पेपर लीक का सुलगता सवाल
देश भर में पेपर लीक मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले सात सालों में कम से कम 70 परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो चुके हैं, जिससे 1.7 करोड़ आवेदकों के कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं। डॉक्टर, प्रोफेसर बनने का सपना देखने वाले छात्रों के सपने भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था द्वारा कुचले जा रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, पेपर लीक जैसे मामले रोकने और पारदर्शी प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार द्वारा एनटीए को दी गई थी। लेकिन अब सरकार और संस्थान की व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई हैं। विपक्षी दलों और छात्रों द्वारा एनटीए और सरकार के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है और मामला सर्वाेच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है
हर बार की तरह इस बार भी लाखों उम्मीदवारों ने मेडिकल और रिसर्च स्कूलों के लिए परीक्षाएं दी थी लेकिन इन परीक्षाओं के पेपर लीक होने चलते छात्रों का भविष्य अंधकार मय हो चला है। एनटीए और उसके द्वारा कराई गई नीट और नेट की परीक्षाएं भ्रष्टाचार और पेपर लीक के चलते जांच के दायरे में आ चुकी हैं। पिछले महीने 6 मई से ही मेडिकल उम्मीदवारों के लिए आयोजित राष्ट्रीय परीक्षा, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) विवादों के केंद्र में रहा। यह मामला 4 जून को परीक्षा के नतीजों के बाद सार्वजनिक तौर पर सामने आया। यह दिन छात्रों और शिक्षकों के लिए असंभव और आश्चर्यजनक बन गया। नीट के नतीजों में 67 छात्रों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए, जबकि पिछले साल केवल दो छात्रों ने ही 720 अंक हासिल किए थे। कम से कम दो छात्रों ने 720 में से 719 और 718 अंक प्राप्त किए, जो कि नीट की अंकन प्रणाली के तहत सांख्यिकीय रूप से असंभव परिणाम है।
यह कमाल कैसे हुआ इसका जवाब देते हुए एनटीए ने कहा कि कई छात्रों को ‘ग्रेस मार्क्स’ दिए गए थे, जो परीक्षकों द्वारा उनके विवेक पर दिए गए थे। ऐसे मामलों में जहां उम्मीदवारों ने अपने नियंत्रण से बाहर के कारकों के कारण परीक्षा के दौरान समय खो दिया था। परीक्षा समय के नुकसान का पता लगाया गया और ऐसे उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स के साथ मुआवजा भी दिया गया। इसलिए उम्मीदवारों के अंक 718 या 719 भी हो सकते हैं, हालांकि एनडीए द्वारा ग्रेस मार्क्स देने के लिए इस्तेमाल किए गए मापदंडों का खुलासा नहीं किया गया। अब नीट पेपर लीक मामला छात्रों द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय तक पहुंचा है। सुनवाई के दौरान एनटीए ने अपना बचाव करते हुए कहा कि वह ग्रेस मार्क्स रद्द कर 1,563 छात्रों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित कर चुकी है। एनटीए द्वारा इस री एग्जाम का आयोजन 23 जून को किया गया। एनटीए की तरफ से कहा गया कि नीट यूजी की री एग्जाम में 1563 में से कुल 813 अभ्यर्थी शामिल हुए।
नीट पेपर लीक का क्या है पूरा मामला
मेडिकल स्कूलों में 1 लाख सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हुए लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने नीट परीक्षा दी थी। 4 जून को परीक्षा के नतीजों के दौरान टॉपर्स की नाटकीय रूप से बड़ी संख्या सामने आई। इसके बाद से ही देश भर के कई राज्यों से कथित पेपर लीक और करोड़ों डॉलर के धोखाधड़ी घोटाले के लिए गिरफ्तारियां हुई। इनमें पेपर लीक माफिया, सेंटर, कई छात्र और उनके अभिभावक भी शामिल हैं। नीट पेपर लीक मामला पटना पुलिस से बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने 10 जून को टेकओवर कर लिया। इस मामले के संबंध में ईओयू द्वारा 13 आरोपियों को रिमांड पर लिया गया। पूछताछ करने पर आरोपियों ने पेपर लीक की बात कबुल की। यह मामला सामने आने पर 16 जून पेपर लीक मामले जब छात्रों ने देश के अलग-अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन किया। 18 जून को नीट पेपर लीक का तार पहली बार संजीव मुखिया गिरोह से जुड़ा। संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिव कुमार समेत 10 आरोपियों को ईओयू ने रिमांड पर ले लिया है। जबकि शिव बीपीएससी पेपर लीक मामले में पहले से जेल में बंद है।
