त्रिपुरा में भाजपा के मुख्यमंत्री बिप्लव देब के लिए उनकी पार्टी के नेता सिरदर्द साबित हो रहे है। गाठ दिनों जब पार्टी के नए प्रभारी विनोद सोनकर का त्रिपुरा में आगमन हुआ तो उनकी पार्टी के नेताओ ने उनकी खुली मुखालफत कर डाली। यहाँ तक कि पार्टी नेताओ ने नए प्रदेश प्रभारी के सामने ही ‘बिप्लव देब वापिस जाओ – भाजपा बचाओ’ का नारा लगा डाला।
इसके बाद मुख्यमंत्री बिप्लब देब डिफेंसिव मोड़ में आ गए। उन्होंने यह तक कह डाला कि वह अब जनता के बीच जायेंगे। जहा वह आगामी 13 दिसंबर को एक स्टेडियम में जनता से पूछेंगे कि वह सीएम रहे या न रहे ? किसी मुख्यमंत्री का यह पहली बार साहस है कि वह सांता से सीधा रूबरू होकर यह पूछ रहे है कि वह उन्हें सीएम देखना चाहती है या नहीं ?
देखा जाए तो त्रिपुरा में भाजपा के लिए फ़िलहाल नई मुश्किल खड़ी हो गई है। गत 12 अक्टूबर को भी मुख़्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को अनुभवी और तानाशाह बताते हुए कुछ विधायक उन्हें हटाने की मांग लेकर दिल्ली पहुंचे थे। बागी खेमे का नेतृत्व सुदीप रॉय बर्मन ने किया था। बर्मन का दावा था कि दर्जनों विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके साथ हैं। उन्होंने कहा था कि बिप्लब देब का रवैया तानाशाह जैसा है और उन्हें पर्याप्त अनुभव भी नहीं है, इसलिए उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए।
गत 12 अक्टूबर को बर्मन सहित दिल्ली में कुल सात विधायक डेरा डाले चुके हैं। सभी ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए समय मांगा था। तब उनकी मुलाकात भी हुई और आश्वासन भी मिला। गौरतलब है कि त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 36 विधायक हैं, ऐसे में यदि सुदीप रॉय बर्मन का दावा सही है तो बीजेपी के लिए सरकार को बचाए रखना मुश्किल भी हो सकता है।