सहकारिता के महत्व को अब आम लोग समझने लगे हैं। आम लोग पहले सेठ-साहूकारों और अब निजी फाइनेंशियल कंपनियों के हाथों लूटते रहे हैं। सरकारी बैंक अफसरशाही और कठोर नियमों के कारण आमजन से दूर है। इसलिए दिल्ली के अप्रवासियों ने अपनी छोटी-मोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के अब सहकारिता (को-ऑपरेटिव) की ओर रूख किया है। अप्रवासी खुद आपसी सहयोग से नए-नए को-ऑपरेटिव सोसाइटी का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे ही एक को-ऑपरेटिव सोसाइटी ‘काफल’ ने कल यानी 25 नवंबर को अपना दूसरा वार्षिकोत्सव मनाया।

उत्तर पूर्वी दिल्ली के बुराड़ी स्थित हाई हील्स पब्लिक स्कूल में ‘काफल’ ने अपना दूसरा वार्षिक महोत्सव का आयोजन किया। इस महोत्सव में उनके सैकड़ों सदस्यों के अलावा आम लोगों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली सरकार के हिन्दी और संस्कृत अकादमी सचिव डॉ जीतराम भट्ट थे। विशिष्ठ अतिथि केंद्र सरकार में वैज्ञानिक रही डॉ जोशी और कमालपुर के निगम पार्षद कौस्तुबानंद बलोदी थे। मुख्य अतिथि डॉ भट्ट ने कहा कि सहकारी के माध्यम से देश की दिशा बदली जा सकती है। इस बदलाव में आम लोग भागीदार होते हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन ने देश में कई बदलाव किए हैं। उम्मीद है कि ‘काफल’ सोसाइटी न केवल अपने सदस्यों की आर्थिकी मजबूत करेगा बल्कि देश की आर्थिक तरक्की में भी भागीदार बनेगा।
वैज्ञानिक डॉ जोशी ने ‘काफल’ को शुभकामनाएं दी और कहा कि जन-जन को इस सोसाइटी से जोड़ना चाहिए। कौस्तुबानंद बलोदी ने कहा कि सहकारिता आंदोलन का सबसे अच्छा उदाहरण ‘अमूल्य डेयरी’ और ‘लिज्जत पापड़’ है। जो सहकारी से शुरू होकर अब एक कंपनी का रूप ले लिया है। ‘काफल’ के महासचिव देवेंद्र रतूड़ी ने अपने सोसाइटी का लेखा-जोखा सबके सामने रखा। इन्होंने कहा कि यदि हमारे सदस्यों और आम लोगों का साथ मिला तो ‘काफल’ बहुत जल्द बैंक का रूप ले लेगा। उन्होंने बताया कि नौकरी की तलाश में लोग अपनी जन्मभूमि छोड़ शहरों की ओर आते हैं। शहरों में छोटी-छोटी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए धन संग्रह कमेटियां बनाते हैं। हमने भी शुरुआत की। बाद में हमने महसूसा कि अब हमारी जरूरतें बढ़ गई हैं। इसलिए धन संग्रह कमेटी को व्यापक रूप दिया। सर्वप्रथम संस्था को रजिस्टर करवाया और अन्य छोटी धनसंग्रह संस्थाओं को अपने साथ चलने को कहा क्योंकि जब हमारी टर्नओवर बढ़ेगी तभी हम बैंक में खुद को तब्दील कर सकेंगे।

यह सोसाइटी एक ट्रस्ट के अंतगर्त है। जिसका नाम है यूएसबी ट्रस्ट। ट्रस्ट का टैग लाइन है, ‘अर्थ सामर्थ।’ यानि आर्थिक रूप से समृद्ध होने पर ही समाज सामर्थवान हो सकता है। इसके लिए दिल्ली में नौकरीपेशा लोगों ने आपस में मिलकर यूएसबी ट्रस्ट की नींव रखी। ट्रस्ट के बारे में विनोद बिष्ट ने बताया कि समाज को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाना ही ट्रस्ट का लक्ष्य है। इसका मुख्य उद्देश्य समाज के निम्न वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से समृद्ध करना। ताकि देश में अमीरी और गरीबी की खाई कम हो सकें।
इस वार्षिकोत्सव में हाई हील्स पब्लिक स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति भी दी। स्कूल के बच्चों ने अपने नृत्य एवं सांग्स से उपस्थित लोग को झूमने के लिए मजबूर कर दिया।