गौरतलब है कि एनटीए को 2013 में इसलिए स्थापित किया गया था ताकि निचले स्तर पर होने वाले पेपर लीक और भ्रष्टाचार को रोका जा सके। लेकिन ऐसा हो न सका। एनटीए अब अपनी प्रतिष्ठा खोते हुए दिखाई दे रहा है। लखनऊ के विधि शोध विद्वान ऋषि शुक्ला, जिन्होंने एनटीए के खिलाफ कई कानूनी याचिकाओं में मदद की है, का कहना है कि एनटीए का एक ही काम है परीक्षा आयोजित करना और वह इसमें बुरी तरह विफल रहा है। इस मामले के तार बिहार, गुजरात, झारखंड महाराष्ट्र समेत 6 राज्यों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। अब सीबीआई ने भी इस जांच में एंट्री मार ली है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा नीट -यूजी 2024 परीक्षा में कथित गड़बड़ियों की व्यापक जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद एजेंसी ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर सीबीआई ने 23 जून को पहली एफआईआर दर्ज की है। शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर सीबीआई ने आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
भरोसा खोता जा रहा है एनटीए
छात्र अपना भरोसा एनटीए से खोते जा रहे हैं। ‘अलजजीरा’ के एक रिपोर्ट अनुसार 19 वर्षीय प्रतिभा का कहना है कि उन्हें एनटीए द्वारा ग्रेस मार्क्स दिए गए छात्रों के लिए फिर से परीक्षा कराए जाने पर भरोसा नहीं है। उनके मुताबिक ‘यह परीक्षा फिर से एक दिखावा है क्योंकि सरकार स्पष्ट रूप से भ्रष्ट लोगों को बचा रही है। मैंने अपनी किशोरावस्था सफेद कोट पहनने के सपने को पूरा करने में बिता दी। अब लगता है कि सब कुछ बर्बाद हो गया। मैंने अच्छे अंक तो प्राप्त किए हैं, लेकिन रैंक नहीं मिली। मेरे परिवार के पास मुझे निजी कॉलेज में भेजने के लिए पैसे नहीं हैं।’
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीट पेपर लीक होने की आशंका से साफ इनकार किया था। हालांकि पूर्वी राज्य बिहार में पुलिस, जहां प्रधान की भाजपा गठबंधन के रूप में शासन करती है, ने दावा किया है कि उसने पेपर लीक होने की पुष्टि करने वाला एक कबूलनामा हासिल किया है। बिहार की राजधानी पटना में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार गिरफ्तार लोगों में से एक ने कबूल किया है कि नीट परीक्षा से एक रात पहले उसने लगभग 36,000 डॉलर में पेपर लिया था। वहीं शिक्षा मंत्री प्रधान नीट की फिर से परीक्षा की मांग को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘पेपर लीक का मामला एक क्षेत्र विशेष तक सीमित है।’ एनटीए के किसी व्यक्ति सहित दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। ‘एक अकेली घटना (बिहार पेपर लीक) उन लाखों छात्रों को प्रभावित नहीं करना चाहिए जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा दी थी।’
नेट की परीक्षा भी रद्द
इसी महीने 19 जून को गठबंधन वाली नई सरकार द्वारा राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को भी रद्द कर दिया गया, जो सार्वजनिक वित्त पोषित शोध फेलोशिप के लिए उम्मीदवारों का चयन करती है। 10 लाख से ज्यादा छात्रों के पेपर देने के एक दिन बाद 20 जून को शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा कहा गया कि ‘‘प्रश्न पत्र ‘डार्कनेट’ में लीक हो गए थे और उन्हें ‘टेलीग्राम’ में प्रसारित किया गया था। प्रश्न लीक होना एनटीए की संस्थागत विफलता है। उन्होंने आश्वाशन देते हुए कहा है कि इसकी भी जांच की जाएगी। एक सुधार समिति होगी और कार्रवाई की जाएगी, पारदर्शिता से समझौता नहीं किया जायेगा।’’
शिक्षा मंत्री ने यह फैसला लेने के पीछे का कारण सरकार की ईमानदारी को खतरे में पड़ना बताया। दूसरी तरफ नीट मामले के बाद नेट की परीक्षा रद्द होने से विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को ‘पेपर लीक सरकार’ करार दिया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने परीक्षा रद्द किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार और ढिलाई युवाओं के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि नीट परीक्षा में घोटाले की खबर के बाद अब 18 जून को हुई ‘नेट परीक्षा भी अनियमितताओं के डर से रद्द कर दिया गया है। क्या अब जवाबदेही तय हो जाएगी? क्या शिक्षा मंत्री इसकी जिम्मेदारी लेंगे?’
