केंद्र की भाजपा सरकार ने देश के हवाई अड्डों पर सीआईएसएफ के लगभग 3000 पदों को खत्म कर दिया है। ये फैसला एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था में ‘बड़े बदलाव’ के तहत लिया गया है। सरकार के नए प्लान के मुताबिक,इसके बदले निजी सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा। लेकिन यह भी कहा गया है कि, निजी गार्ड गैर संवेदनशील क्षेत्र में रहेंगे। इस पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, वर्तमान में, 65 नागरिक हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के 33,000 जवान तैनात हैं। इनमें से समाप्त किए गए 3,049 पदों में से 1,924 पदों पर निजी सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जाएगा। यानी, 3049 पद समाप्त कर दिए जायेंगे। यह जनशक्ति तीन कंपनी के बराबर होती है। इसमें केवल सिपाही या जवान ही नहीं,बल्कि, सूबेदार, इंस्पेक्टर, असिस्टेंट कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट और कमांडेंट स्तर तक के अधिकारी भी प्रभावित होंगे।
सरकार के इस कदम को लेकर अन्य राजनीतिक दल आरोप लगा रहे हैं कि सरकार की असल मंसा सीआईएसएफ को हटाना है और कॉरपोरेट को घुसाना है, इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय नागरिक उड्डयन और गृह मंत्रालयों द्वारा एक संयुक्त बैठक 2018 में की गई और तभी यह तय हुआ था कि सीआईएसएफ की जनशक्ति को हवाई अड्डा सुरक्षा से क्रमवार तरीके से घटा दिया जाय। दोनों ही संबंधित विभागों द्वारा वर्ष 2018 और 2019 में संयुक्त सचिव और सचिव स्तर पर कई बैठकें हुईं जिसमें सीआईएसएफ के वरिष्ठ अफसर भी सम्मिलित हुए और उस विचार-विमर्श के बाद, दोनों ही मंत्रालयों द्वारा, संयुक्त रूप से एक कार्य योजना बनाई गई। उक्त कार्ययोजना के अनुसार, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, अपने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ पूरे देश के 50 नागरिक हवाई अड्डों पर, निजी सुरक्षा गार्ड योजना लागू करेंगे।इस संबंध में यह कहा जा रहा है कि इस नए सुरक्षा ढांचे से विमानन क्षेत्र में 1,900 से अधिक नौकरियां पैदा होंगी, लेकिन इससे सीआईएसएफ के 3000 से अधिक पद खत्म भी तो होंगे, इसकी बात क्यों नहीं की जा रही है? सच तो यह है कि, नौकरियां, बढ़ नहीं रही हैं, बल्कि घट रही हैं। लेकिन असल बात, जो बताई गई, वह इस प्रकार है, “हवाई अड्डों के संचालकों का विमानन सुरक्षा पर होने वाला खर्च भी कुछ कम होगा।
निश्चित रूप से हवाई अड्डे जब, सरकार के नियंत्रण में थे तो, खर्च से अधिक महत्वपूर्ण सुरक्षा थी, पर अब, जब उन्हें अडानी समूह ने ले लिया तो, कॉर्पोरेट का ‘खर्च कम करो’ जिसे कॉर्पोरेट की जुबान में कॉस्ट कटिंग कहा जाता है, एजेंडा लागू हो गया। अब कहा जा रहा है कि, “एक विश्लेषण में पाया गया है कि कई गैर-संवेदनशील कामों के लिए सशस्त्र सीआईएसएफ जवानों की जरूरत नहीं है और ऐसे काम निजी सुरक्षाकर्मी भी कर सकते हैं जबकि कुछ क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाकर निगरानी की जा सकती है।” यहां यह बताना जरूरी है कि, सीसीटीवी कैमरे, देखते हैं, वे रोक, टोक और ठोक नहीं सकते हैं। यह काम तो किसी प्रशिक्षित बल का जवान ही कर सकता है।
ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी, बीसीएएस के संयुक्त महानिदेशक जयदीप प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया है कि, निजी सुरक्षा एजेंसियों और उनके कर्मियों को मंजूरी बीसीएएस देगा और वे विमानन सुरक्षा के लिए बने नियमों से संचालित होंगे। एक अन्य अधिकारी ने बताया है कि दिल्ली, मुंबई तथा अन्य हवाई अड्डे पर गैर-संवेदनशील ड्यूटी के लिए निजी सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं। इनमें कतार प्रबंधन, एयरलाइन कर्मियों और यात्रियों को सुरक्षा सहायता और टर्मिनल क्षेत्र के भीतर कुछ स्थानों पर निगरानी जैसे काम शामिल हैं। इसके साथ ही अधिकारी ने यह साफ किया कि हवाई अड्डा में प्रवेश पर यात्रियों के विवरण की जांच, यात्रियों की जांच, तोड़फोड़-रोधी अभियान, आगे की जांच और सभी आतंकवाद-रोधी सेवाएं सीआईएसएफ पहले की ही तरह देती रहेगी।
क्या है सीआईएसएफ
