दिल्ली के उत्तरपूर्वी क्षेत्र से लगभग चार दिनों से लगातार हिंसा की खबरें आ रही है। इस हिंसा से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 250 से अधिक लोग गंभीर हालात में विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। सबसे अधिक घायलों का इलाज जीटीबी अस्पताल में किया जा रहा है। इस हिंसा में शामिल लोगों ने कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस से लेकर हिंसा बढ़ाने वाले लोग न तो बुजुर्गों को देख रहे हैं न बच्चों को, और न ही औरतों को। चांद बाग, भजनपुरा, गोकुलपुरी, मौजपुर, करदमपुरी और जाफराबाद में हुई हिंसा ने राजधानी दिल्ली को हिला कर रख दिया है।
चारों तरफ डर का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरे इलाके में लोग भाग-भाग कर एक-दूसरे के घरों में पनाह लेने के लिए आ रहे थे। लेकिन इतनी नफरत के बावजूद इंसानियत ज़िंदा रहा। हिन्दू-मुस्लिम दोनों ने एक-दूसरे को पनाह दिया। अपने पड़ोसियों की देख-भाल की। कौमा एकता का एक मिसाल मुस्तफाबाद में देखने को मिला। यहां बसे भागीरथी गली-4 में कई हिंदू परिवार रहते हैं। अचानक वहां सैंकड़ों लोगों की भीड़ गली में घुसने की कोशिश करने लगी। यह देख सभी खौफ में आ गए। तभी गली के रहनेवाले हासिम, डॉक्टर फरीद और इरफान सहित कई और मुस्लिम ढाल बनकर गली के मेन गेट पर खड़े हो गए। उन सभी ने उपद्रवियों से कहा कि इस गली में रहनेवाले हिंदुओं तक पहुंचने के लिए उन्हें उनकी लाश से गुजरना होगा। यह सुनकर भीड़ में मौजूद लोग थोड़े ठंडे तो पड़े मगर उपद्रवी गली के बाहर डटे रहे। गली के गेट को तोड़ डाला, लेकिन मकसद में कामयाब नहीं हो पाए। सुनील जैन ने बताते हैं कि अगर मुस्लिम उनकी मदद के लिए आगे नहीं आते, तो उनकी गली में रहने वाला कोई भी हिंदू परिवार आज जिंदा नहीं होता।
हिंदू परिवारों को बचाने के लिए रातभर दिया पहरा
कुछ ऐसा ही यमुना विहार इलाके में भी देखने को मिला। नॉर्थ-ईस्ट के पॉश इलाकों में गिने जानेवाले यमुना विहार के सी-12 में रहने वाले दिनेश सिंह कहते हैं कि वह डीटीसी में जॉब करते हैं। उनका ब्लॉक रोड नंबर-66 से सटा है। रोड के बराबर से बहने वाली ड्रेन नंबर-1 से कबीर नगर कॉलोनी सटी हुई है। सैकड़ों उपद्रवी रोड नंबर-66 पर पहुंच गए थे। उनमें से कुछ यहां बन रहे फुट ओवर ब्रिज पर चढ़ गए और यमुना विहार सी-12 के घरों पर पथराव शुरू कर दिया। उपद्रवियों ने पथराव के साथ-साथ पेट्रोल बम से भी हमला किया। इससे उनके ब्लॉक में पार्किंग में खड़ी पांच कारें जल गईं। भीड़ कॉलोनी में घुसने जा रही थी तभी पास के कॉलोनी के मुस्लिमों ने मिल कर भीड़ को रोकने का प्रयास करने लगे। इतना ही नहीं वे सभी मुस्लिम हम हिंदू परिवारों को बचाने के लिए रातभर कॉलोनी के गेट पर डटे रहे। यह देख सभी उपद्रवी भाग गए।
एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि उन्होंने पिछले 34 वर्षों में ऐसा सांप्रदायिक उन्माद कभी नहीं देखा है। वे यहां लंबे समय से शांति से रह रहे हैं। चंद लोगों ने यहां का माहौल खराब करने की कोशिश की है। ये असामाजिक तत्व इलाके में अशांति पैदा कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का ये भी कहना था कि हिंसा बढ़ाने वाले लोग बाहर के थे। स्थानीय निवासी मोहम्मद साजिद ने कहा, “हिंदू और मुस्लिम लंबे समय से इलाके में शांति से रह रहे हैं। ऐसा पागलपन इलाके के लिए नया है। यही वजह है कि हमने सांप्रदायिक ताकतों को हराने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोगों ने बाहरी लोगों को खदेड़ दिया।
यमुना विहार के एक अन्य निवासी राहुल ने बताया, “लाठियों से लैस यहां के लोग बाहरी लोगों के खिलाफ रखवाली कर रहे हैं। हम इस तरह के तत्वों को कॉलोनी के अंदर दाखिल होने और हंगामा करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं रायसुद्दीन रेहान ने कहा कि केवल एकता ही विभाजनकारी तत्वों को हरा सकती है। हम ऐसे तत्वों के खिलाफ एक साथ आए हैं जो हमें विभाजित करने में नरक हैं। दोनों समुदायों के लोग इस लड़ाई को एक साथ लड़ रहे हैं।
