केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार अक्सर एकदूसरे पर तंज कसती रहते है। कभी कोरोना महामारी को लेकर, तो कभी वैक्सीन को लेकर। एक बार फिर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने आ खड़े हुए है। इस बार मामला राशन वितरण को लेकर बढ़ा हुआ है।
दरअसल गरीबों को राशन वितरण करने के लिए दिल्ली सरकार ने ‘घर घर राशन’ योजना शुरु की थी। जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों को उनके घर पर ही राशन पहुंचाया जाएगा।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस योजना पर रोक लगा दी है। भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि घर-घर राशन योजना पर रोक लगाकर केंद्र सरकार ने एक बड़े घोटाले को होने से रोक दिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की मंशा गरीबों के नाम पर मिलने वाले राशन को डायवर्ट कर घोटाला करना है।
पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि केंद्र सरकार द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड’ का प्रावधान किया गया था, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, जिसके कारण आज हजारों श्रमिक राशन से वंचित हो गए। गई थी।
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि इसी हफ्ते से दिल्ली में घर-घर राशन योजना शुरू होने जा रही है, इसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई थीं, लेकिन केंद्र सरकार ने एक दिन पहले रोक दिया।
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार का दावा है कि हमने मंजूरी नहीं ली। लेकिन हमने एक बार नहीं, बल्कि पांच बार मंजूरी ली है। कानूनी तौर पर हमें केंद्र की मंजूरी की जरूरत नहीं है, लेकिन हमने शिष्टाचार के चलते ऐसा किया है। किया।
इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना रखा गया था। तब आपने (पीएम मोदी) कहा था कि मुख्यमंत्री का नाम योजना में शामिल नहीं किया जा सकता है। हमने आपके अनुरोध को स्वीकार करने के बाद नाम हटा दिया। फिर भी आपने इस योजना को अस्वीकार कर दिया।”
इतना ही नहीं केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर पिज्जा, बर्गर या अन्य चीजों की जब होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने केंद्र सरकार से इस योजना को लागू करने की अपील करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, क्या आपको राशन माफिया से हमदर्दी है? अगर आप गरीबों की नहीं सुनेंगे तो कौन सुनेगा।
लोग बाहर नहीं जाना चाहते हैं, इसलिए हम घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था कर रहे हैं। देश इस समय बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है। यह समय एक-दूसरे का हाथ थामे रहने का, लोगों की मदद करने का है।
इस योजना के साथ , दिल्ली के 72 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा, जिसका एक बड़ा हिस्सा राशन माफिया द्वारा चुरा लिया जाता है।
हालांकि केंद्र सरकार ने केजरीवाल के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि दिल्ली सरकार जिस तरह से राशन बांटना चाहती है, उसने दिल्ली सरकार को नहीं रोका है। बयान के मुताबिक, दिल्ली सरकार किसी भी अन्य योजना के तहत ऐसा कर सकती है।
भारत सरकार भी इसके लिए अधिसूचित दरों के अनुसार अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराने को तैयार है। फिर दिल्ली सरकार को इसे जिस रूप में चाहे बांट देना चाहिए। केंद्र सरकार नागरिकों को किसी भी जनकल्याणकारी योजना से क्यों वंचित रखेगी?
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने भी रविवार को एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल ने इस तरह से बात की है कि दिल्ली के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जबकि वे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दिल्ली में जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत मई तक 72,782 मीट्रिक टन खाद्यान्न दिल्ली भेजा जा चुका है। 5 जून कोटे से ज्यादा दिल्ली सरकार अब तक करीब 53,000 मीट्रिक टन अनाज ही उठा पाई है और उसमें से सिर्फ 68 फीसदी ही जनता को बांटा जा सका है।