बिहार के जमुई गांव के रहने वाले एक16 वर्षीय बच्चे ने एक कबाड़ से ऐसा अविष्कार किया जिसकी सराहना की जा रही है।दरअसल राजाराम नामक इस बच्चे ने मजदूरों के लिए इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल का आविष्कार किया है।
राजाराम जिस गाँव में रहते हैं वहां की सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। जिसके कारण मजदूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मजदूरों की इन्ही परेशानियों को दूर करने के लिए राजाराम ने यह बाइक बनाई है। इन्होने सस्ती और ऐसी मोटरसाइकिल बनाने का फैसला लिया जो चार्ज हो सके और जिसमें पेट्रोल की आवश्यकता न हो। इस बाइक में सूखे हुए सेल का प्रयोग किया गया है जो एक बार चार्ज करने पर 50 किलोमीटर तक चलती है। बाइक 2 घंटे में फुल चार्ज होने की क्षमता रखती है। राजाराम ने बताया कि फिलहाल यह प्रयोग के तौर पर बनाई गई है जिसमें केवल 15 हजार रुपये का खर्च आया है। यदि उन्हें कहीं से आर्थिक सहयोग मिलेगा तो वे इस बाइक को और बेहतरीन बनाकर सामने लाएंगे।
राजाराम ने बताया की वे बचपन से ही घर के पुराने रेडियो, पंखा, बल्ब आदि पर एक्सपेरिमेंट करता रहा है। उसने अपने कमरे को प्रयोगशाला के रूप दे दिया है। वह कम खर्च में बनने वाली इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल पर रिसर्च कर रहा है। वह ऐसी बाइक बनाना चाहता है जिसे बिजली से चार्ज करने की जरूरत ही न पड़े। इसमें डायनेमो का उपयोग हाेगा। बाइक चलेगी तो डायनेमो से बैटरी भी चार्ज होती रहेगी। बाइक मोबाइल से भी कंट्रोल हाेगी। पासवर्ड से ऑन और ऑफ हो सकेगी। मोबाइल से उसके सॉफ्टवेयर की ऐसी कनेक्टिविटी रहेगी कि चाेरी हाेने पर बाइक को मोबाइल से ही लॉक किया जा सके। हालांकि इसके लिए काफी प्रयास और पैसे की जरूरत है।