सीआईएसएफ, का गठन, 10 मार्च 1969 को, संसद द्वारा पारित एक अधिनियम के अंतर्गत किया गया और 15 जून 1983 को पारित संसद के एक अन्य अधिनियम द्वारा भारत का सशस्त्र बल बनाया गया। यह बल लगभग, 300 औद्योगिक इकाइयों, सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और प्रतिष्ठानों को सुरक्षा कवर प्रदान करता है। औद्योगिक क्षेत्र जैसे परमाणु ऊर्जा संयंत्र, अंतरिक्ष प्रतिष्ठान इसरो, विभिन्न खदानें, तेल क्षेत्र और रिफाइनरी, प्रमुख बंदरगाह, भारी इंजीनियरिंग और इस्पात संयंत्र, बैराज, उर्वरक इकाइयां, हवाई अड्डे और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्वामित्व और नियंत्रण वाले जलविद्युत / थर्मल पावर प्लांट, और भारतीय मुद्रा का उत्पादन करने वाले करेंसी नोट प्रेस नाशिक, सीआईएसएफ द्वारा संरक्षित हैं।इस प्रकार यह विभिन्न भूभाग और जलवायु परिस्थितियों में फैले पूरे भारत में प्रतिष्ठानों को यह बल कवर करता है। सीआईएसएफ भारत सरकार के साथ साथ, निजी उद्योगों और अन्य संगठनों को, सुरक्षा परामर्श और अग्नि सुरक्षा परामर्श भी प्रदान करता है। इस बल की कुछ आरक्षित बटालियन हैं जो राज्य पुलिस के साथ मिलकर कानून और व्यवस्था बनाए रखने का भी काम करती हैं। आपदा प्रबंधन में सीआईएसएफ की अहम भूमिका होती है और इस बल की एक ‘फायर विंग’ भी है जो उन उद्योगों में आग लगने की दुर्घटनाओं के दौरान, अग्निशमन और अन्य सहायता उपलब्ध कराता है।
पहले हवाई अड्डा सुरक्षा का दायित्व, राज्य पुलिस के नियंत्रण में था। लेकिन1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 के अपहरण के बाद, हवाई अड्डों की सुरक्षा सीआईएसएफ को सौंपने का विचार किया गया। शुरुआत में यह प्रस्ताव अगले 2 वर्षों के लिए ही बनाया गया था। लेकिन जब, अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को एक बड़ा आतंकवादी हमला जिसे 9/11 कहा जाता है में, आतंकियों द्वारा विमान का अपहरण कर के किया गया तो इस नई आतंकी चुनौती से निपटने के लिये, सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को देने का निर्णय सरकार द्वारा किया गया। जयपुर एयरपोर्ट, पहला हवाई अड्डा है, जिसकी सुरक्षा, 3 फरवरी, 2000 को सीआईएसएफ के नियंत्रण में दी गई। इसके बाद, धीरे-धीरे, भारत के सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा, सीआईएसएफ को सौंप दी गई थी। फिलहाल, सीआईएसएफ देश में कुल 64 अंतरराष्ट्रीय और घरेलू हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहा है।
इस मामले पर जानकारों का कहना है कि निजी सुरक्षा गार्ड की तैनाती से सरकारी धन की बचत होगी। यह बात सही है कि सीआईएसएफ की तैनाती पर अपेक्षाकृत अधिक खर्च आता है। क्योंकि, उनका प्रशिक्षण, अनुशासन और सुरक्षा के प्रति समझ और दृष्टिकोण उन्नत होता है साथ ही तैनाती के नियम कड़े वेतन और भत्ते अधिक होते हैं। जबकि निजी गार्ड की ट्रेनिंग, उस स्तर की है या नहीं इसका कुछ अभी पता नहीं है। उनका वेतन, सीआईएसएफ की तुलना में कम होगा और ट्रेनिंग कितनी होगी, यह तो एजेंसी पर निर्भर करता है।
इस बीच खबर यह भी है कि,1 सितंबर 2022 से सीआईएसएफ ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय हेडगेवार भवन की सुरक्षा संभाल ली है। क्या यह हैरान करने वाली खबर नहीं है कि, एयरपोर्ट, जहां हजारों यात्रियों का आवागमन होता है, वहां निजी सुरक्षा गार्ड तैनात होंगे, और आरएसएस मुख्यालय, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी आदि की निजी सुरक्षा, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ करेगी? यह, निर्णय सरकार का जन सुरक्षा के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट कर देता है।आरएसएस हो या मुकेश अंबानी या गौतम अडानी, जीवन भय के आकलन पर किसी को भी उचित सुरक्षा दी जा सकती है पर इसका यह मतलब नहीं कि, जनता को जो सुरक्षा मिल रही है उसे बिना सुरक्षा का आकलन किए, हटा लिया जाय या घटा दिया जाय। निजीकरण के एजेंडे में धीरे – धीरे सुरक्षा बल भी आयेंगे। पिछले कुछ महीने पहले ही अग्निवीर योजना को इसी दिशा में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि देर -सबेर अन्य सुरक्षा बलों में भी यही योजना लाई जा सकती है।