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चाचा का मंत्री बनना पचा नहीं पा रहे चिराग 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला  कैबिनेट विस्तार  कल सात जुलाई को हो गया है। केंद्र में हुए इस कैबिनेट विस्तार का असर बिहार की राजनीति पर पड़ा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए ) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी ) कोटे से मंत्रिमंडल में पशुपति पारस को जगह दिए जाने पर चिराग पासवान बेहद खफा हैं। ऐसे में अब सवाल यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’कहे जाने वाले  चिराग पासवान का अगला कदम क्या होगा?

 

ज्ञात हो कि  एलजेपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान की विरासत की जंग छिड़ी हुई है। इसके चलते सवर्गीय पासवान के भाई पशुपति पारस सहित पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया है, जिसे लोकसभा में बतौर एलजेपी मान्यता भी मिल चुकी है। इसके बाद चिराग पासवान ने उन सभी सांसदों को पार्टी से निकालते हुए पार्टी संविधान का हवाला देकर लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि वे पशुपति पारस गुट से एलजेपी की मान्यता वापस लें। चिराग ने यह कहा था कि अगर केंद्रीय मंत्रिमंडल में पशुपति पारस गुट से किसी को बतौर एलजेपी सांसद शामिल किया जाता है, तो उन्हें इस पर आपत्ति होगी। चिराग ने कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके राम (पीएम मोदी) अपने हनुमान चिराग पासवान का वध होते नहीं देखेंगे। हालांकि वे यह भी कह चुके हैं कि भविष्य की राजनीति के लिए उनके विकल्प खुले हैं।

दरअसल , पशुपति पारस को प्रधानमंत्री आवास पर बुलाया गया था। इसके पहले उनकी गृहमंत्री अमित शाह से भी बातचीत की खबरें आईं थीं। इस बीच पशुपति पारस के आवास के बाहर मिठाइयां भी बांटी जाने लगीं थी । एलजेपी के पारस गुट के प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने पशुपति पारस के मंत्री पद की शपथ लेने की पुष्टि भी कर दी। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बीच चिराग पासवान फिलहाल मौन हैं। हां, उन्होंने दिल्ली  हाईकोर्ट में पशुपति पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता बनाए जाने को चुनौती देते हुए विरोध की शुरुआत जरूर कर दी है।

चिराग पासवान ने पशुपति पारस को मंत्रिमंडल में एलजेपी सांसद के रूप में जगह दिए जाने का विरोध किया है।  इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी ) उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश में लगातार लगा हुआ है। आरजेडी ने अपने 25वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान एलेजपी के संस्थापक रामविलास पासवान  की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी। ऐसे में सवाल यह है कि बीजेपी से पहले से निराश चिराग पासवान अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाउम्मीद होने की स्थिति में क्या करेंगे?

बीजेपी का साथ छोड़ने की स्थिति में चिराग क्या करेंगे, इसका संकेत वे पहले दे चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एलजेपी पर अपना दावा करते हुए समर्थकों से अगले विधानसभा चुनाव  की तैयारियों में अकेले जुट जाने को कहा था। यह भी संभव है कि वे आरजेडी के निमंत्रण को स्वीकार कर विपक्षी महागठबंधन  के साथ अपना भविष्य तलाशें।

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