देश भर में बवाल
नीट-यूजी और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई ने 21 जून को अगरतला की सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए शिक्षा मंत्री ट्टार्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग करते हुए उनका पुतला फूंका। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आशीष कुमार साहा ने कहा कि न तो प्रधान के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है और न ही उन्होंने खुद कोई कार्रवाई की है। साहा ने कहा, देश में पेपर लीक की घटनाएं सामने आ रही हैं, युवा चिंतित हैं। विभिन्न राज्यों की अदालतों में मामले दर्ज किए जा रहे हैं, शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि कोई भ्रष्टाचार नहीं है। नेट परीक्षा रद्द होने के एक दिन बाद 20 जून को विपक्षी कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया ने भी शिक्षा मंत्री के आवास के बाहर प्रदर्शन कर नकली नोट बरसाए।
इस शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा कि हम भ्रष्ट मंत्री को पैसे देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें अपने छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने की जरूरत है। आरोपियों के कबूलनामे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार हुआ होगा जब चोर चोरी की बात कबूल कर रहा है, लेकिन मालिक कह रहा है कि सब कुछ ठीक है।’ प्रदर्शनकारी एनटीए पर प्रतिबंध लगाने समेत शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। नीट और नेट परीक्षा रद्द किए जाने पर सरकार के खिलाफ यूपी में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए। आप के छात्र विंग ने 23 जून को प्रतियोगी परीक्षा कराने वाले एनटीए और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर विरोध जताया है। मेडिकल के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में धांधली के विरोध में कांग्रेस ने लखनऊ भी में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को पुलिस ने हिरासत में लिया गया।
विपक्ष मोदी सरकार पर आरोप लगा रहा है कि सात साल के कार्यकाल में पेपर लीक की करीब 70 घटनाएं हो चुकी हैं। गौरतलब है कि बिहार में हुई ऐसी गिरफ्तारियां कोई अकेली घटना नहीं है। यूपी, गुजरात, समेत ऐसे कई राज्यों में पेपर लीक भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था के मामले सामने आते रहते हैं। भाजपा शाषित गुजरात में पुलिस द्वारा एक घोटाले का खुलासा किया गया है। यहां देश के दूर-दराज के इलाकों से आए कम से कम 30 छात्र एक केंद्र में परीक्षा दे रहे थे। उन्होंने कथित तौर पर परीक्षा पास करने के लिए निजी कोचिंग सेंटर, शिक्षकों, परीक्षा केंद्र के एक पर्यवेक्षक को 12,000 से 50,000 के बीच भुगतान किया। इस जांच में अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है।
पिछले एक महीने में अकेले उत्तर प्रदेश से ही 3 बड़े पेपरों के लीक होने की घटनाएं सामने आई हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 फरवरी, 2024 को यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा-2023 को रद्द करने का फैसला किया। इसके अलावा 11 फरवरी, 2024 को आयोजित की गई उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी प्रश्न पत्र 10 फरवरी को वाट्सऐप पर लीक हुआ। जिसके बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समीति ने आरओ और एआरओ के पेपर लीक के आरोपों की जांच शुरू कर दी। इस मामले में यूपी एसटीएफ ने भोपाल से 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अतिरिक्त राज्य में बोर्ड परीक्षाओं की शुरूआत 22 फरवरी से हुई। 29 फरवरी को आगरा में यूपी बोर्ड की 12वीं क्लास के जीव विज्ञान और गणित की परीक्षा का प्रश्न पत्र भी पर लीक हो गए। इस मामले में दो लोगों की भी गिरफ्तारी हुई।