महाराष्ट्र की सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा इसे लेकर संशय बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक उठापटक के बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की अटकलें भी बढ़ रही हैं। भाजपा सरकार बनाने से पहले ही मना कर चुकी है। वहीं राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार गठन के लिए शिवसेना को और समय देने से मना कर दिया है। जिसके बाद कांग्रेस और (एनसीपी) का मंथन जारी है।
राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का प्रस्ताव देने के लिए 24 घंटे का समय दिया है। एनसीपी और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था और सरकार भी वह मिलकर ही बनाएंगे लेकिन दोनों पार्टियों के पास बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं है। ऐसे में यदि शिवसेना और अन्य विधायक उसे समर्थन दे दें तो वह सरकार बना सकती है। यदि ऐसा नहीं होता है तो राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा भी चार विकल्प मौजूद हैं।
संविधान विशेषज्ञों के अनुसार महाराष्ट्र में यदि किसी पार्टी की सरकार नहीं बनती है तो राज्यपाल के पास यह चार विकल्प हो सकते हैं:
1 – जब तक कि नया मुख्यमंत्री नहीं मिलता तब तक राज्यपाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके देवेंद्र फडणवीस को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के लिए कह सकते हैं। संविधान के तहत यह जरूरी नहीं है कि मुख्यमंत्री का कार्यकाल विधानसभा के साथ ही खत्म हो जाए।
2 – राज्यपाल विधानसभा चुनाव परिणामों में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी के किसी नेता को मुख्यमंत्री बना सकते हैं। ऐसे में भाजपा विधायक मुख्यमंत्री बन सकता है क्योंकि उसके पास सबसे ज्यादा सीटे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा।
3 – भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र विधानसभा से अपने नेता को चुनाव के जरिए चुनने को कह सकते हैं। ऐसा उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के आधार पर हो सकता है। साल 1989 में शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐसा करने का आदेश दिया था।
4 – यदि इन तीनों विकल्पों के जरिए भी कोई सरकार नहीं बनती है तो राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश के अलावा और कोई चारा नहीं बचता। यह आखिरी विकल्प है। ऐसी स्थिति में राज्य के विधायी कामकाज की बागडोर केंद्र सरकार के हाथ में आ जाएगी।
गौरतलब है कि बीजेपी द्वारा सरकार बनाने से इनकार करने के बाद राजयपाल ने शिवसेना से पूछा था कि क्या वह सरकार बनाना चाहती है। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के दौरान सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा जिसे राज्यपाल ने देने से मना कर दिया। अब राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया है। एनसीपी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने भी पहुंचा।
इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में खबरें आ रही थी कि एनसीपी और कांग्रेस ने सैद्धांतिक तौर पर शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे दिया है। उद्धव ठाकरे ने खुद फोन कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को समर्थन देने के लिए राजी कर लिया है। हालांकि इन खबरों को लेकर अधिकारिक तौर पर किसी खेमे से कोई जानकारी नहीं आई है। इसके बाद कांग्रेस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उनकी पार्टी नेताओं से अभी बात चल रही है। कांग्रेस अध्यक्ष इस बारे में आज सरकार बनाने को लेकर चर्चा करेंगी, इसके बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।
वहीं कल सोमवार को दिन भर तनाव में दिखने वाले भाजपा नेताओं के चेहरे शाम को शिवसेना के हाथ से खिसकी बाजी के बाद खिल गए। राज्यपाल द्वारा एनसीपी से सरकार बनाने का इरादा जानने के बाद भाजपा ने मंगलवार को टाली हुई अपनी राज्य कोर कमेटी की बैठक आनन-फानन में बुलाई। इस बैठक के बाद भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मीडिया से कहा कि हम सारे राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीक नजर रखे हुए हैं। हम वेट एंड वॉट की भूमिका में है। राज्य की राजनीति को लेकर कोई भी ठोस फैसला समय आन पर करेंगे।