सहारनपुर जातीय हिंसा के आरोप में 13 सितंबर 2018 को 15 महीने की जेल की सजा काटने के बाद जब चंद्रशेखर उर्फ़ रावण बाहर आया तो सबसे पहले उसने बसपा सुप्रीमो मायावती को ‘बुआ’ कहकर संबोधित किया। मायावती एक तेज तर्रार नेता हैं। वो चंद्रशेखर के इस राजनीतिक दांव को तुरंत समझ गई। मायावती ने तब इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा, “मैं किसी की बुआ नहीं।” मायावती का कहने का मतलब साफ था कि चंद्रशेखर मायावती को बुआ कहकर बहुजन समाज में सामाजिक सहानुभूति बटोरना चाहते हैं। उसमें चंद्रशेखर सफल नहीं हो सके। शायद मायावती को इसका पहले से ही आभास हो गया था कि आगे चलकर चंद्रशेखर उनके लिए मुश्किल बन सकता है।
राजनीति के क्षेत्र खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब यह दिख भी रहा है। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर ने फिलहाल बहुजन समाज पार्टी में सेंध लगानी शुरू कर दी है। बसपा के कई वरिष्ठ नेताओं को वह अपने पाले में लाने में कामयाब भी हुआ है। फिलहाल, चंद्रशेखर अपनी बुआ मायावती को तगड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। इसके तहत आगामी 15 मार्च को वह अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर रहे हैं।
चंद्रशेखर पहली बार 2015 में विवादों में उस समय घिरे थे जब उन्होंने अपने मूल स्थान छुटमलपुर (सहारनपुर) में एक बोर्ड लगाया था, जिसमें ‘धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’ लिखा था। चंद्रशेखर के इस कदम ने गांव में दलितों और ठाकुर के बीच तनाव पैदा कर दिया था। इसके जरिए चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया के जरिए काफी सुर्खियां बटोरी हैं। सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश खासकर पशिचम में मायावती निर्विवाद रूप से सबसे बड़ी दलित चेहरा हैं। हालांकि, सहारनपुर जातीय हिंसा के बाद चंद्रशेखर उर्फ़ रावण को राष्ट्रीय पहचान मिली। वह मायावती के बाद सबसे बड़े दलित चेहरे के रूप में माने जा रहे हैं।
याद रहे कि उनकी रिहाई को लेकर जिग्नेश मेवानी से लेकर जेएनयू के छात्र नेताओं ने भी जंतर-मंतर पर धरना दिया था। यह स्थिति दलित-मुस्लिम गठजोड़ के लिए मुफीद बन रही थी। उल्लेखनीय है कि पश्चिम यूपी के कई जिलों में दलित और मुस्लिमों की आबादी अच्छी खासी है। कई जगह इनकी तादाद 50 फ़ीसदी से ऊपर है। इस इलाके में बीजेपी की तमाम कोशिशों के बाद भी दलित खासकर जाटव उससे छिटके। हालांकि, बीजेपी ने दलितों को लुभाने के लिए कई कदम उठाए। जाटव नेता कांता कर्दम को राज्यसभा भेजा। उन्हें सहारनपुर का प्रभारी भी बनाया। बावजूद इसके मतदाताओं पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण 15 मार्च को राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे। इससे पहले वह बसपा से निकाले गए या बसपा में मायावती की कार्यशैली से नाखुश कई बड़े नेताओं को अपने पाले में लाना चाहते है। कई बड़े नेता चंद्रशेखर के संपर्क में आ गए हैं। ऐसे नेताओं में आगरा से प्रमुख नाम है, बसपा के पूर्व कद्दावर नेता रहे सुनील कुमार चित्तौड़ का। सुनील कुमार चित्तौड़ और चंद्रशेखर की मुलाकात का फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस बाबत सुनील कुमार चित्तौड़ ने घोषणा की कि वह भीम आर्मी के साथ मिलकर काम करेंगे। लखनऊ में उनकी चंद्रशेखर से मुलाकात भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आगामी 15 तारीख को नोएडा में उनकी जॉइनिंग की विधिवत घोषणा भी होगी। उन्होंने कहा कि 15 तारीख को भीम आर्मी के पॉलिकटल पार्टी बनने की घोषणा की जाएगी।
बता दें कि सुनील कुमार चित्तौड़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा के कद्दावर नेता रहे हैं। वह बसपा के जौन कॉर्डिनेटर रहे। मायावती के बेहद करीबी नेताओं में उनकी गिनती की जाती थी। कहा जाता है कि आगरा सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा की कोई भी टिकट सुनील कुमार चित्तौड़ की सहमति के बिना मायावती नहीं देती थीं। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनावों के बाद मायावती ने अचानक उन्हें पार्टी से बाहर कर सबको चौंका दिया। यही नहीं बल्कि चित्तौड़ पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगे। अब चित्तौड़ बसपा के लिए संकट के तौर पर खड़े हो रहे संगठन भीम आर्मी के साथ जुड़ गए हैं। कहा यह भी जा रहा है कि चित्तौड़ के साथ और भी कई पूर्व विधायक और बसपा के कई बड़े चेहरे भी भीम आर्मी में शामिल होंगे। ऐसा हुआ तो मायावती को तगड़ा झटका लगना स्वाभाविक है।
उधर दूसरी तरफ भीम आर्मी के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष हिमांशु वाल्मीकि के ताऊ की तेरहवीं में सोतीगंज पहुंचे चंद्रशेखर आजाद ने कई बसपा नेताओं से मुलाकात की। दिल्ली लौटते समय चंद्रशेखर ने बागपत रोड स्थित बसपा के पूर्व मंडल को-ऑर्डिनेटर प्रदीप गुर्जर के आवास पर बैठक की। जिसमें बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. सुभाष प्रधान, विनय कुराली, पूर्व जिला प्रभारी ओमपाल खादर, पूर्व जिला महासचिव डॉ. ओमप्रकाश, पूर्व कोऑर्डिनेटर एवं जिला पंचायत सदस्य भारतवीर गुर्जर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य डॉ. राजेंद्र गौतम, बसपा के पूर्व जिला प्रभारी और विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष सुरेंद्र रछौती समेत अन्य नेता शामिल रहे। इस दौरान चंद्रशेखर बसपा के असंतुष्ट नेताओं से लगातार बैठक कर रहे हैं। जिसमें उन्हें काफी सफलता भी मिल रही है। कहा जा रहा है कि आगामी 15 मार्च को चंद्रशेखर की रैली में मंच पर बसपा के कई बड़े चेहरे दिखाई देंगे।