लेह लद्दाख जो अपनी खूबसूरती के जाना जाता है, देश के अलग अलग हिस्सों में शायद बहुत कम लोग ऐसे होंगे जिन्होंने लेह लद्दाख को बहुत नज़दीक से जाना हो, या फिर जानने की कोशिश की हो, हल्द्वानी के रहने वाले प्रेम सिंह जीना आर्टिकल 370 हटने के बाद बेहद खुश हैं, क्योंकी इनका लेह लद्दाख से बड़ा लगाव है। सन 1981 में प्रेम सिंह जीना सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ बुद्धिष्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी लेह में बतौर प्रवक्ता नियुक्त हुए, अपनी 37 साल की नौकरी में श्री जीना ने लद्दाख के ऊपर करीब 35 किताबे लिख डाली हैं, जो वहां की संस्कृति, धर्म, शिक्षा, पर्यटन, मौसम और अन्य कई चीजों पर आधारित हैं, इनमें कुछ खास किताबें रिसर्च ऑन द हिमालया, लद्दाख लैंड एंड पिपुल, चेंजिंग फेस ऑफ लद्दाख, लद्दाख पिपुल, हेरिटेज ऑफ लद्दाख शामिल है, प्रेम सिंह जीना से इन किताबो में उन बातों का ज़िक्र किया है जब लद्दाख के बारे में
सोचना भी बहुत मुश्किल होता, लिहाज़ा तब से लेकर 2019 तक के बदलते लद्दाख को उन्होंने अपनी सोच के जरिये किताबों में उतारा है, जैसे ही आर्टिकल 370 हटने की जानकारी श्री जीना को मिली तो वह भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं, वह बताते हैं की लेह लद्दाख में बहुत कुछ बदल सकेगा, एक अलग नायाब तस्वीर उभरकर सामने आएगी। रिटायर्ड प्रोफेसर प्रेम सिंह जीना के विद्यार्थियों में मौजूदा सांसद समेत कई विद्यार्थी आज भी लद्दाख की राजनीति में बहुत सक्रिय हैं, लद्दाख आज भी श्री जीना के मन मे बस हुआ है, उनके मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश बनने की वजह से अब एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, लिहाज़ा उनकी लिखी हुई किताबों के जरिये आम जनता लेह औऱ लद्दाख को समझने का प्रयास करें। प्रोफेसर जीना की पत्नी मंजू बताती हैं की शुरुआत में लेह लद्दाख के हालातों को सहना, समझना बहुत मुश्किल था, शादी के बाद कुछ समय तक वह लद्दाख में अपने पति के साथ रही, उनकी हौसला अफजाई भी की, जिसका परिणाम यह रहा की प्रेम सिंह जीना ने हर चीज को बारीकी से समझते हुए एक के बाद एक करीब 35 किताबें हिंदी और अंग्रेजी में लिख डाली है। प्रेम सिंह जीना सेवानिवृत्त होने के बाद भी लद्दाख की यादों, वर्तमान घटनाक्रमों को अपनी किताबों में रखने का प्रयास कर रहे हैं, साथ ही उम्मीद भी जता रहे हैं की अब लद्दाख में कुछ बेहतर होने वाला है।
केन्द्र शासित लद्दाख को 35 पुस्तकों में समेटा…
