महाराष्ट्र की गद्दी पर सत्तासीन होते हो शिवसेना के सुर बदल गए है। यहां तक कि पार्टी की कथनी और करनी में अंतर आ गया है। जिसे उसके मंत्रीमंडल गठन में बखूबी महसूस किया जा रहा है। मंत्रीमंडल गठन में शिवसेना ने एक ऐसे नेता को महत्वपूर्ण मंत्रालय का पदभार ग्रहण करा दिया है जिसपर । अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीब होने का ठप्पा लगा है। यह ठप्पा लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि शिवसेना ही है। आज से ढाई दशक पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह मुखप्रष्ठ पर प्रकाशित किया गया था।
बहरहाल, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में उद्धव ठाकरे सरकार में कभी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी बताए जाने वाले अब्दुल सत्तार को मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। याद रहे कि शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने ही 1994 में प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में अब्दुल सत्तार को दाऊद का करीबी बताया था । 25 साल पुरानी सामना की यह रिपोर्ट अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है और शिवसेना के नेताओं को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है।
गौरतलब है कि सामना ने 11 जून, 1994 को ‘शेख सत्तार के दाऊद गिरोह से करीबी संबंध’ शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी। तब अब्दुल सत्तार कांग्रेस में थे और उन्होंने शिवसेना के पार्षद को चुनाव में हराया था। सत्तार औरंगाबाद जिले के सिल्लोड क्षेत्र से विधायक हैं। यही नहीं बल्कि 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में मौत की सजा पाए याकूब मेमन के लिए दया का अनुरोध करने वाले विधायकों में भी सत्तार शामिल थे।
लेकिन गत वर्ष लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर सत्तार ने पार्टी छोड़ दी थी । बाद में वह शिवसेना में शामिल हुए और विधायक बन गए। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पहले मंत्रिमंडल विस्तार में अब्दुल सत्तार को कैबिनेट मंत्री बनाया है। इससे शिवसेना के नेताओं व कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है। उनका कहना है कि चुनाव से पहले पार्टी में आए नेता को इतनी जल्दी मंत्री बनाना ठीक नहीं है। औरंगाबाद क्षेत्र को मंत्रिमंडल में जगह ही देनी थी तो तीन बार के विधायक संजय शिरसाट को मंत्री बनाया जा सकता था।