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लोकतंत्र को लेकर की गई बयान बाजी पर बुरे फंसे नीति आयोग के सीईओ

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक देशों को लेकर हुए सर्वे बताते हैं कि भारत में लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा है। मोदी सरकार में विपक्ष के विरोध की जगह कम होती जा रही है। इसके बावजूद यदि नीति आयोग के सीईओ कहें कि भारत में लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है जिससे मोदी सरकार सुधार की दिशा में साहस और प्रतिबद्धता से आगे नहीं बढ़ रही है, तो राजनीति गरमाएगी ही। बवाल मचेगा ही।

अभी हाल ही में स्वराज पत्रिका की ओर से एक कार्यक्र्म आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के विषय ‘आत्मनिर्भर भारत की राह’ पर चर्चा में अमिताभ कांत ने ऑन लाइन पार्टीसिपेट किया था। अमिताभ कांत से पूछा गया कि अगर कोविड 19 महामारी में भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौका दिया है, तो ऐसी कोशिश तो पहले भी की गई थी। इस पर नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ‘‘भारत में कड़े सुधारों को लागू करना बहुत मुश्किल है। हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है। पहली बार कोई सरकार हर सेक्टर में सुधारों को लेकर साहस और प्रतिबद्धता दिखा रही है। कोल, कृषि और श्रम सेक्टर में सुधार किए गए हैं। ये बहुत ही मुश्किल रिफाॅर्म हैं। इन्हें लागू करने के लिए गंभीर राजनीतिक प्रतिबद्धता की जरूरत होती है। ताकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में चीन से मुकाबला किया जा सके मोदी सरकार ने कोल, श्रम और कृषि क्षेत्र में सुधार को लेकर साहस दिखाया है। अमिताभ कांत ने मोदी सरकार के कृषि कानून का भी बचाव किया और कहा कि इससे किसानों को विकल्प मिलेगा।

भारत के किसानों का एक बड़ा तबका जब मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विरोध कर रहा है, ऐसे में नीति आयोग के सीईओ का ये कहना की भारत में कुछ ज्यादा ही लोकतंत्र है। तो राजनीति तो गरमानी ही थी। चारांे तरफ आलोचना होने पर आनन फानन में मीडिया में से इस स्टोरी डिलीटी कर दी गई। लेकिन वीडियो डिलीट करना भूल गए थे। विवाद की बढ़ता देख केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद को स्थिति संभालने को आगे आना पड़ा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर अमिताभ कांत पर निशाना साधा है। प्रशांत भूषण ने लिखा है, श्श्आलोचना के बाद अमिताभ कांत ने अपने बयान से पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद मीडिया में भी स्टोरी डिलीटी कर दी गई लेकिन वीडियो डिलीट करना भूल गए।’’ प्रशांत भूषण ने अमिताभ कांत की कही बातों के उस हिस्से का वीडियो भी पोस्ट किया है।

विवाद के बाद अमिताभ कांत ने भी ट्विटर पर स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैंने जो कहा है वो ये बिल्कुल नहीं है। मैं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर बोल रहा था।’’ हाई कोर्ट के वकील नवदीप सिंह ने अमिताभ कांत की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है, श्श्जो सरकारी पदों पर हैं उन्हें सार्वजनिक रूप से बोलते वक्घ्त अपने शब्दों के लेकर सावधान रहना चाहिए. ज्यादा लोकतंत्र होने का मतलब क्या है?’’ हाल ही में स्वीडन स्थित एक संस्था श्वी- डेम इंस्टीट्यूटश् ने अपनी रिपोर्ट में संकेत दिए हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक कहे जाने वाले भारत में लोकतंत्र कमजोर पड़ रहा है,इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली स्वीडन के गोटेनबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्था वी- डेम इंस्टीट्यूट के अधिकारी कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र की बिगड़ती स्थिति की उन्हें चिंता है. रिपोर्ट में श्उदार लोकतंत्र सूचकांकश् में भारत को 179 देशों में 90वां स्थान दिया गया है वी- डेम इंस्टीट्यूट की श्2020 की लोकतंत्र रिपोर्टश् केवल भारत के बारे में नहीं है।

इस रिपोर्ट में दुनियाभर के कई देश शामिल हैं, जिनके बारे में ये रिपोर्ट दावा करती है कि वहां लोकतंत्र कमजोर पड़ता जा रहा है। भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका 70वें स्थान पर है जबकि नेपाल 72वें नंबर पर है। इस सूची में पाकिस्तान 126वें नंबर पर है और बांग्लादेश 154वें स्थान पर जबकि डेनमार्क को पहला स्थान दिया गया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहां गया हैं कि मीडिया, सिविल सोसाइटी और मोदी सरकार में विपक्ष के विरोध की जगह कम होती जा रही है, जिसके कारण लोकतंत्र के रूप में भारत अपना स्थान खोने की कगार पर हैं।

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