भारत में 7 दशक से अधिक समय के बाद विलुप्त हो चुका चीते आज सुबह मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में पहुंच गए हैं। लेकिन अब एक बार फिर भारत की भूमि पर चीते लौट आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 72वें जन्मदिन पर इन चीतों को 10 किलोमीटर में फैले इलाके में छोड़ा गया। उनका नया आवास मध्य प्रदेश में कुनो राष्ट्रीय वन उद्यान बन गया है। नामीबिया के आठ चीते आज सुबह एक विशेष विमान से ग्वालियर के महाराजा हवाई अड्डे पर पहुंचे और उसके बाद सेना के तीन विशेष हेलीकॉप्टरों से सभी चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए रवाना किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर करीब 11.30 बजे पार्क में तीन चीतों को छोड़ा है। कहा जा रहा है कि सभी चीते कुछ दिनों तक एक विशेष बाड़े में रहेंगे। यहां की हवा, पानी और पर्यावरण के अभ्यस्त होने के बाद इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
चीतों को पार्क में छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने कहा, मैं नामीबिया की सरकार का शुक्रगुजार हूं। यह एक ऐतिहासिक क्षण है कि आज चीते भारत की धरती पर लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि अतीत हमें उज्ज्वल भविष्य का अवसर देता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिंजरे से चीतों को पार्क में छोड़ दिया। उन्होंने आठ में से केवल तीन चीतों को पार्क में छोड़ा है। शेष पांच चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान प्रशासन द्वारा पार्क में छोड़ा जाएगा। बाद पीएम मोदी फोटोग्राफी भी करते दिखे। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।
A long wait is over, the Cheetahs have a home in India at the Kuno National Park. pic.twitter.com/8FqZAOi62F
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2022
देशवासियों को दिखाना होगा धैर्य
पीएम मोदी ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए भारत इन चीतों के पुनर्वास की पूरी कोशिश कर रहा है। कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को महीनों इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, उन्हें इस इलाके की जानकारी नहीं है। हमें इन चीतों को कुनो नेशनल पार्क में अपना घर बनाने के लिए कुछ महीने देने की भी जरूरत है।”
पीएम ने आगे कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों से उनके पुनर्वास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। आज आजादी के अमृत में नई ऊर्जा के साथ देश में चीतों का पुनर्वास शुरू हो गया है। यह सच है कि अगर प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा की जाए तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। जब चीता कुनो नेशनल पार्क में वापस चले जाएंगे, तो घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल कर दिया जाएगा।