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स्वच्छता को लेकर शुरू हुई प्रतियोगिता

देश में बढ़ते प्रदूषण और गंदगी को देखते हुए भारत को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत मिशन योजना की शुरुआत की गई थी। इसी बीच असम में गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए एक नई पहल की शुरूआत की गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार खुमताई निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के विधायक मृणाल सैकिया ने अपने क्षेत्र को स्वच्छ बनाने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की है ।

 

स्वच्छता के आधार पर मिलेगा गांवों को इनाम

 

मृणाल सैकिया ने इस प्रतियोगिता की घोषणा करते हुए जीतने वाले गावों के लिए इनाम भी रखे हैं। जिसके तहत पहले नंबर पर आने वाले गांव में 1 किलोमीटर की कंक्रीट रोड बनाई जाएगी। दूसरे नंबर पर आने वाले गांव में 10 लाख रुपए के विकास कार्य की शुरुआत की जाएगी, तीसरे नंबर पर रहने वाले गांव को 8 लाख रुपए दिए जाएंगे, चौथे नंबर पर आने वाले गांव को 5 लाख रुपए और पांचवें नंबर पर आने वाले गांव को 3 लाख रुपए का विकास कार्य प्रदान किया जाएगा।

 

सीएम करेंगे विजेता गांवों का ऐलान

 

इस प्रतियोगिता की घोषणा पिछले महीने 13 फरवरी को की गई थी। जिसके बाद 1 से 3 मार्च के बीच विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों की स्वच्छता का सर्वे किया गया। जिसकी जिम्मेदारी न्यायाधीशों के पांच समूहों को दी गई है। जिसके आधार पर कोई समूह गांव का दौरा करेगा तो कोई बागानों की साफ-सफाई का आकलन करेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा विजेताओं की घोषणा करेंगे। संभावनाएं हैं कि हिमंत बिस्वा 17 मार्च को खूमताई आएंगे और तभी विजेताओं की घोषणा करेंगे।

 

गावों की स्थिति में आया सुधार

 

हालांकि अभी परिणाम घोषित नहीं किये गए हैं लेकिन प्रतियोगिता के शुरू होने के बाद से यह देखा जा रहा है कि गावों की स्वच्छता में सुधार आया है। विधानसभा क्षेत्र के गांव और चाय बागानों की गंदगियां अब पूरी तरह से साफ हो चुकी है। सैकिया ने आगे कहा कि प्रतियोगिता की वजह से एक अच्छी बात सामने आई है कि गांवों में जमा सारा कचरा साफ कर दिया गया है, लेकिन अब इस सफाई को इसी तरह बरकरार रखना होगा तभी इस प्रतियोगिता का उद्देश्य सफल होगा।

 

स्वछता को लेकर उठाये गए कदम

 

भारत सरकार 1986 से ही कमजोर तबके के लिए शौचालय बनवाने का कार्यक्रम चला रही है। तब इस योजना को ‘सेंट्रल रूरल सैनिटेशन प्रोग्राम’ के नाम से जाना जाता था। 1999 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘टोटल सैनिटेशन कैंपेन’ रख दिया गया। साल 2011 में इस कार्यक्रम को चलाने वाले विभाग ‘केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता विभाग’ को मंत्रालय का दर्जा दे दिया गया। 2012-13 तक स्वच्छता और शौचालय बनवाने को लेकर सरकार इतनी गंभीर हुई इसके नाम 14,000 करोड़ का बजट कर दिया। साथ ही कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘निर्मल भारत अभियान’ कर दिया गया। सन् 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और उन्होंने इस पुराने वादे को नया जामा पहनाते हुए कथित नया अभियान शुरू किया, जिसे आज ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के नाम से जाना जाता है। इस कार्यक्रम की शुरुआत के साथ ही खुले में मल त्याग को खत्म करने की तय तारीख 2 अक्टूबर 2019 में भारत सरकार ने देश को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त भारत घोषित कर दिया।

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