कल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मध्य प्रदेश में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज शुक्रवार को दोपहर 12:00 बजे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। सुप्रीम कोर्ट के दिए हुए समय अनुसार, विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होने की संभावना है। लेकिन कमलनाथ के प्रेस कॉन्फ्रेंस बलाने की खबर आने के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। उनसे एक ये है कि फ्लोर टेस्ट से पहले कोई बड़ी राजनीतिक घटनाएं सामने आ सकती हैं।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ फ्लोर टेस्ट के लिए जाने से पहले अपने शेष सभी मंत्रियों के साथ इस्तीफा दे सकते हैं। उसके बाद वे भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाएंगे। इसका फायदा ये होगा कि जनता के बीच उन्हें सहानुभूति मिलेगी। फिर अगर मध्यावधि चुनाव होंगे तो उन्हें जनता का साथ मिलेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने मान भी लिया है कि उनकी कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है। ऐसे में कमलनाथ सरकार का जाना तय है। कल सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था उसके मुताबिक, फ्लोर टेस्ट आज (शुक्रवार) शाम 5 बजे तक पूरा हो जाना चाहिए। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट के दौरान हाथ उठाकर वोटिंग करने और उसका वीडियोग्राफी कराने को भी आदेश दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
कोर्ट ने कल अपना फैंसला सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की सभी दलीलों को नामंजूर कर दिया था। कोर्ट उन्हें 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। एनपी प्रजापति ने सुप्रीम कोर्ट से इसके लिए दो सप्ताह का समय मांगा था जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि फ्लोर टेस्ट के लिए ज्यादा समय देना उचित नहीं है। अगर अधिक समय दिया गया तो हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना बढ़ जाएगी।
इसी बाच खबर आ रही है कि प्रजापति ने उन सभी 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए जिसके बारे में कोर्ट ने आदेश दिए थे। खबरों के मुताबिक, प्रजापति ने कहा, “दुखी हूँ भारी मन से ये इस्तीफे इसलिए स्वीकार किए क्योंकि ये एमएलए मेरे ही खिलाफ कोर्ट में खड़े हो गए। ये लोकतंत्र की बिडंबना है। हालांकि, 16 विधायकों की तरफ से कोई वकील कोर्ट में पेश नहीं हुआ था।” स्थानीय मीडिया के मुताबिक, ये इस्तीफे कोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद रात 11:00 बजे स्वीकार किए गए।
अब आगे क्या होगा?
प्रेस कांफ्रेस कर कमलनाथ सभी विधायकों के साथ इस्तीफा देकर मध्यावधि चुनाव की स्थिति पैदा करेंगे। प्रदेश में अभी कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। पहले ही दो विधायकों की मृत्यु हो चुकी है और विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के 22 विधायकों के इस्तीफा मंजूर करने लेने के बाद खाली सीटों की संख्या 24 और कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या 92 हो गई है। अगर कांग्रेस के 7 सहयोगी विधायकों को जोड़ लिया जाए तो ये आंकड़ा 24+92+7=123 हो जाएगी। कमलनाथ के इस्तीफा देते ही मध्य प्रदेश की 53% सीटें रिक्त हो जाएंगी। फिर सदन में भाजपा के केवल 107 विधायक बचेंगे। यानी उसके बाद विपक्ष में एक भी विधायक नहीं होगा। फिर ऐसी स्थिति में 230 में से 123 सीटों पर उप-चुनाव या फिर मध्यावधि चुनाव होंगे।