महाराष्ट्र की राजनीति पर इस समय पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। राजनीतिक पंडित और मीडिया जगत के लोग महसूस कर रहे हैं कि राज्य में नए सियासी समीकरण बन रहे हैं। पिछले कुछ समय से राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार में गठबंधन के दलों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।हालांकि कहा यह जा रहा है कि सबकुछ ठीक चल रहा है ,भले ही शीर्ष नेताओं की ओर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इस सबके बीच कल 18 जुलाई को महाविकास अघाड़ी के दो महत्वपूर्ण दलों शिवसेना और एनसीपी के बीच एक बार फिर से टकराव देखने को मिला है।
दरअसल कुछ दिन पहले एनसीपी के सांसद अमोल कोल्हे ने कहा था कि उनके नेता शरद पवार के आशीर्वाद से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। उनके इस बयान के बाद अब विवाद और तेज हो गया है। उनके इस बयान के जबाब में शिवसेना के पूर्व सांसद शिवाजीराव आधलराव पाटिल ने एनसीपी पर तीखा वार करते हुए कहा कि शिवसेना ने तय किया है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन होगा और अगले 25 सालों तक वह ऐसा करती रहेगी।
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हालांकि अब इस विवाद को बढ़ते देख कोल्हे ने कहा है कि मेरी बात को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है । मैंने कहा था कि मैं सीएम उद्धव ठाकरे का बहुत सम्मान करता हूं। यदि किसी को संदेह है तो वह लोकसभा में मेरे भाषणों को देख सकता है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिवसेना सीएम के नाम पर मेरी और पार्टी की आलोचना करती रही है। मैंने कहा था कि यदि वह ऐसा करते हैं और फिर सीएम के पीछे जाकर छिप जाते हैं तो उन्हें यह याद रखना चाहिए उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री का पद एनसीपी के मुखिया शरद पवार के आशीर्वाद से मिला है।’ कोल्हे ने कहा कि मेरे इस बयान को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए और यह जानना होगा कि ऐसा क्यों कहा था।
कोल्हे ने सीएम से अपने संबंधों को याद दिलाते हुए कहा कि मैंने संसद में हमेशा ही महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दों को उठाया है और खुद सीएम ने भी इसकी जमकर तारीफ की है। वहीं उनके बयान से पीछे हटने पर भी शिवाजीराव पाटिल ने हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अब वह शरद पवार की नसीहत के बाद पीछे हट रहे हैं।