उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को नैनीताल हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों के मामले में अब सीबीआई को जांच सौंप दी है। हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं । कोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों को संज्ञान में लेते हुए यह सही होगा कि सच सबके सामने आए । मामले में कल 27 अक्टूबर को न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने एक निजी समाचार चैनल के सीईओ उमेश शर्मा की याचिका पर दिए फैसले में कहा कि याचिका (1187, उमेश कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य, 2020) के पैरा आठ में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई एफआईआर दर्ज करे।
कोर्ट के फैसले के बाद अब राज्य में राजनीति तेज हो गई है। त्रिवेंद्र सरकार पर विपक्षी पार्टियों ने भी हल्ला बोल दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने हमला बोला है। अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि यह राज्य के इतिहास में अपने आप में पहला मामला है। जांच में निष्पक्षता और पद की गरिमा के संरक्षण के लिए सीएम को नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने लिखा कि हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और राज्य में भी। ऐसे में जांच को प्रभावित न होने देने के लिए सीएम को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
वहीं, हाल ही में उत्तराखंड में गई आम आदमी पार्टी ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया , जिसमें कहा गया कि सीबीआई जांच से सच्चाई दुनिया के सामने आएगी।
हाईकोर्ट ने कल 27 अक्टूबर को प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका दिया । कोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों को निरस्त करने का आदेश दिया है ।साथ ही उमेश की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगे आरोपों को देखते हुए यह सही होगा कि सच सामने आए। यह राज्य हित में होगा कि संदेहों का निवारण हो।
उमेश ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर देहरादून थाने में दर्ज मुकदमा निरस्त करने की मांग की थी। उनके खिलाफ सेवानिवृत्त प्रो. हरेंद्र सिंह रावत ने नेहरू कॉलोनी थाने में ब्लैकमेलिंग सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
कोर्ट ने उमेश की याचिका में की गई शिकायत का स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने आदेश के निष्कर्ष में कहा कि याचिका के पैरा आठ में लगाए आरोपों के आधार पर सीबीआई मुकदमा दर्ज करे। याचिका के पैरा आठ की शिकायतों का निष्कर्ष में उल्लेख नहीं है। आदेश में कहा गया है कि उमेश की याचिका में लगाए आरोपों के आधार पर जांच का आदेश कोर्ट दे सकता है। सीएम रावत के खिलाफ लगे आरोपों की प्रकृति को देखते हुए यह जरूरी होगा कि सच सामने आए।
कोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा न्यायालय का जो भी निर्णय आया है, उसका स्वागत है। किसी भी एजेंसी से जांच कराई जाए, हम तैयार हैं। पूरी पारदर्शिता के साथ न्यायालय के हर आदेश का पालन किया जाएगा। वहीं खबर है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। सरकार फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, अदालत का फैसला आने के बाद इसे लेकर शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला को तैयार रहने के लिए कहा गया है। उनके सहयोग के लिए एक उपमहाधिवक्ता को तैनात किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हालांकि न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है।
सूत्रों की मानें तो सरकार के विधि अधिकारियों को फैसले के आलोक में पूरी तैयारी रखने के लिए इशारा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के संकेत दे दिए हैं।
दरअसल वर्ष 2020 में झूठी खबरें प्रकाशित कर सरकार को अस्थिर करने के मामले में पुलिस ने उमेश कुमार समेत चार लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। डिफेंस कालोनी निवासी डॉ. हरेंद्र सिंह रावत ने जुलाई 2020 को यह यह मुकदमा नेहरू कालोनी थाने में दर्ज कराया था।
शिकायत में उन्होंने एक वीडियो का हवाला दिया था, जिसमें झारखंड निवासी अमृतेश चौहान नाम के व्यक्ति को गो सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के नाम पर रिश्वत की धनराशि सीएम को भेजने की बातें कही गई थीं। इस आरोप को उन्होंने झूठी बता कर कार्रवाई करने को कहा था।
पत्रकार उमेश कुमार को रायपुर थाने में वर्ष 2007 में दर्ज एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट से राहत भी मिली थी। इस केस में फाइनल रिपोर्ट लग चुकी थी। लेकिन 2010 में यह मामला फिर शुरू हो गया था। वर्ष 2019 में उमेश शर्मा ने आरोप लगाया था कि दून पुलिस ने कोर्ट से गिरफ्तारी और सर्च वारंट लेने में फर्जीवाड़ा किया।
हाईकोर्ट में उमेश शर्मा ने उन पर दर्ज मुकदमे को निरस्त करने की याचिका दायर की। उनका कहना था कि स्टिंग आपरेशन के कारण उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। याचिका में मामले की जांच सीबीआई से कराने और दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की थी। उमेश शर्मा ने स्टिंग की 20 सीडी कोर्ट को सौंपकर सीबीआई जांच और प्राथमिकी रद करने की मांग की थी।
उमेश पर सरकार को अस्थिर करने का लगा था आरोप
जानकारी के अनुसार पत्रकार उमेश पर झूठी खबरें प्रकाशित कर सरकार को अस्थिर करने के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। उनके सहित चार अन्यों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था। यह मुकदमा हरेंद्र सिंह रावत ने जुलाई 2020 को नेहरू कालोनी थाने में दर्ज कराया था। हालांकि इन आरोपों को उमेश द्वारा बेबुनियादी ठहराया गया। मामले में उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में स्वयं पर दर्ज मुकदमे को निरस्त करने की याचिका दायर की। उनका कहना था कि स्टिंग आपरेशन के कारण उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। याचिका में मामले की जांच सीबीआई से कराने और दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की थी।
इस बीच राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि विपक्ष के हमलावर होने पर भाजपा आलाकमान सोचने को विवश हुआ है। सूत्रों के मुताबिक हमले जिस तरह तेज हो रहे हैं ,उसे देखते हुए भाजपा आलाकमान राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को हरी झंडी दे सकता है।