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छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जबर्दस्त घमासान , मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी 

देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस पार्टी पहले ही अपनी सत्ता गंवा चुकी है और अब जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां भी पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पंजाब ,राजस्थान के सियासी घमासान के बीच अब छत्तीसगढ़ में भी पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार फिर मोर्चाबंदी होने लगी है।

 


सीएम भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंह देव को कियादिल्ली तलब

 

दरअसल , छत्तीसगढ़ में सत्ता में भागीदारी को लेकर फैली अफवाहों के बीच कांग्रेस हाईकमान ने सीएम भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंह देव को दिल्ली तलब किया है। दोनों नेता आज 24 अगस्त को दिल्ली आकर केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करेंगे। सूत्रों की मानें तो  आज राज्य के प्रभारी पीएल पूनिया की लीडरशिप में यह मीटिंग होगी। भूपेश बघेल के करीबी एक नेता के मुताबिक ‘सीएम की मीटिंग करीब एक महीने पहले ही तय हुई थी। यह रिव्यू मीटिंग है और इसमें निश्चित तौर पर पावर-शेयरिंग के फॉर्मूले पर भी बात की जाएगी। इस मीटिंग में भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव दोनों ही मौजूद रहेंगे।

भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच पार्टी के सत्ता में आने के समय से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए खींचतान रही है।  इस पर तब पार्टी ने दोनों नेताओं के बीच ढाई – ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का फॉर्मूला तय किया था। लिहाजा आज फिर यह समस्या खड़ी हो गई है कि मुख्यमंत्रीकौन होगा ।

 

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छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव  जो  कि 2018 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे और अब फिर से दावेदार हैं,उन्हें उम्मीद है कि आलाकमान उनके पक्ष में फैसला लेगा। तब राहुल गांधी ने संकेत दिया था कि बघेल और सिंह देव, जो दिल्ली में भी थे, पांच साल के कार्यकाल को समान रूप से साझा करेंगे। भूपेश बघेल और सिंह देव के बीच बीते 17 जून से ही विवाद चल रहा है। इस दिन ही भूपेश बघेल ने सीएम के तौर पर अपने ढाई साल पूरे किए थे।

दरअसल, दिसंबर 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस में उस वक्त सीएम पद के दावेदारों में भूपेश बघेल के अलावा टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू भी थे। लेकिन भूपेश बघेल को ही सीएम बनाया गया। उस वक्त कहा गया था कि भूपेश बघेल को सीएम बनाने के साथ ही ढाई साल का करार हुआ है। पहले ढाई साल भूपेश बघेल सीएम रहेंगे और उसके बाद टीएस सिंह देव नेतृत्व संभालेंगे। हालांकि ये चर्चाएं ही थीं, इस पर पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा गया।ये चर्चाएं 17 जून के बाद से फिर शुरू हुईं, जब भूपेश बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया। हालांकि इसके बाद भी भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव यही कहते रहे कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। दोनों नेताओं का कहना है कि इस पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जो भी आदेश होगा, वे उसे मानेंगे। बाहर से भले दोनों नेता आलाकमान पर बात डाल रहे हैं , लेकिन सूत्र बताते हैं कि अंदरखाने दोनों में जबर्दस्त घमासान चल रहा है।

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