“गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त” ये पंक्ति जम्मू-कश्मीर की सुंदरता को प्रदर्शित करते हुए लिखी गई है जिसका अर्थ है कि अगर ”धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं।” लेकिन इसी स्वर्ग जैसे देश में आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पिछले 3 दशकों से लोगों के मनोरंजन के लिए सिनेमा देखना एक सपने जैसा हो गया था। लेकिन अब इस सपने को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में घाटी के पहले मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन कर इस सपने को साकार कर दिया है। जिसके बाद अब लोगों को तीन दशकों के बाद पहली बार सिनेमा घरों में फिल्म देखने मिली है।
क्यों बंद थे जम्मू कश्मीर में सिनेमाघर
जम्मू कश्मीर में आजादी के बाद से ही आतंक का माहौल है। वर्ष 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो अपने 2 अलग-अलग भाग के रूप में इसका उदय हुआ भारत और पाकिस्तान। उस वक़्त जम्मू कश्मीर अपने आपको एक अलग रियासत के रूप में रहना चाहता था। लेकिन काफी कोशिशों के बाद अनुछेद 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार दिए जाने के साथ जम्मू- कश्मीर को भारत में मिला लिया गया। गौरतलब है कि जम्मू -कश्मीर पर पाकिस्तान भी दवा करता है कि जम्मू कश्मीर पूर्ण रूप से उनका है। इसके कारन शुरू से ही जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले होते रहें है। साल 1990 तक जम्मू कश्मीर में आतंक इतना बढ़ गया कि आतंकवादियों की दशहत के कारण सिनेमा घरों को बंद करना पड़ा। क्योंकि अपना खौफ फ़ैलाने के लिए आतंकवादी ऐसी ही जगहों पर हमला करते थे जहा लोग अधिक मात्रा में हों। । लेकिन अगस्त 2019 में केंद्र सर्कार द्वारा यहाँ से अनुछेद 370 को हटा लिया गया। जिसके बाद से राज्य आतंकवाद में पहले से कुछ हद तक सुधर आया है।
बीबीसी को दिए गए बयान में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कहते है कि “कश्मीर किसी भी प्रकार के मनोरंजन से वंचित रहा है। यहाँ जो लोग राज करते रहे, वे तो देश के बड़े शहरों में या विदेश जाकर छुटि्टयाँ बिताते रहे, लेकिन उन्होंने आम लोगों के हित में मनोरंजन उद्योग को फिर से खड़ा करने के बारे में कभी नहीं सोचा। यह नए युग की शुरुआत है।” साथ ही 10 और सिनेमाघर खुलवाने का ऐलान भी किया है।
अपने भाषण में मनोज सिन्हा ने कहा कि “5 अगस्त, 2019 कश्मीर के अतीत में एक ऐतिहासिक दिन है। यहां उस दिन से बदलाव शुरू हो गया और हम ईमानदारी से लोगों से जुड़ी हर चीज़ों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं। अब कश्मीरियों के पास मनोरंजन के वे सभी साधन होंगे, जो कि देश के किसी भी नागरिक के पास हैं। ”