भड़की हिंसा और उसके बीच एक महिला फंस गई। इसके बाद मोहम्मद अनस नाम के एक युवक ने मंगलवार (25 फरवरी) को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अपील करते हुए लिखा, “मेरे एक बहुत ही करीबी दोस्त का परिवार अकेला हिंदू परिवार है मुस्लिम मोहल्ले में। उनके घर पर माँ अकेली हैं। 60 वर्ष से अधिक उनकी आयु है। पिछले तीस सालों से मुस्तफाबाद में रह रहा है परिवार। अभी थोड़ी देर पहले उनके घर पर अटैक हुआ।” इसके साथ ही पोस्ट में लिखा, “मेरी मुस्तफाबाद में रहने वालों से अपील है कि उन्हें बख्स दें। ऐसा न करें। उनका कोई कसूर नहीं है। यह बहुत ही गलत बात है। मुस्तफाबाद के लोग यदि मेरा पोस्ट पढ़ रहे हैं तो उनकी सुरक्षा करें। हाथ जोड़ कर विनती है मेरी। इसके बाद उसने लिखा कि दिल्ली में रह रहे दोस्त इस पोस्ट को वॉयरल करें। जैसे भी हो उनकी हिफाज़त कीजिए।”
इसके बाद पोस्ट वायरल हो गया। कुछ घंटों के अंदर ही मुस्तफाबाद इलाके के कुछ मुसलमान युवक सामने आ गए और उपद्रव के बीच फंसी महिला को सही सलामत निकाल लाए। महिला को सुरक्षित निकालने में अहम भूमिका निभाई मोमिन सैफी और शान अंसारी नाम के दो युवकों ने। इस बात की जानकारी मोहम्मद अनस ने सोशल मीडिया के माध्यम से दी। इस तरह महिला की जान बचाकर दिल्ली के युवाओं ने मिसाल पेश की है।
एक मुस्लिम परिवार को भाजपा पार्षद ने बचाई जान
भाजपा पार्षद प्रमोद गुप्ता मुस्लिम परिवार की मदद के लिए आगे आए और लगभग 150 लोगों की हिंसक भीड़ से उनके घर को आग के हवाले होने से बचाया। जिस परिवार को प्रमोद गुप्ता ने बचाया वो शाहिद सिद्दीकी का परिवार था। शाहिद सिद्दीकी ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान बताया कि भीड़ ने अचानक नारे लगाते हुए पड़ोस की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। भीड़ ने उस ओर से प्रवेश किया जहां पुलिस ने बैरिकेडिंग नहीं कर रखा था और वह रास्ता जो मुस्लिम बहुल इलाके की ओर है। सिद्दिकी ने कहा कि यह घटना करीब 11.30 बजे की है। सिद्दीकी ने कहा कि भीड़ ने पहले उनके घर के नीचे एक बुटीक जलाया, जो उनके किराएदार का था। उसके बाद उनके परिवार की एक कार और मोटरबाइक को भी भीड़ ने जला दिया। उस बीच प्रमोद गुप्ता जी हमारे लिए फरिश्ता बनकर आए।
कुछ इसी तरह का मामला शिव विहार से भी सामने आया। प्रेमकांत बघेल नाम के एक शख्स ने अपने मुस्लिम पड़ोसी को बचाने के लिए जान की बाज़ी लगा दी। जब ये वाकया हुआ तो प्रेमकांत घर में थे। उन्होंने देखा कि पड़ोसी का घर जल रहा है। वो दौड़ कर पड़ोसियों को बचाने चले गए। वह परिवार के छह लोगों को निकाल चुके थे और एक बुजुर्ग मां अभी भी घर में फंसी थीं। आग की लपटें लगातार बढ़ते ही जा रही थी। प्रेमकांत उन्हें बचाने के दौरान आग में झुलस गए। प्रेमकांत ने बताया कि शिव विहार में हिंदू-मुस्लिम एक साथ बहुत सौहार्द के साथ रहते हैं। लेकिन दंगे के बाद स्थिति बहुत खराब हो गई है। पेट्रोल बम से लोगों के घर जलाए जा रहे थे। प्रेमकांत ने बताया कि भले वह जल गए, लेकिन उन्होंने अपने दोस्त की मां को बचाने में सफल रहे, इसकी खुशी है।
वहीं प्रेमकांत के भाई सुमित ने बताया कि जब वह जल गए, तब अस्पताल ले जाने के लिए किसी ने अपनी गाड़ी नहीं दी। क्योंकि शिव विहार, मुस्तफाबाद और खूंरेजी में चारों ओर दंगे का मंजर था। एंबुलेंस को भी कॉल किया। वहां से बताया गया कि एंबुलेंस पहुंच रही है, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। जली हुई हालत में प्रेमकांत रातभर अपने घर में ही तड़पते रहे। हमें उम्मीद नहीं थी कि प्रेमकांत बच पाएंगे। सुबह होने पर हम उन्हें जीटीबी अस्पताल लेकर आए, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बर्न वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। यहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।