्दा हो या दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना बेड्स की उपलब्धता की बात हो, इसे रोजाना मीडिया के माध्यम से जनता के सामने रखा है ।
दिल्ली सरकार के इस तरीके से केंद्र सरकार भी कटघरे में खड़ी हुई है । जब राज्य सरकार ने रोज दिल्ली में वैक्सीन की उपलब्धता, वैक्सीन की कमी और इसके कारण वैक्सीनेशन केन्द्रों के बंद होने की जानकारी मीडिया को साझा की है । आम आदमी पार्टी का कहना है कि उसके इन्हीं खुलासों के कारण केंद्र सरकार परेशान हो गई और अब इस तरह का आदेश जारी कर आंकड़ों को छिपाने की कोशिश हो रही है।