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देश में बढ़ रहे आत्महत्याओं के मामले

देश में हर दिन कई लोग आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने को मजबूर हैं। कुछ लोग बाहरी दबाव के चलते ऐसा कदम उठाते हैं तो कुछ मन में चल रही उथल-पुथल के चलते आत्महत्या कर लेते हैं।

वैश्विक महामारी कोरोना ने भारत में आकस्मिक मौतों और आत्महत्याओं को प्रभावित किया है। इस बीच 28 अक्टूबर को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2020 की रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क हादसों और इससे जुड़ी मौतों की संख्या में तेज गिरावट दर्ज की गई, जबकि आत्महत्याओं में बड़ी बढ़ोतरी हुई है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2019 की तुलना में पिछले साल आत्महत्या में 10% की वृद्धि हुई है। 2020 में देश में कुल 153,052 आत्महत्याएं हुईं। आत्महत्या दर में 8.7% की वृद्धि हुई।

3,025 आत्महत्याओं के साथ दिल्ली 53 शहरों में पहले स्थान पर है। इसके बाद 2,430 आत्महत्याओं के साथ चेन्नई, बैंगलोर (2,196) और मुंबई (1,282) का स्थान रहा। इन चार शहरों में 53 शहरों में कुल मामलों का 37.4% हिस्सा था। 2019 की तुलना में चेन्नई में 2020 में मामूली गिरावट देखी गई, इसके बाद दिल्ली में 24.8%, बैंगलोर में 5.5% और मुंबई में 4.3% की गिरावट दर्ज की गई।

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पारिवारिक समस्याएं और बीमारी मुख्य कारक हैं जो लोगों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करते हैं। पिछले साल सबसे ज्यादा आत्महत्या करने वालों की संख्या मजदूरी कमाने वालों में थी, इसके बाद स्वरोजगार करने वाले पुरुषों और गृहिणियों की संख्या थी। एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 1,08,532 पुरुषों ने अपनी जान गंवाई।

ADSI की रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना से होने वाली मौतों में यातायात दुर्घटनाओं में लगभग 40% का योगदान है, 2020 में 11% घटकर 2020 में 374,397 आकस्मिक मृत्यु हो गई। 2009 के बाद से यह सबसे कम संख्या है जब ऐसी मौतों की संख्या 357,021 थी। 2019 की तुलना में इस तरह की मौतों में 11.1% की गिरावट आई है। साल-दर-साल वृद्धि दर 1967 के बाद से केवल दो बार नकारात्मक रही है। जबकि प्राकृतिक कारणों से होने वाली मौतों की संख्या में भी 9.1% की गिरावट आई है, जबकि 2019 और 2020 के बीच सनस्ट्रोक से होने वाली मौतों की संख्या में 744 की गिरावट आई है। आत्महत्या के मामले बढे हैं।

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