देश में कोरोना महामारी अब तेजी से बढ़ती ही जा रही है। और पिछले चार दिनों से 60 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की पुष्टि हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले चौबीस घंटों में देशभर में कोरोना के 62 हजार 64 लोगों की पुष्टि हुई है। जिसके बाद देश में अब कुल संक्रमितों की संख्या 22 लाख 15 हजार 75 हो गई है। इस बीच कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र में अब एक नई पहल हो रही है। यहां आवाज के माध्यम से कोरोना की जांच होगी। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस बारे में ट्वीट भी किया है। माना जा रहा है कि बीएमसी अगले हफ्ते से वॉइस-बेस्ड तकनीक से संक्रमण की जांच शुरू कर सकती है।
.@mybmc will do a pilot of AI-based COVID-19 detection test using voice samples. Of course, regular RT-PCR test will follow but the globally tested technique proves that the pandemic has helped us see things differently & spruce up use of tech in our health infrastructure. pic.twitter.com/LMFthVhXXk
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) August 9, 2020
आवाज सुनकर लोगों में संक्रमण पहचानने की इस तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) काम करता है। इसके तहत किसी संदिग्ध मरीज को मोबाइल या किसी कंप्यूटर के सामने बोलने को कहा जाएगा। इसमें पहले से ही वॉइस एनालिसिस एप इंस्टॉल्ड होगा साथ ही साथ संदिग्ध के वाइटल पैरामीटर यानी तापमान, बीपी का एनालिसिस भी होगा।
संदिग्ध के बोलने के साथ ही( AI )आधारित सिस्टम अपना काम शुरू कर देगा। ये देखेगा कि संदिग्ध की आवाज की फ्रीक्वेंसी क्या है और क्या आवाज में कोई खरखराहट या ऐसी कोई ध्वनि सुनाई दे रही है। संदिग्ध की आवाज को उस व्यक्ति की आवाज से मिलान किया जाएगा जो स्वस्थ हो। इस एप में पहले से ही स्वस्थ लोगों की आवाज के सैकड़ों-हजारों सैंपल डले होंगे। इसके बाद( AI) केवल 30 सेकंड में अपनी जांच की रिपोर्ट थमा देगा।
इस तकनीक के पीछे एक ऑडियो बेस्ड एप काम करता है, जिसे टिंबर कहते हैं। ये वॉइस क्वालिटी पर काम करता है। हमारे कान वॉइस पैरामीटर में हुए अलग-अलग बदलावों को पहचान नहीं पाते हैं, जबकि AI बखूबी ये काम करता है। किसी भी व्यक्ति की आवाज में 6300 अलग-अलग वॉइस पैरामीटर होते हैं, जिसमें फर्क पहचानना आम आदमी के लिए आसान नहीं. यही वजह है कि इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जा रही है। चूंकि कोरोना वायरस सबसे पहले लंग्स पर ही असर डालता है इसलिए माना जा रहा है कि इससे आवाज में भी कोई न कोई बदलाव होता होगा क्योंकि लंग्स का संबंध रेस्पिरेटरी सिस्टम से है और ये आवाज से जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि महाराष्ट्र में वॉइस टेस्टिंग तकनीक की शुरुआत हो रही है।
इससे पहले इजरायल ने सबसे पहले वॉइस टेस्टिंग तकनीक की बात की थी। जुलाई में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए तकनीकी तौर पर बेहद जानकार इस देश ने ऐसी टेस्ट तकनीक खोजने की पहल की, जो जल्द से जल्द रिजल्ट दे सके. फिलहाल हो रही जांचों में कई घंटे और दिन भी लग रहे हैं। इससे रिजल्ट आने तक मरीज से संक्रमण दूसरों में फैल सकता है। यही देखते हुए इजरायल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित इस तकनीक की बात की थी।
इसके लिए भारत से भी इजरायल ने हाथ मिलाया , अगर टेस्ट के नतीजे सही लगते हैं तो भारत में किट बनाई जाएंगी और मार्केटिंग जैसे काम इजरायल करेगा। इसके तहत आवाज के अलावा ब्रीद-एनालाइजर टेस्ट भी होगा। इसमें एक उपकरण में शख्स की सांस का सैंपल लिया जाएगा फिर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से उसकी जांच होगी। इसके अलावा इसोथर्मल टेस्टिंग के नाम से भी एक टेस्ट होगा। ये एक बायोकेमिकल टेस्ट है जिसके तहत थूक या लार के सैंपल से जांच होती है। इसके नतीजे लगभग 30 मिनट में आते हैं।